महिला कांस्टेबल के साथ स्विमिंग पूल में अश्लील हरकते करने वाला DSP, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका

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Rajasthan Female Constable & DSP Swimming Pool Video: राजस्थान पुलिस के डिप्टी एसपी (DSP) हीरालाल सैनी और एक महिला कांस्टेबल से जुड़ा स्विमिंग पूल वीडियो कांड एक बार फिर सुर्खियों में है. करीब साढ़े तीन साल पहले वायरल हुए एक अश्लील वीडियो ने पूरे प्रदेश में हंगामा मचा दिया था.

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DSP Swimming Pool Video
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Rajasthan Female Constable & DSP Swimming Pool Video: राजस्थान पुलिस के डिप्टी एसपी (DSP) हीरालाल सैनी और एक महिला कांस्टेबल से जुड़ा स्विमिंग पूल वीडियो कांड एक बार फिर सुर्खियों में है. करीब साढ़े तीन साल पहले वायरल हुए एक अश्लील वीडियो ने पूरे प्रदेश में हंगामा मचा दिया था. अब हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सैनी की बहाली पर रोक लगा दी है. आइए जानते हैं कि इस मामले में क्या हुआ और क्यों हाईकोर्ट ने यह फैसला लिया.

स्विमिंग पूल में अश्लील वीडियो से शुरू हुआ विवाद

जुलाई 2021 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें डिप्टी एसपी हीरालाल सैनी और एक महिला कांस्टेबल स्विमिंग पूल में नग्न अवस्था में मस्ती करते दिखे. वीडियो में महिला कांस्टेबल का 6 साल का मासूम बेटा भी मौजूद था, जिसके साथ भी अश्लील हरकतें होने की बात सामने आई.

राजस्थान विधानसभा में भी इस घटना को लेकर हंगामा खड़ा हुआ था. विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने सख्त कार्रवाई की मांग की थी. जिसके बाद दोनों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने दोनों को गिरफ्तार किया और अक्टूबर 2021 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दोनों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था.

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हाईकोर्ट में मामला: बहाली का आदेश और फिर रोक

नौकरी से बर्खास्तगी के बाद हीरालाल सैनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनकी ओर से वकील आरएन माथुर ने दलील दी कि बिना सुनवाई और वीडियो की जांच के बर्खास्तगी का फैसला गैरकानूनी है. उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो फर्जी हो सकता है, लेकिन इसकी कोई फोरेंसिक जांच नहीं हुई. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अक्टूबर 2024 में सैनी की बर्खास्तगी रद्द कर दी और उन्हें बकाया वेतन व अन्य लाभ देने के निर्देश दिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार चाहे तो विभागीय जांच जारी रख सकती है.

हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी. महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि एकल पीठ का फैसला विरोधाभासी है. एक तरफ बर्खास्तगी रद्द की गई, दूसरी तरफ जांच की अनुमति दी गई, जो तर्कसंगत नहीं है. सरकार का तर्क था कि शर्मनाक कृत्य करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई उसका अधिकार है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस मनीष शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी. यानी, हीरालाल सैनी की बहाली फिलहाल टल गई है.


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