बिहार में सियासी घमासान! अमित शाह की चाल से महागठबंधन में हलचल, किसकी रणनीति होगी हिट?
Bihar Politics:बिहार की राजनीति में उथल-पुथल तेज़ है. अमित शाह की बूथ मैनेजमेंट रणनीति भाजपा को मजबूती दे रही है, तो महागठबंधन भी नए समीकरण साधने में जुटा है. क्या भाजपा अकेले दम पर बिहार फतह कर पाएगी, या महागठबंधन देगा कड़ी टक्कर?
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Bihar News:बिहार की राजनीति में हलचल: अमित शाह की रणनीति बनाम महागठबंधन की मजबूती
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. आगामी चुनावों को देखते हुए भाजपा और महागठबंधन दोनों ही अपनी रणनीतियों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जदयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी अपनी चुनावी रणनीति को नए सिरे से तैयार कर रहे हैं.
नीतीश कुमार के प्रति भाजपा का बदला रुख
हाल ही में बिहार में अमित शाह की सक्रियता बढ़ी है, लेकिन इस बार उनके भाषणों में नीतीश कुमार का नाम नदारद रहा. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब उन्हें नीतीश कुमार की आवश्यकता नहीं है. भाजपा यह भी मान रही है कि नीतीश कुमार अब मजबूरी में ही एनडीए में बने रहेंगे. वहीं, नीतीश कुमार ने भी अपने राजनीतिक संकेत देने में देरी नहीं की. पटना के गांधी मैदान में ईद के मौके पर टोपी पहनकर नमाजियों के बीच जाकर उन्होंने अपने रुख को साफ कर दिया.
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महागठबंधन की रणनीति और भाजपा की चिंता
महागठबंधन इस बार एक लचीले रुख के साथ चुनावी मैदान में उतर रहा है. राहुल गांधी टीम बना रहे हैं और कन्हैया कुमार को भी सक्रिय कर दिया गया है. कांग्रेस ने बिहार में एक दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है, जिससे सामाजिक समीकरणों में एक नया संतुलन बन सके. वहीं, लालू यादव ने सीट शेयरिंग को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी या हड़बड़ी नहीं दिखाई है.
अमित शाह की चुनावी रणनीति
अमित शाह ने बिहार दौरे के दौरान यह संकेत दे दिया कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और जीतेगी. उन्होंने लालू यादव के कथित 'जंगलराज' को याद दिलाया, लेकिन नीतीश कुमार की पिछले 8-10 वर्षों की उपलब्धियों पर कोई चर्चा नहीं की. यह भाजपा की स्पष्ट रणनीति को दर्शाता है कि अब पार्टी का फोकस पूरी तरह से अपने दम पर बिहार जीतने पर है.
बूथ मैनेजमेंट: भाजपा की मास्टर प्लान
अमित शाह ने चुनावी जीत के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की रणनीति को बिहार में लागू करने की योजना बनाई है. भाजपा कमजोर बूथों पर विशेष ध्यान दे रही है. वहाँ महिला नेताओं को तैनात किया जा रहा है, एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय के प्रभावशाली कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी जा रही हैं. स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को बूथ स्तर पर सक्रिय किया जा रहा है, जिससे भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ाया जा सके. यही रणनीति महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सफल रही थी, और अब इसे बिहार में दोहराने की तैयारी है.
क्या विपक्ष इस रणनीति को मात दे पाएगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस, राजद और अन्य विपक्षी दल भाजपा की इस रणनीति का क्या तोड़ निकालते हैं. क्या तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार और कांग्रेस बूथ स्तर पर भाजपा को मात देने के लिए अपनी रणनीति बदलेंगे? क्या प्रशांत किशोर कोई नया खेल खेल सकते हैं? ये सभी सवाल बिहार की राजनीति के भविष्य को तय करेंगे.
आगामी चुनावों में यह मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. भाजपा ने अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है, जबकि महागठबंधन भी मजबूती से अपनी स्थिति बना रहा है. अब यह देखना होगा कि कौन सी पार्टी बिहार की जनता का विश्वास जीतने में सफल होती है.
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