तत्काल टिकट के नाम पर स्कैम, 60 सेकेंड में लुट जाएगा बैंक अकाउंट, जानें क्या है पूरा मामला

न्यूज तक

IRCTC की तत्काल टिकट बुकिंग में हाईटेक स्कैम का खुलासा हुआ है, जहां बॉट्स और फर्जी आधार आईडी से टिकट कुछ सेकंड में बुक हो रहे हैं. सरकार के नए नियमों और कार्रवाई के बावजूद, ये साइबर गिरोह आम यात्रियों का डाटा चुराकर उन्हें टिकट से वंचित कर रहे हैं.

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केंद्र सरकार ने भले ही रेल टिकट बुकिंग को लेकर कई सख्त नियम बनाए हों, लेकिन बावजूद इसके देश में स्कैम का मामला बढ़ता ही जा रहा है. खासकर तत्काल टिकट बुकिंग के नाम पर सोशल मीडिया पर एक पूरा गिरोह एक्टिव है जो हाईटेक तरीकों से ना केवल टिकट बुक कर रहा है, बल्कि आम यात्रियों का डाटा भी खतरे में डाल रहा है.

फर्जीवाड़े की दुनिया में बॉट्स का खेल

हमारे सहयोगी वेबसाइट इंडिया टुडे की OSINT टीम ने टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर एक्टिव एक ऑनलाइन रैकेट की पहचान की है. जिससे पता चला है कि सोशल मीडिया ऐप्स जैसे टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर ऐसे 40 से ज्यादा ग्रुप्स हैं, जो दावा करते हैं कि वो सिर्फ 60 सेकंड में कंफर्म तत्काल टिकट दिलवा सकते हैं. ये ग्रुप बॉट्स और आधार-प्रमाणित IRCTC खातों का इस्तेमाल करते हैं. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि इनके लिए टिकट बुकिंग सिर्फ एक बहाना है, इन ऐप्स का असली मकसद यूजर्स के निजी डेटा को चुराना और सिस्टम को बाईपास करना है.

क्या है पूरा मामला 

दरअसल, 1 जुलाई से रेल मंत्रालय ने एक नया नियम लागू किया, इस नियम के तहत अब तत्काल टिकट बुक करने के लिए आधार वेरीफाई होना जरूरी है. इस बदलाव के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर गिरोह सक्रिय हो गए और IRCTC की आधार-वेरिफाइड यूजर आईडी और OTP बेचने लगे. एक आईडी की कीमत सिर्फ ₹360 रखी गई है, जिसे एजेंट टिकट बुकिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

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तकनीक का गलत इस्तेमाल

जांच से पता चला की एजेंट्स को खास ब्राउजर एक्सटेंशन और ऑटोफिल टूल्स दिए जा रहे हैं, जो इंसानी दखल के बिना ही टिकट बुक कर लेते हैं. यह पूरी प्रक्रिय इतनी तेज है कि एक मिनट से भी कम समय में टिकट कंफर्म हो जाता है. असली यूजर्स के पास तब तक कुछ बचता ही नहीं.

इन बॉट्स को बेचने वाले खुद को टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट बताते हैं और एजेंट्स को IP एड्रेस ब्लॉक से बचने के लिए VPS यानी वर्चुअल प्राइवेट सर्वर का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं.ये बॉट्स IRCTC के सिस्टम को धोखा देने के लिए खास तरह से डिजाइन किए गए हैं.

टिकट के साथ डाटा भी चोरी

केवल टिकट बुकिंग ही नहीं ये सॉफ्टवेयर और बॉट्स यूजर्स की निजी जानकारी जैसे लॉगिन डेटा, बैंक डिटेल्स और आधार से जुड़ी जानकारियां भी चुरा सकते हैं. जांच में पाया गया कि "WinZip" नाम का एक APK बॉट असल में ट्रोजन वायरस था, जो मोबाइल में घुसकर डाटा चोरी करता है.

रेल मंत्रालय ने बताया कि अब तत्काल टिकट खुलने के पहले 30 मिनट तक एजेंट बुकिंग पर रोक लगा दी गई है. साथ ही एंटी-बॉट सिस्टम की मदद से अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा फर्जी यूजर आईडी को सस्पेंड किया जा चुका है. इसके बावजूद ये अवैध नेटवर्क नए रास्ते निकालकर फिर से एक्टिव हो जाते हैं.

आम आदमी की मुश्किलें बढ़ीं

इस पूरे फर्जीवाड़े का सीधा असर उन यात्रियों पर हो रहा है जो रोजमर्रा के लिए ट्रेन पर निर्भर हैं. जब तक वो टिकट बुक करने की कोशिश करते हैं, तब तक सिस्टम ओवरलोड हो जाता है या सारे टिकट बुक हो चुके होते हैं.

सरकार नियम बना रही है, सिस्टम अपडेट हो रहा है, लेकिन टिकट माफिया इससे दो कदम आगे चल रहे हैं. अब वक्त है कि आम लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है. किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, फर्जी ऐप्स डाउनलोड करने से बचें और अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखें. क्योंकि अब टिकट की लड़ाई सिर्फ IRCTC पर नहीं, साइबर दुनिया के चालाक ठगों से भी है.
 

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