चिराग पासवान ने क्यों कही मंत्री पद पर लात मारने की बात, दोहराएंगे 2020 वाली कहानी? समझिए

हर्षिता सिंह

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Bihar: "अगर हुआ हमारे लोगों के साथ अन्याय तो चिराग पासवान एक मिनट में छोड़ देंगे मंत्री पद". चिराग पासवान के इस बयान ने बिहार की राजनीति में सनसनी मचा दी है. चिराग के एक बयान से बवाल मच गया है. सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. वहीं सवाल उठने लगे हैं कि आखिर चिराग पासवान को ये बयान क्यों देना पड़ा. अचानक ऐसा क्या हुआ कि चिराग पासवान को मंत्री पद त्यागने की बात तक कहने की नौबत आ गई. क्या चिराग बिहार में एक बार फिर 2020 वाली कहानी रिपीट करने जा रहे हैं. क्या 2025 के पहले बिहार में कोई ब़ड़ा सियासी खेला देखने को मिल सकता है. क्या 2025 के चुनाव से पहले चिराग बिहार में चौका सकते हैं. ये वो सवाल है जो बिहार की राजनीति में फिलहाल चिराग के एक बयान के बाद से उठ रहे हैं. 

समझिए चिराग के बयान के मायने 

चिराग पासवान ने ये बयान एसएसटी वर्ग के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में दिया. जहां चिराग पासवान ने आरक्षण और एसएसटी के साथ होने वाले अन्याय को लेकर सवाल उठाया और इसको समझाने के लिए कई उदाहरण दे दिए. इसी बीच चिराग ने कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी पार्टियों पर भी जमकर निशाना साधा और बोलते-बोलते जोश में आए. चिराग ने मंच से एनडीए को संदेश दे दिया कि अगर उनके रहते गठबंधन में उनके किसी भी साथी के साथ उनके समाज के लोगों से साथ अन्याय होगा तो पिता की राह पर चलेंगे और सेकेंड भर में मंत्री पद को लात मार देंगे. उसमें संकोच नही करेंगे...हालांकि इस बीच चिराग ने मंच से पीएम मोदी की खूब तारीफ भी की.

लेकिन चिराग पासवान के तेवर पर अगर आप गौर करेंगे तो चिराग का अंदाज पहले से थोड़ा बदला-बदला सा नजर आता है. पहले तो चिराग पासवान ने बीजेपी के कई फैसलों का विरोध किया. एनडीए में रहने के बावजूद जिस तरह से चिराग पासवान एक के बाद एक अपनी अलग राय दे रहे थे. उससे बीजेपी की भी टेंशन बढ़ती हुई नजर आई. चिराग पासवान के एक के बाद एक आ रहे बयान में सिर्फ विरोध, विरोध विरोध ही नजर आ रहा था. हालांकि फिर इस बीच दिल्ली में शाह से चिराग की मुलाकात हुई. पशुपति पारस के एंट्री हुई जिसके बाद चिराग थोड़े नरम नजर आए और अब एक बार फिर चिराग कड़क अंदाज में नजर आ रहे हैं.

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2020 की कहानी दोहराएंगे  चिराग पासवान

अब चिराग के बयान और ऐलान को देख कर सवाल उठने लगे हैं कि क्या चिराग 2025 में भी 2020 वाली कहानी दोहराएंगे. क्या 2025 में चिराग पासवान कोई बड़ा झटका देंगे, लोकसभा तो हो गया लेकिन विधानसभा में क्या बिहार की सियासत में कुछ बदलाव देखने के मिलेगा. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बिहार में चिराग पासवान ने 100 % स्ट्राइक रेट दिया. उसके बाद से चिराग पासवान बिहार में ताकतवार नेता के तौर पर उभर कर सामने आए. चिराग पासवान के ताजा बयान को बिहार चुनाव और एनडीए में उनकी असहजता से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार ने बताई बात

इसकी पीछे दो वजह मानी जा रही है. वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि चिराग पासवान अपनी एक अलग आइडेंटिटी सेट करने की कोशिश में हैं. जिसको लेकर विचार अक्सर एनडीए में अलग से देखे जा रहे हैं. चिराग अलग पार्टी लाइन पर चलना चाहते हैं, जो एनडीए से मेल नहीं खाता. इसके पीछे दूसरी वजह ये बताई जाती है कि चिराग को एनडीए में रहते हुए भी बिहार में कुछ खास हासिल नहीं हुआ. चिराग अपने प्रदर्शन के बल पर केंद्र में मंत्री तो बन गए लेकिन कुछ खास हासिल होता हुआ नहीं दिखा.

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चिराग का मेन फोकस बिहार की राजनीति पर है. ऐसे में ये समझना होगा कि चिराग पासवान अगर एक मिनट में मंत्री पद छोड़ने की बात कर रहे हैं तो उनका पूरा फोकस कहां है. नीतीश कुमार के बाद बिहार के सीएम को लेकर जारी रेस भी है. तेजस्वी से लेकर प्रशांत किशोर तक इस रेस में है. वहीं अगर चिराग की बात कर ली जाए तो चिराग भी धीरे-धीरे अब अलग राज्यों में एंट्री लेते दिख रहे हैं. चिराग नागालैंड में विधायक होने का हवाला देते हैं और झारखंड की 40 विधानसभा सीटों पर अच्छे जनाधार का दावा कर रहे हैं. चिराग का ये तमाम कदम और बयान बड़े बदलाव की तरफ संकेत दे रहे हैं.

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