BJP को 'सबक' सिखाने भागवत से मिले प्रवीण तोगड़िया! RSS की टॉप लीडरशिप के साथ क्या तैयार हो गया बड़ा प्लान?
Praveen Togadia: प्रवीण तोगड़िया, नाम तो सुना ही होगा आपने. विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जो कभी बीजेपी के लिए कट्टर हिंदू वोट बैंक को अपनी राजनीति के जरिए तैयार करते थे. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मतभेदों के चलते लंबे समय तक मुख्यधारा की राजनीति से साइडलाइन हो गए थे. वे एक बार फिर से लाइम लाइट में आते दिख रहे हैं.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

लंबे समय बाद प्रवीण तोगड़िया संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ दिखे.

नागपुर में बंद कमरे में दोनों के बीच हुई लंबी बातचीत.

पीएम नरेंद्र मोदी और तोगड़िया के बीच लंबे समय से हैं मतभेद.
Praveen Togadia: प्रवीण तोगड़िया, नाम तो सुना ही होगा आपने. विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जो कभी बीजेपी के लिए कट्टर हिंदू वोट बैंक को अपनी राजनीति के जरिए तैयार करते थे. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मतभेदों के चलते लंबे समय तक मुख्यधारा की राजनीति से साइडलाइन हो गए थे. वे एक बार फिर से लाइम लाइट में आते दिख रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा बोल गए कि बीजेपी आरएसएस पर निर्भर नहीं रही. माना गया कि चुनाव में आरएसएस ने हाथ खींचकर रखा. जून में बीजेपी को 10 साल में सबसे कम सीटें मिली. मोहन भागवत अहंकार को लेकर नसीहतें सुनाने लगे.
अब अचानक 6 साल बाद प्रकट हुए प्रवीण तोगड़िया. वो भी नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली के मंच पर मोहन भागवत के साथ. पहले मंच पर आमना-सामना हुआ. अगले दिन कमरे में दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई. कहा जा रहा है कि हिंदू हितों के नाम पर प्रवीण तोगड़िया ने बढ़िया से बीजेपी को लेकर मोहन भागवत के कान भरे.
क्या प्रवीण तोगड़िया की हो रही है वापसी?
पूरे 6 साल बाद संघ या उससे जुड़े किसी संगठन के कार्यक्रम में प्रवीण तोगड़िया आए.विजयादशमी के दिन मोहन भागवत ने हिंदू समाज को एकजुट होने की अपील की थी. 24 घंटे में दो हिंदुत्व लीडर मोहन भागवत और प्रवीण तोगड़िया की मुलाकात हो गई. बरसों बाद प्रवीण तोगड़िया खुद आए या बुलाए गए? क्यों आए या क्यों बुलाए गए? बीजेपी को बताकर आए या बीजेपी वालों ने सीधे टीवी पर मोहन भागवत के साथ देखा? किसी सवाल का जवाब है नहीं है.
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द हिंदू, न्यू इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों से बात करते हुए प्रवीण तोगड़िया ने मोहन भागवत से मिलने, देश के हालात, हिंदुत्व को लेकर इंटरव्यू दिए. कहा कि मुलाकात किसी मध्यस्थ से या किसी राजनीतिक मकसद से नहीं हुई. हां जब इतने लंबे साथ के बाद इतने वक्त बाद मुलाकात हुई तो सब मुद्दों पर चर्चा हुई.
प्रवीण तोगड़िया ने मोहन भागवत को क्या समझाया?
बीजेपी को लेकर प्रवीण तोगड़िया बहुत सॉफ्ट हैं नहीं. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक प्रवीण तोगड़िया ने मोहन भागवत को ये समझाया कि हिंदू किसी राजनीतिक रूप से किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है. ये भी कह गए कि बीजेपी राम मंदिर का चुनावी फायदा नहीं उठा सकी. 2014 के बाद पहले सबसे कम सीटों पर सिमटी है.
प्रवीण तोगड़िया को लग रहा है राम मंदिर आंदोलन से देश में सभी हिंदू जातियों को एक करने का मकसद हासिल हुआ लेकिन अब सारा किया धरा बेकार होने जा रहा है. मैं और संघ प्रमुख दोनों ऐसा मान रहे हैं. जो समाज स्वास्थ्य, शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों से जूझ रहा हो, वो भला धर्म की लड़ाई कैसे लड़ेगा. तोगड़िया के ऐसे बयानों और सवालों का निशाना बीजेपी है.
कौन हैं प्रवीण तोगड़िया?
प्रवीण तोगड़िया पैशन से स्वयंसेवक, एजुकेशन से एमबीबीएस, प्रोफेशनल से कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर रहे. पहचान बनी हार्डलाइनर हिंदुत्व लीडर वाली. बरसों तक आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन वीएचपी के साथ काम किया. जैसे-जैसे बीजेपी पर मोदी का असर बढ़ने लगा, प्रवीण तोगड़िया जैसे पुराने लोग पीछे छूटने लगे. 2014 के बाद वीएचपी जैसे संगठनों की सक्रियता और बीजेपी की निर्भरता कम होती गई. प्रवीण तोगड़िया को लगने लगा कि अब पूछ नहीं रही. 2018 में एक दिन ऐसा भी आया जब प्रवीण तोगड़िया ने वीएचपी समेत हर संगठन से नाता तोड़ लिया. हैरानी तब हुई जब जनवरी में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो प्रवीण तोगड़िया नहीं बुलाए गए.
प्रवीण तोगड़िया और नरेंद्र मोदी दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे. गुजरात में लगभग एक ही वक्त में अलग-अलग संगठनों में एंट्री ली थी. 1983 में प्रवीण तोगड़िया विश्व हिंदू परिषद में आए. 1984 में मोदी बीजेपी में. माना जाता है कि दोनों की बराबर मेहनत लगी गुजरात में बीजेपी को खड़ा करने में. इसका रिजल्ट ये हुआ कि 1995 में पहली बार गुजरात में बीजेपी की सरकार बनी. संगठन की ऐसी शक्ति बनी, ऐसी सरकार बनी जिसे आज तक कांग्रेस हिला नहीं पाई.
ऐसे बनी तोगड़िया और मोदी के बीच दूरियां
बीजेपी से बगावत करके सीएम बने शंकर सिंह वाघेला प्रवीण तोगड़िया से इतने नाराज थे कि सरकार में आने पर जेल में डाल दिया था. तब मोदी थे जिन्होंने प्रवीण तोगड़िया की रिहाई के लिए कैंपेन चलाया था. कहा जाता था 2001 में जब मोदी गुजरात के सीएम बनने की बात हो रही थी तब वीएचपी महासचिव होते हुए प्रवीण तोगड़िया ने जोरदार समर्थन किया था. तोगड़िया की सिफारिश से ही गोवर्धन झड़फिया मोदी सरकार में गृह मंत्री बने थे. हालांकि बाद में चीजें खराब होने लगी. तोगड़िया मोदी के खिलाफ बोलने लगे. पीएम बनने के बाद तो चीजें बदलते-बदलते खराब होती गईं.
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