चुनाव से पहले फिर घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? कच्चे तेल के दामों में आई गिरावट
Crude Oil: केंद्र सरकार ईंधन की कीमतों में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें नौ महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.
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Crude Oil: केंद्र सरकार ईंधन की कीमतों में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें नौ महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. यह गिरावट जनवरी के बाद से सबसे बड़ी है, जिसने तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ाया है और उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना बढ़ा दी है. सूत्रों के अनुसार, सरकार के इस कदम को आगामी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के संदर्भ से जोड़कर देखा जा रहा है, जो कि ये राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
इकोनॉमिक सर्वे 2023-24
इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 के अनुसार, भारत पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती करने वाला एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है. सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड पर टैक्स को घटाकर 4,600 रुपये प्रति टन कर दिया है, जो 1 अगस्त से लागू होगा. यह कदम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच उठाया गया है, जिसने देश की अर्थव्यवस्था पर पॉजिटिव प्रभाव डाला है.
अमेरिकी कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है, जबकि ब्रेंट कच्चा तेल भी 1 डॉलर प्रति बैरल गिरकर 72.75 डॉलर पर आ गया है. यह गिरावट अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डिमांड और सप्लाई के असंतुलन का नतीजा है.
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अंतर्राष्ट्रीय बाजार के प्रभाव
लीबिया के तेल की वापस बाज़ार में मौजूदगी, ओपेक+ द्वारा प्रोडक्शन कटौती को वापस लेने का फैसला, और गैर-ओपेक स्रोतों से बढ़ते प्रोडक्शन ने कीमतों में दबाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि तेल की कीमतें 70 से 85 डॉलर प्रति बैरल के बीच में बनी रहेंगी, जिससे बाजार में स्थिरता की संभावना बनी रहेगी.
गोल्डमैन सैक्स जैसी वित्तीय ऑर्गेनाइजेशन का अनुमान है कि अगर कीमतें इसी स्तर पर स्थिर रहती हैं, तो इससे अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और खासतौर से भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पॉजिटिव असर पड़ेगा.
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उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत
मौजूदा हालातों में अगर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो केंद्र सरकार रिटेलर्स से दरें स्थिर रखने की डिमांड कर सकती है. पिछले साल, केंद्र ने आम चुनावों से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली थी.
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इसी प्रकार, आगामी समय में भी ईंधन की कीमतों में कटौती की संभावना बनी हुई है. इस फैसले से न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि यह सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी फायदेमंद भी साबित हो सकता है.
रिपोर्ट- चेतन भूटानी
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