वाहनों से तोड़फोड़, पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी...छत्तीसगढ़ में कोयला खदान विरोध प्रदर्शन ने लिया हिंसक रूप

तमनार में कोयला खनन प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहा ग्रामीणों का प्रदर्शन शनिवार यानी 27 दिसंबर को हिंसक हो गया. जिसमें पुलिसकर्मियों पर हमला हुआ और कई सरकारी और निजी गाड़ियों में आग लगा दी गई. कांग्रेस ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है जबकि प्रशासन का कहना है कि हालात अब नियंत्रण में हैं और मामले की जांच जारी है.

छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन
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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार इलाके में शनिवार को कोयला खनन प्रोजेक्ट के खिलाफ चल रहा ग्रामीणों का प्रदर्शन अचानक हिंसक गया. इस दौरान पहले पत्थर चले फिर गाड़ियों में आग लगी और देखते ही देखते पूरा इलाका तनाव की चपेट में आ गया. पुलिस के कई जवान घायल हुए और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा.

दरअसल गारे पेल्मा सेक्टर-I कोयला ब्लॉक से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर 14 गांवों के लोग बीते कई दिनों से नाराज थे. 8 दिसंबर को हुई जन सुनवाई को वे गलत बताते हुए 12 दिसंबर से लिब्रा गांव के CHP चौक पर धरने पर बैठे थे. प्रशासन की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि शनिवार सुबह करीब 300 लोग वहां जुटे और कुछ ने सड़क जाम कर दिया जिससे ट्रैफिक बाधित हो गया.

पुलिस अधिकारियों ने लोगों को समझाया

सुबह करीब 10 बजे राजस्व और पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझाया और उन्हें तय विरोध स्थल पर लौटने के लिए मना लिया. लेकिन थोड़ी ही देर में आसपास के गांवों से लोग जुड़ते गए और भीड़ बढ़कर लगभग एक हजार तक पहुंच गई. लाउडस्पीकर से लगातार शांति बनाए रखने की अपील की जाती रही, मगर दोपहर करीब ढाई बजे हालात बेकाबू हो गए.

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भीड़ ने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए और लाठियों व पत्थरों से हमला कर दिया. इस झड़प में तमनार के एसडीओपी अनिल विश्वकर्मा, थाना प्रभारी कमला पुसम और एक कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गए. जबकि कई महिला पुलिसकर्मियों समेत अन्य जवानों को भी चोटें आईं. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस बस, एक जीप और एक एम्बुलेंस को आग के हवाले कर दिया और कई अन्य सरकारी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया.

कोयला प्लांट में घुस गई भीड़

इतना ही नहीं, गुस्साई भीड़ जिंदल पावर लिमिटेड के कोयला हैंडलिंग प्लांट में घुस गई. यहां एक कन्वेयर बेल्ट, दो ट्रैक्टर और कई अन्य गाड़ियों में आग लगा दी गई, साथ ही ऑफिस परिसर में तोड़फोड़ भी की गई. लाइलुंगा की विधायक विद्यावती सिदार, कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी और एसपी दिव्यांग पटेल मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत कराने की कोशिश की लेकिन तब तक हालात काफी बिगड़ चुके थे. प्रशासन का कहना है कि बाद में भी दोबारा पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं हुईं.

स्थिति तनापूर्ण लेकिन नियंत्रण में

फिलहाल पुलिस के मुताबिक स्थिति तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन नियंत्रण में है और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि ग्रामीण पिछले करीब 15 दिनों से शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे और प्रशासन उनकी बुनियादी जरूरतों का ध्यान रख रहा था.

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उनका आरोप है कि सरकार उद्योगपतियों के दबाव में ग्रामीणों और आदिवासियों को उनकी जमीन और जंगलों से हटाने की कोशिश कर रही है. बैज का दावा है कि गारे पेल्मा सेक्टर-I में कोयला ब्लॉक के आवंटन और जन सुनवाई को लेकर लोग शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे थे, लेकिन सरकारी रवैये ने उन्हें भड़का दिया जिससे हालात इस कदर बिगड़ गए.

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