C Voter Survey: सीएम नीतीश कुमार से कितनी संतुष्ट है बिहार की जनता, सी वोटर सर्वे में खुलासा

न्यूज तक

C Voter सर्वे के मुताबिक, नीतीश कुमार के काम से जनता नाराज नहीं है, लेकिन उनकी सक्रियता की कमी लोगों को खल रही है. उनकी गैरमौजूदगी का असर जेडीयू की पकड़ और चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है.

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C voter Survey
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बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज़ है. इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, मुख्यमंत्री पद के दावेदारों और विभिन्न दलों की स्थिति को लेकर कयासों का दौर जारी है. इसी बीच, C Voter के मासिक ट्रैकर सर्वे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता और उनसे जनता की संतुष्टि को लेकर कुछ अहम बातें सामने आई हैं.

सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज से जनता में कोई बड़ी नाराजगी नहीं दिख रही है. मोटे तौर पर उनके काम को लोगों ने अच्छा ही आंका है और उनके प्रति सम्मान भी है. हालांकि, उनकी अनुपस्थिति लोगों को खल रही है. पिछले एक साल में नीतीश कुमार का पब्लिक स्पेस से दूर रहना, चाहे वो स्वास्थ्य कारणों से हो या अन्य कारणों से, उनकी लोकप्रियता के ग्राफ पर असर डाल रहा है.

यह स्थिति कुछ-कुछ वैसी ही है जैसी ओडिशा में नवीन पटनायक के साथ हुई, जहां स्वास्थ्य कारणों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय न रहने का खामियाजा बीजू जनता दल को भुगतना पड़ा.

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सीएम नीतीश कुमार से कितनी संतुष्ट है जनता

C Voter सर्वे के अनुसार जून महीने में 59% लोग नीतीश से संतुष्ट थे जबकि 39 प्रतिशत लोग असंतुष्ट. वहीं दूसरी तरफ जुलाइ महीने की बात की जाए तो उस महीने 58 प्रतिशत लोग सीएम के तौर पर नीतीश से संतुष्ट थे और 41 प्रतिशत नाखुश.

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फरवरी के आंकड़ों में पहले पायदान पर तेजस्वी

मुख्यमंत्री पद के लिए किए गए C Voter के सर्वे में फरवरी से अब तक के आंकड़ों पर नज़र डालें तो तेजस्वी यादव पहले पायदान पर बने हुए हैं, हालांकि उनका ग्राफ फरवरी के मुकाबले थोड़ा नीचे गया है. वहीं, प्रशांत किशोर दूसरे नंबर पर अपनी जगह बनाते दिख रहे हैं. नीतीश कुमार फिलहाल दूसरे और तीसरे स्थान के बीच झूल रहे हैं और ताज़ा ट्रैकर में उनके नंबर और नीचे गए हैं.

एनडीए के भीतर सम्राट चौधरी की लोकप्रियता बढ़ी है और वो पहली बार डबल डिजिट में पहुंच गए हैं. हालांकि, बीजेपी के वोटर एनडीए के किसी भी नेता का नाम लें, उनका वोटिंग इंटेंट ज़्यादातर एनडीए को ही जाता है. कुल मिलाकर, सीएम नीतीश के कामकाज से सीधी नाराज़गी न होने के बावजूद, उनकी सार्वजनिक अनुपस्थिति और अगली पीढ़ी द्वारा खाली हुए स्थान को न भर पाना जेडीयू के लिए एक चुनौती बन रहा है.

 

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