अशोक गहलोत का मास्टरस्ट्रोक...वसुंधरा राजे की ताजपोशी की तैयारी? CM की कुर्सी पर हलचल!

न्यूज तक डेस्क

राजस्थान की राजनीति में फिर से एक उलटफेर होने की संभावना हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं और इस बार इन अटकलों को हवा देने का काम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत कर रहे हैं. 

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वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत
वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत
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राजस्थान की राजनीति में फिर से एक उलटफेर होने की संभावना हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं और इस बार इन अटकलों को हवा देने का काम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत कर रहे हैं. अजमेर में मीडिया से बातचीत के दौरान गहलोत ने कहा वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनतीं तो मजा आता. अब इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे हैं. हाल ही में वसुंधरा राजे ने पीएम मोदी, अमित शाह और मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी. 

गहलोत ने कहा, वसुंधरा राजे अनुभवी हैं, बीजेपी की नेचुरल चॉइस वही थीं. अगर वे मुख्यमंत्री होतीं तो बेहतर काम होता और विपक्ष को भी उनसे मुकाबला करने में मजा आता.

गहलोत और वसुंधरा की अनोखी केमिस्ट्री

राजस्थान की सियासत में गहलोत और वसुंधरा का रिश्ता हमेशा चर्चा में रहा है. दोनों अलग-अलग दलों से हैं लेकिन आपसी समझ और सहयोग के चलते दोनों की खूब चर्चा होती है.गहलोत ने हाल ही में कहा कि वसुंधरा अनुभवी नेता हैं और उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहिए था. उनके इस बयान ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों में खलबली मचा दी.

सियासी जानकार बताते हैं कि गहलोत और वसुंधरा के बीच सियासी मतभेदों से परे एक अनोखा तालमेल रहा है. गहलोत की सरकार में वसुंधरा का कोई काम नहीं रुका और वसुंधरा के शासनकाल में गहलोत कभी कमजोर नहीं पड़े.

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हाल ही में धौलपुर में एक राम कथा के मंच से वसुंधरा ने कहा, "वनवास तो आता है, लेकिन धैर्य रखने से वह जाता भी है." उनके इस बयान को सियासी गलियारों में उनकी वापसी की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है.

सचिन पायलट पर निशाना?

गहलोत के इस बयान के पीछे एक गहरी रणनीति नजर आती है. राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी कोई नहीं नहीं है. गहलोत, वसुंधरा की तारीफ कर पायलट को किनारे करने की कोशिश में हैं. हाल ही में इंडिया टुडे के MOTN सर्वे में पायलट को गांधी-नेहरू परिवार से इतर कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय नेता बताया गया. यह गहलोत के लिए खतरे की घंटी है.

अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे पायलट

पायलट इन दिनों अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं. वह सिर्फ गुर्जर समुदाय तक सीमित नहीं रहना चाहते. हाल ही में उन्होंने गहलोत के घर जाकर सबको चौंका दिया. पायलट ने अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के कार्यक्रम का न्योता देने के लिए गहलोत से मुलाकात की. गहलोत ने इस मौके पर कहा कि उनके और पायलट के बीच कोई विवाद नहीं है, लेकिन सियासी जानकार इसे महज दिखावा मानते हैं.

गहलोत का घटता प्रभाव

एक समय सोनिया गांधी के सबसे करीबी नेताओं में शुमार गहलोत का प्रभाव अब कम होता दिख रहा है. गांधी-नेहरू परिवार का भरोसा अब पायलट पर ज्यादा है. गहलोत के करीबी रहे गोविंद सिंह डोटासरा और हरीश चौधरी जैसे नेता भी अब पायलट के खेमे में नजर आ रहे हैं. डोटासरा का प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो रहा है और पायलट को इस पद पर बैठाने की चर्चा है. गहलोत इसे रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.

वसुंधरा की वापसी की संभावना

वसुंधरा राजे को बीजेपी में भी किनारे किया गया है लेकिन वह अभी हार नहीं मान रही हैं. उनके समर्थक और कुछ कांग्रेस नेता उनके लिए माहौल बना रहे हैं. विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जली भी उनकी तारीफ कर चुके हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही राजस्थान में सत्ता के समीकरण बदल सकते हैं.

सियासत का म्यूजिक चेयर

पिछले 25 सालों से राजस्थान की सत्ता गहलोत और वसुंधरा के बीच म्यूजिक चेयर की तरह चलती रही है. लेकिन अब सचिन पायलट और भजन लाल शर्मा जैसे नए चेहरे इस खेल को बदल रहे हैं. गहलोत और वसुंधरा दोनों अपनी-अपनी पार्टियों में हाशिए पर हैं लेकिन उम्मीद अभी बाकी है.

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