कांवड़ यात्रा से पहले मीट दुकानों पर सियासत तेज, दिल्ली में भी बंदी के आसार, व्यापारी बोले- रोजी रोटी पर संकट
Kanwar Yatra 2025:11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश के बाद अब दिल्ली में भी मीट की दुकानों को बंद करने की तैयारी है. इस फैसले से जहां धार्मिक संगठनों ने समर्थन जताया है, वहीं दुकानदारों में असमंजस और नाराजगी है.
ADVERTISEMENT

Kanwar Yatra 2025: सावन के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होने जा रही है. इससे लेकर तैयारियां जाेरों पर हैं. इस बीच अब दिल्ली से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि यहां भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मीट की दुकानों को बदं रहेंगी.
इस पर दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली में मीट दुकानों को खोलने की परमिशन नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा कि राजधानी में अधिकतर मीट की दुकानें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं. हालांकि अभी तक दिल्ली पुलिस की तरफ से कांवड़ यात्रा के रूट को लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है.
व्यापारियों में असमंजस, नोटिस का इंतजार
अब इसके बाद से दिल्ली के दुकान वालो के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है. बताया जा रहा है कि इसे लकेर दुकानदारों अभी तक कोई आधिकारिक निर्देश या नोटिस नहीं मिला है. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मीट कारोबारियों का कहना है कि वे सरकार के फैसले का सम्मान करेंगे.
यह भी पढ़ें...
लेकिन इससे उनकी मासिक आमदनी पर असर पड़ेगा. वही, दिल्ली-NCR की सबसे बड़ी मंडी गाजीपुर में भी इस बंदी से प्रभावित हो सकती है. ये मंडी दिल्ली से सटे कई शहरों को मीट की आपूर्ति करती है और कांवड़ मार्ग से सटी हुई है. ऐसे में इसके संचालन पर सवाल उठ रहे हैं.
दुकानदार बोले-हमारी दुकानें वैध हैं
मीट कारोबारियों ने सरकार के रुख पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उनकी दुकानें अवैध नहीं हैं. वे नगर निगम के अंतर्गत वैध रूप से पंजीकृत हैं. इसके बावजूद हर बार धार्मिक आयोजनों पर दुकानें बंद करने की बात कही जाती है, जिससे व्यापार प्रभावित होता है.
चेंबर ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की बंदी की मंजूर
दिल्ली सरकार के इस कदम को चेंबर ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) का समर्थन मिला है. ब्रजेश गोयल ने कहा कि अगर 13 दिनों की बंदी से करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होने से बचती हैं, तो यह नुकसान भी मंजूर है. उनका मानना है कि यह सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है.
ये भी पढ़ें: कागजों तक ही सिमट कर रह गई है दिल्ली की लाडली योजना! 15 साल में 60% कम हुए लाभार्थी, RTI से हुआ खुलासा