MP: ये है भगवान कृष्ण का 5000 साल पुराना स्कूल, जहां गुरु सांदीपनी ने सिखाई थी 64 विद्या और 16 कलाएं, जानें
Sandipni Ashram Ujjain: उज्जैन की पहचान यूं तो भगवान महाकाल के नाम से है, लेकिन इस धार्मिक नगरी की एक पहचान भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में भी है. मंगलनाथ रोड स्थित ऋषि सांदीपनि आश्रम में करीब साढ़े पांच हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का विद्याग्रहण संस्कार हुआ था.
ADVERTISEMENT

न्यूज़ हाइलाइट्स

सांदीपनि आश्रम में करीब साढ़े पांच हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का विद्याग्रहण संस्कार हुआ था.

आश्रम में श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण की थी.
Sandipni Ashram Ujjain: उज्जैन की पहचान यूं तो भगवान महाकाल के नाम से है, लेकिन इस धार्मिक नगरी की एक पहचान भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में भी है. मंगलनाथ रोड स्थित ऋषि सांदीपनि आश्रम में करीब साढ़े पांच हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का विद्याग्रहण संस्कार हुआ था. ऋषि सांदीपनि के आश्रम में श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण की थी. इस दौरान बाल्यकाल में ही उन्होंने 64 विद्या और 16 कलाएं सीखी थीं.
सांदीपनी आश्रम में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. हर वर्ष मंदिर में भगवान का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है, इस साल रंग-बिरंगे कागज के फूलों से शृ्ंगार किया जाएगा. रेलवे स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर दूरी पर इस स्थित इस धार्मिक स्थल पर दर्शन-पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

भगवान कृष्ण और सुदामा की भेंट
धर्म ग्रंथों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण अधर्मी राजा कंस का वध करने के बाद अपने भाई बलराम के साथ उज्जैन आए थे. संदीपनि ऋषि के आश्रम में श्रीकृष्ण ने चौंसठ दिन में चौंसठ विद्या और 16 कलाएं सीखी थीं. भगवान कृष्ण ने वेद-पुराण का अध्ययन भी किया. इसी आश्रम में ही कृष्ण और सुदामा की भी भेंट हुई, जो आज भी एक अटूट मित्रता के रूप में पहचानी जाती है.
भगवान कृष्ण ने 64 दिन में ग्रहण की विद्या
मंदिर के पुजारी रूपम व्यास ने मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि हर रोज यहां पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिन रहकर शिक्षा गहण की थी.भगवान ने 4 दिन में चार वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 कलाएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित उपनिषद, छंद, अलंकार आदि का ज्ञान प्राप्त किया. यहां पर भगवान श्री कृष्ण की बैठी हुई प्रतिमा के दर्शन होते हैं.
यह भी पढ़ें...

कृष्ण ने गुरु के लिए बनाया कुंड
इस स्थान पर एक कुंड भी है, जिसे गोमती कुंड कहा जाता है. इस कुंड में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु संदीपनि के स्नान के लिए गोमती नदी का जल उपलब्ध कराया था, इसलिए यह कुंड गोमती कुंड कहलाया. यहां पर गुरु संदीपनि, भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा की मृर्तियां स्थापित हैं.
6 हजार साल पुराना शिवलिंग और नंदी
आश्रम परिसर में स्थित श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर में 6000 वर्ष पुराना शिवलिंग स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि इसे महर्षि ने बिल्व पत्र से उत्पन्न किया था. इस शिवलिंग की जलाधारी में पत्थर के शेषनाग के दर्शन होते हैं. कहा जाता है कि इस तरह का दुर्लभ शिवलिंग पूरे भारत में एक ही है. इतना ही नहीं इस शिवलिंग के सामने बाहर खड़े हुए नंदी की एक छोटी सी दुर्लभ प्रतिमा है. इसे लेकर कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को आश्रम में अध्ययन करता देखकर नंदी जी चौंककर उठ गए थे, जिसके चलते पूरे भारतवर्ष में केवल सांदीपनी आश्रम में ही खड़े हुए नंदी की मूर्ति है.
विद्याग्रहण संस्कार कराने आते हैं लोग
मंदिर के पुजारी रूपम व्यास बताते हैं कि देशभर से लोग अपने बच्चे को पहली बार स्कूल भेजने के पहले यहां आकर उनका विद्यारंभ संस्कार कराते हैं. दूसरे यात्रियों को जब इसकी जानकारी मिलती है तो वे बच्चों का विद्या-बुद्धि संस्कार कराने को उत्सुक हो जाते हैं. बता दें कि सीएम मोहन यादव ने सांदीपनी आश्रम को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का ऐलान किया है.
ये भी पढ़ें: सावन के आखिरी सोमवार पर बाबा महाकाल को लगा सवा लाख लड्डुओं का भोग, अर्पित की गई राखी