पहलगाम अटैक से कुछ दिन पहले एजेंसियों को मिला था अलर्ट..कैसे रची गई पूरी घटना की साजिश, पता चला!

ललित यादव

Pahalgam Attack Planned Revealed: पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई. हमले से पहले खुफिया चेतावनी भी मिली थी. पूरी घटना में दक्षिण कश्मीर के दो आतंकियों ने दी मदद की थी, पहलगाम अटैक पर अब तक क्या-क्या पता चला देखिए...

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Pahalgam Attack Planned Revealed
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Pahalgam Attack Planned Revealed: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है. इस हमले में 25 टूरिस्ट और एक स्थानीय व्यक्ति की जान चली गई. एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार, हमले से कुछ दिन पहले ही खुफिया एजेंसियों को श्रीनगर और आसपास के होटलों में रहने वाले पर्यटकों पर हमले की चेतावनी मिली थी. इसके बावजूद, आतंकियों ने अपनी योजना को अंजाम दे दिया. 

खुफिया चेतावनी के बावजूद हुआ हमला

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हमले से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को पर्यटकों पर हमले की आशंका की जानकारी थी. खासकर, श्रीनगर के बाहरी इलाकों में होटलों को निशाना बनाए जाने की आशंका थी, क्योंकि दक्षिण कश्मीर में पहले भी नागरिकों की हत्या के मामले सामने आ चुके हैं. इस चेतावनी के बाद डल झील और मुगल गार्डन्स को देखने वाली जबरवान रेंज की तलहटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "पुलिस महानिदेशक सहित पुलिस के आला अधिकारी हमले से पहले कुछ दिनों तक घाटी में डेरा डाले हुए थे. खुफिया जानकारी के आधार पर दाचीगाम, निशात और आसपास के इलाकों में 10-15 दिन तक तलाशी अभियान चलाया गया." हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि खुफिया जानकारी बहुत स्पष्ट नहीं थी और इसे हमले के बाद ही पूरी तरह समझा जा सका.

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आतंकियों की योजना में स्थानीय समर्थन

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हमले में चार आतंकियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से दो दक्षिण कश्मीर के थे. ये दोनों आतंकी अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान गए थे, लेकिन उनके भारत वापसी का कोई रिकॉर्ड नहीं है. संभावना है कि वे जम्मू के कठुआ सीमा के रास्ते भारत में दाखिल हुए. 

अधिकारियों के अनुसार, दक्षिण कश्मीर के इन दो आतंकियों ने हमले से पहले पर्यटकों के साथ घुलमिल कर उन्हें एक फूड कोर्ट परिसर में इकट्ठा किया, जहां पाकिस्तान से आए अन्य दो आतंकियों ने नजदीक से गोलीबारी की. अधिकारी ने बताया, "आतंकी 4-5 दिन तक बैसारन में थे, और यह स्थानीय समर्थन के बिना संभव नहीं था." 

आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल

सुरक्षा बलों को घटनास्थल से स्नाइपर राइफल, एम-सीरीज राइफल और कवच-भेदी गोलियां जैसे एडवांस हथियार मिले हैं. अधिकारियों का मानना है कि ये हथियार अफगानिस्तान में नाटो सेना के बचे हुए गोला-बारूद हो सकते हैं. आतंकियों के बीच वायरलेस संचार के संकेत भी खुफिया एजेंसियों ने पकड़े थे, लेकिन उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए संचार सेट के कारण बातचीत को समझा नहीं जा सका.

अधिकारियों ने इस घटना को अतीत की घटनाओं से जोड़ा. एक अधिकारी ने कहा, "2006 में श्रीनगर में गुजरात के पर्यटकों को ले जा रही बस पर हमला हुआ था, जिसमें चार पर्यटक मारे गए थे. पर्यटन को शांति का सूचक मानना हमेशा खतरनाक रहा है." केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में बढ़ते पर्यटन को सामान्य स्थिति की वापसी का प्रतीक बताया था, लेकिन इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

आगे की चुनौतियां

पहलगाम हमले ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने कई सवाल खड़े किए हैं. आतंकियों की आवाजाही, स्थानीय समर्थन और आधुनिक हथियारों की उपलब्धता चिंता का विषय है. सरकार और सुरक्षा बल अब इस घटना से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

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