बिहार की शिक्षा में नया अध्याय: सरकारी स्कूलों का छात्र-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर
Bihar News: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार देखने को मिला है, जहां सरकारी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) अब राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर हो गया है.
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Bihar News: बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल अब पहले जैसा नहीं रहा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से पिछले कुछ सालों में लाखों शिक्षकों की भर्ती ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. जिस वजह से बिहार के स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) अब राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर हो गया है. अब एक शिक्षक पर औसतन 28 छात्र हैं, जो बच्चों को बेहतर शिक्षा और ध्यान देने का मौका दे रहा है. आइए जानते हैं, कैसे बिहार ने यह मुकाम हासिल किया.
तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती
पिछले तीन-चार सालों में बिहार में करीब तीन लाख शिक्षकों की भर्ती हुई है. इस साल अकेले बीपीएससी के जरिए 1 लाख 20 हजार से ज्यादा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए. नतीजतन, राज्य में शिक्षकों की कुल संख्या बढ़कर 6 लाख 60 हजार हो गई है. इससे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार हुआ है.
राष्ट्रीय औसत से आगे बिहार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की 2023-24 की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात इस प्रकार है:
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- कक्षा 1 से 5: 32 छात्र प्रति शिक्षक
- कक्षा 6 से 8: 19 छात्र प्रति शिक्षक
- कक्षा 9 से 10: 30 छात्र प्रति शिक्षक
- कक्षा 11 से 12: 31 छात्र प्रति शिक्षक
समग्र रूप से, कक्षा 1 से 12 तक का पीटीआर 28 है, जो राष्ट्रीय औसत (निचली कक्षाओं में 40 और ऊपरी कक्षाओं में 30) से काफी बेहतर है.
10 साल में बदली तस्वीर
कभी बिहार के स्कूलों में हालात ऐसे थे कि 2015-16 में प्रारंभिक स्कूलों में एक शिक्षक पर 89 छात्र थे. 2020-21 में यह अनुपात सुधरकर 47 पर आया. अब 2023-24 में यह 28 तक पहुंच गया है. प्राथमिक स्कूलों में पीटीआर 57 से घटकर 32, उच्च प्राथमिक में 21, माध्यमिक में 52 से 30 और उच्च माध्यमिक में 60 से 31 हो गया है. यह बदलाव बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार का सबूत है.
भविष्य में और बेहतर होगी स्थिति
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा,
“शिक्षकों की लगातार भर्ती से छात्र-शिक्षक अनुपात में काफी सुधार हुआ है. यह राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर हो गया है. आने वाले महीनों में और शिक्षकों की भर्ती और हाल की नियुक्तियों को जोड़ने से यह अनुपात और बेहतर होगा.”
नीतीश सरकार की शिक्षा क्रांति
2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से शिक्षक भर्ती और स्कूलों की आधारभूत संरचना पर लगातार काम हो रहा है. इसका नतीजा है कि आज बिहार के स्कूलों में बच्चों को न सिर्फ बेहतर पढ़ाई मिल रही है, बल्कि शिक्षकों का व्यक्तिगत ध्यान भी मिल रहा है.