क्या पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा 2024 के चुनाव में BJP को भारी पड़ेगा? समझिए

देवराज गौर

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दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर आंदोलन
दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर आंदोलन
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नई दिल्लीः पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) को बहाल करने की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ा आंदोलन देखने को मिला. इस पेंशन शंखनाद महारैली में 20 राज्यों के सरकारी कर्मचारियों के हिस्सा लेने का दावा किया गया. ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग करने वाले या इसके समर्थक कह रहे हैं कि 2024 में उसे ही वोट पड़ेगा, जो इसका वादा करेगा. क्या ये मुद्दा 2024 की सियासी तस्वीर बदल देगा?

क्या है पुरानी पेंशन स्कीम?

2004 से पहले देश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू थी. इसमें पेंशन का फॉर्म्युला फिक्स होता था. रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी की जितनी सैलरी होती थी, उसकी आधी रकम पेंशन में मिलती थी. कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता भी इसमें जुड़ता रहेगा. खास बात यह कि इस पेंशन के लिए कर्मचारी की सैलरी से पैसा नहीं काटा जाता था. अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है, तो उनके जीवनसाथी को लास्ट बेसिक पे का 30 फीसद पेंशन के तौर पर मिलता है.

वाजपेयी सरकार लाई नई पेंशन स्कीम

वाजपेयी सरकार ने एक अप्रैल 2004 से नौकरी में आने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बंद कर दी. न्यू पेंशन स्कीम (NPS) लागू की गई. बाद में राज्यों ने भी इसे अपना लिया. इसमें कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी (बेसिक+डीए) की कटौती होती है. सरकार 14 फीसदी देती है. ये पैसे NPS में जमा होते हैं और शेयर बाजार की चाल से भी प्रभावित होते हैं. कर्मचारी के पास विकल्प होता है कि वह तय करे कि अपने पैसे का कितना हिस्सा शेयर बाजार में लगाना है.

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इसके विरोधियों का तर्क का है कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों का नुकसान है. इसमें ग्रैच्युटी का स्थाई प्रावधान नहीं है. महंगाई भत्ता नहीं जुड़ता. फिलहाल राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दिया है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) समेत INDIA अलायंस के दूसरे दल सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया जाए. अगर इस मामले में जनदबाव बढ़ा, तो 2024 के चुनाव से पहले यह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगा.

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