भारत के खिलाफ टैरिफ War में कैसे फंसे मुकेश अंबानी? अमेरिका ने बिना नाम लिए क्यों बनाया निशाना
इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के विशेष साप्ताहिक कार्यक्रम हिसाब-किताब में इस पूरे मामले को समझिए...अमेरिका ने अंबानी को टैरिफ वार में क्यों घसीटा ?
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भारत और अमेरिका के बीच में ट्रेड वॉर चल रहा है. अमेरिका की दो शिकायतें हैं. पहली- भारत टेरिफ किंग है. यानी अमेरिका का जो सामान भारत में आता है उस पर भारत बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है. दूसरा- भारत रूस से तेल खरीदता है और यह तेल खरीद कर कहीं ना कहीं रूस की मदद यूक्रेन में युद्ध लड़ने के लिए कर रहा है.
अब बात यहीं तक नहीं है. अमेरिका ने बिना नाम लिए भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी को मामले में घसीट लिया है. अमेरिका ने परोक्ष रूप से मुकेश अंबानी पर भी आरोप लगाए हैं. सवाल ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ समारोह में शरीक होने वाले मुकेश अंबानी पर अमेरिका अब खफा क्यों है? मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में ट्रंप की बेटी शरीक होती हैं. माना जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अंबानी परिवार के अच्छे संबंध हैं. फिर अचानक क्या हुआ कि दो टैरिफ के बहाने अमेरिकी अधिकारी मुकेश अंबानी पर भी निशाना साधने लगे हैं?
इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के विशेष साप्ताहिक कार्यक्रम हिसाब-किताब के जरिए इस पूरे मामले को समझिए.
क्या है पूरा मामला ?
टैरिफ वार के बीच अमेरिका की शिकायत पर भारत का जवाब...विदेश मंत्री बोले- अमेरिका के कहने पर ही भारत रूस से तेल खरीद रहा था. क्योंकि तब अमेरिका चाहता था कि भारत रूस से तेल खरीदे. सस्ता तेल यूरोप और अमेरिका में जाएगा तो उससे दुनिया में तेल की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेंगी और हुआ भी ऐसा ही था.
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इस ट्रेड वॉर के बीच एक नया पहलू आया. वो ये कि...भारत के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी पर अमेरिका अब अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साध रहा है. अमेरिका का दावा है कि इस रूसी तेल का फायदा उनके (अंबानी) परिवार को और उनकी कंपनी को हुआ है.
अमेरिका के दो अधिकारी हैं...पहला स्कॉट बेसेंट जो कि ट्रेजरी सेक्रेटरी हैं. जैसे भारत के में वित्त मंत्री होते हैं उनके बराबरी का दर्जा अमेरिका में ट्रेजरी सेक्रेटरी का होता है. दूसरे हैं पीटर नवारो. ये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर हैं.
दोनों अधिकारियों ने क्या कहा?
इन दोनों अधिकारियों ने पिछले हफ्ते भर में मुकेश अंबानी का नाम लिए बिना उन पर इस रूसी तेल से फायदा उठाने का आरोप लगाया है. स्कॉट बेसेंट ने CNBC को दिए एक इंटरव्यू बताया कि सस्ता रूसी तेल बेचकर भारत ने 16 बिलियन डॉलर का फायदा उठाया है. 16 बिलियन डॉलर यानी 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपए. उन्होंने आगे कहा- भारत के कुछ अमीर परिवारों को इसका मुनाफा मिला है. सीधे तौर पर जो रिफाइनिंग का काम करते हैं. कुल मिलाकर वे मुकेश अंबानी की तरफ इशारा कर रहे हैं.
पीटर नवारों ने क्या कहा?
इसी तरह पीटर नवारो ने भी फ़ाइनेंसियल टाइम्स में पिछले हफ्ते एक लेख लिखा. इसमें उन्होंने स्कॉट बेसेंट से ही मिलती जुलती बात कही. उन्होंने कहा कि भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा. भारत ने उसको रिफाइन बाकी दुनिया में बेचकर मुनाफा कमाया. यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से ना के बराबर यानी 1-2 फीसदी ही तेल खरीदता था...अब वो आंकड़ा 35 से 40 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है.
भारतीयों तक नहीं पहुंचा सस्ते तेल का फायदा?
रूसी कच्चा तेल कम दामों में भारत ने खरीदा. उसे यहां की रिफाइनरी में रिफाइन कराकर पेट्रोल, डीजल, कोलतार अलग किया. भारत की जनता को उतना लाभ नहीं मिला जितना सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिला.
फाइनेंसियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की रिफाइनरीज जैसे इंडियन ऑयल है, एचपीसीएल है, बीपीसीएल...ये सरकारी क्षेत्र की हैं. वहीं निजी क्षेत्र में मुकेश अंबानी की Reliance Industries है. सस्ते रूसी तेल से इन सबको मिलाकर पिछले 3-4 सालों में करीब 16 बिलियन डॉलर यानी ₹1 लाख 32,000 करोड़ का फायदा हुआ है.
दावा- 500 करोड़ का फायदा Reliance Industries को
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 500 करोड़ का फायदा तो अकेले मुकेश अंबानी की Reliance Industries को हुआ है. यह बात सही है कि भारतीय कंपनियों को इसका फायदा हुआ है, लेकिन बिना नाम लिए मुकेश अंबानी पर निशाना साधा गया है वो थोड़ा चौंकाने वाला है. माना जाता है कि मुकेश अंबानी के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अच्छे संबंध हैं.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और अमेरिका के ट्रेड वॉर के में कहीं ना कहीं मुकेश अंबानी फंस गए हैं. कहते हैं न... 'एवरीथिंग इज फेयर इन लव एंड वॉर'. तो इस ट्रेड वॉर में ट्रंप या अमेरिका रिश्तों की भी परवाह किए बिना मुकेश अंबानी पर निशाना साधने से चूक नहीं रहे हैं.
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