बिहार के मोकामा सीट पर 25 साल पुरानी जंग, अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के बीच बाहुबल की लड़ाई

Anant Singh news: मोकामा विधानसभा सीट पर 25 साल पुरानी जंग फिर शुरू. अनंत सिंह और सूरजभान सिंह परिवार के बीच बाहुबल की लड़ाई, जानिए मोकामा सीट का पूरा इतिहास.

बिहार मोकामा सीट पर अनंत सिंह और सूरजभान सिंह परिवार के बीच बाहुबल की लड़ाई
बिहार मोकामा सीट पर अनंत सिंह और सूरजभान सिंह परिवार के बीच बाहुबल की लड़ाई
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बिहार विधानसभा चुनाव के बिगुल बजने के बाद ही राजनीतिक गलियारों की हलचल तेज हो गई है. हालांकि अभी एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमे से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन हॉट सीट मोकामा की खूब चर्चा हो रही है. चर्चा के पीछे की वजह भी है दो बाहुबलियों के बीच की लड़ाई क्योंकि मोकामा वहीं सीट है जहां पर पोस्टर से ज्यादा पिस्टल का नाम चलता था और नेताओं के नाम से पहले बाहुबली जुड़ना गर्व की बात माना जाता था.

इस बार भी चुनावी मैदान में लड़ाई जनता के बीच छोटे सरकार के नाम से मशहूर नेता अनंत सिंह और बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी के बीच है. आइए समझते है इस सीट की पूरी कहानी.

मोकामा सीट की कहानी

दरअसल सूरजभान सिंह और अनंत सिंह के बीच में पुरानी अदावतें रही हैं. साल 2000 के चुनाव में सूरजभान सिंह ने जेल में रहते हुए ही अनंत सिंह के बड़े भाई और तत्कालीन राज्य मंत्री दिलीप कुमार सिंह को करीब 80,000 वोटों से हराया था. इसके बाद से अनंत सिंह ने 2005 से लेकर 2020 तक लगातार जीत रिकॉर्ड बनाया और इस सीट को अपना गढ़ बना लिया और अब दो दशक बाद इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है.

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90 के दशक में जब बिहार की राजनीति पर लालू राज का वर्चस्व था तब मुकामा की पहचान थे दिलीप सिंह और अनंत सिंह. लेकिन साल 2000 में इस इलाके की तस्वीर बदल चुकी सूरजभान सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वक्त के साथ ताकत देवगंत दिलीप सिंह को पटखनी दी. 

सूरजभान का वर्चस्व

बिहार के इतिहास में एक दौर था जब रेलवे का कोई ठेका सूरजभान के सिग्नल के बिना पास ही नहीं होता था. पटना से गोरखपुर तक उनकी पहचान बताई जाती थी. 50 से ज्यादा मुकदमों में नाम, जनता में अच्छी पकड़, अपराध के बीच में भी असर बनाने वाले सूरजभान सिंह 2004 में रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर सांसद बने. 

लेकिन बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें चुनावी राजनीति से बाहर होना पड़ा. फिर राजनीति की कमान उनकी पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह के हाथों में चली गई. दोनों सांसद बने और एक वक्त में दिल्ली से लेकर मोकामा तक सूरजभान फैक्टर फिर से दिखना शुरू हुआ. और अब वहीं मोकामा फिर से सुर्खियों में है. 

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मोकामा सीट का सियासी समीकरण क्या है?

अब चुनावी साल में यह सवाल आता है कि आखिर इस हॉट सीट का समीकरण क्या है? आपको बता दें कि मोकामा सीट हमेशा से जातीय और सामाजिक समीकरणों के आधार पर प्रभावित होती रही है. यहां पर यादव, भूमिहार, कुशवाहा, मुस्लिम वोटरों की संख्या निर्णायक भूमिका निभाती है. अनंत सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं और इस वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ भी है. वहीं पर आरजेडी को यादव और मुस्लिम वोटरों का जो परंपरागत समर्थन है, वह मिलता रहा. ऐसे में दोनों के बीच में मुकाबला त्रिकोणीय के बजाय अब सीधे तौर पर कांटे का भी हो सकता है. 

25 साल पहले इसी सीट पर अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को हराकर सूरजभान सिंह विधायक बने थे और उस चुनाव ने मोकामा की राजनीति की दिशा ही बदल दी थी. अब वही सीन एक बार फिर से बनता दिख रहा है. अनंत सिंह मोकामा क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं. गरीब और ग्रामीण इलाकों में उनकी गहरी पैठ है. वे मोकामा के राजनीति में लंबे समय से खिलाड़ी रहे हैं. जेल में रहने के बावजूद राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे. जेडीयू ने फिर से एक बार उन पर भरोसा जताया है. तो यह मुकाबला और भी रोचक हो गया. 

इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह चुनाव और दिलचस्प होगा क्योंकि यह आरजेडी और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला होगा. एनडीए और महागठबंधन के अलावा जन सुराज भी यहां से अपना प्रत्याशी उतारेगा जिससे की यह एक त्रिकोणीय मुकाबला बन जाएगा. तो त्रिकोणीय मुकाबला में कौन जीतेगा, कौन क्या करेगा, यह आने वाले वक्त में पता चलेगा. 

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