एक्सप्लेनर: टैरिफ पर भारत से तकरार, पड़ोसियों से प्यार...ट्रंप के टैरिफ गेम के क्या हैं मायने?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर दबाव बढ़ाया है, जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश को राहत दी है. ट्रंप की इस रणनीति से भारत, पड़ोसियों और एशिया की राजनीति पर क्या असर होगा?
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ को लेकर दुनिया भर में बवाल मचा हुआ है. पूरे विश्व में यदि किसी देश के टैरिफ की चर्चा जोरों पर है तो वो है भारत और ब्राजील. दोनों देशों पर डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है. भारत के लिए तो टैरिफ को 50+ करने का इशारा भी किया है.
भारत के पड़ोसी देशों पर नजर डालें तो वहां ट्रंप ने खूब मेहरबानी दिखाई है. अमेरिका ने पाकिस्तान पर 19 और बांग्लादेश पर 20 फीसदी टैरिफ लगाया है. चीन पर फिलहाल 30 फीसदी ही टैरिफ है.
भारत मुकाबले कम टैरिफ वाले पड़ोसी देश | इतने कम |
चीन | 40 फीसदी |
पाकिस्तान | 62 फीसदी |
बांग्लादेश | 60 फीसदी |
अब सवाल ये है कि कभी भारत को अपना दोस्त बताने वाले ट्रंप भारत पर ही भारी-भरकम टैरिफ क्यों झोंक रहे हैं? वहीं भारत के पड़ोसियों पर नरमी दिखा रहे हैं?
पाकिस्तान पर ट्रंप की मेहबानी क्यों?
पाकिस्तान के साथ ऑयल डील: ट्रम्प ने पाकिस्तान के साथ ऑयल डील भी की है. इसके तहत अमेरिका, पाकिस्तान में तेल की खोज, प्रोसेसिंग और स्टोरेज बनाने में मदद करेगा.
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पाकिस्तान को फायदा: पाकिस्तान के निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा कपड़ा (80 फीसदी) है. टैरिफ कम होने से अमेरिका के बाजार में पाकिस्तानी कपड़े के बाजार की हिस्सेदारी बढ़ेगी. अमेरिका की मदद से पाकिस्तान को IMF से वित्तीय मदद भी मिल सकती है.
भारत पर असर: एशियायी क्षेत्र में अमेरिका के कपड़ा बाजार में भारत की हिस्सेदारी कम होगी जिसका फायदा पाकिस्तान को हिस्सेदारी बढ़ने से मिलेगा. पाकिस्तान अमेरिका के सपोर्ट से अपनी क्षेत्रीय स्थित को मजबूत कर सकता है. इसके उलट भारत से अमेरिका के संबंध में तनाव बढ़ने से इसके पूरा फायदा पाकिस्तान ले सकता है.
बांग्लादेश को भी कम टैरिफ का तोहफा
बांग्लादेश पर 20 फीसदी टैरिफ का असर: बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. 2024 में इसका निर्यात 8 अरब डॉलर (70 हजार करोड़ रुपए) था. इसके ऊपर टैरिफ कम होने और भारत पर ज्यादा होने से अमेरिकी बाजार में कपड़े के साथ इसकी हिस्सेदारी बढ़ सकती है. अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल इसके कपड़े का कारोबार 85 हजार करोड़ को पार कर सकता है.
भारत पर इसका असर: पिछले दिनों ट्रंप ने कहा था...बांग्लादेश के हितों को हमारा फ्रेंड भारत देखेगा. अब मामना जा रहा है कि टैरिफ कम करके ट्रंप बांग्लादेश के मामलों में सीधे एंट्री चाहते हैं. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कपड़ा उद्योग है. यानी कम टैरिफ से उसके अर्थव्यवस्था को सपोर्ट कर कहीं न कहीं बांग्लादेश में भारत को भूमिका को सीमित करना अमेरिका के प्लान का एक हिस्सा हो सकता है.
ध्यान देने वाली बात है कि 2024 में दुनिया के 9 बड़े कपड़ा निर्यातक में चीन (165.2 अरब डॉलर) टॉप पर है. बांग्लादेश दूसरे नंबर, वियतनाम तीसरे, तुर्की चौथे और भारत पांचवे नंबर है. भारत के बाद कंबोडिया और उसके बाद पाकिस्तान का नंबर आता है. इसके बाद बाद इंडोनेशिया और इसके बाद अमेरिका 7 अरब डॉलर के साथ सबसे निचले पायदान पर है.
ऐसे में भारत पर टैरिफ का बड़ा दबाव अमेरिकी बाजार में बांग्लादेश और पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग को बूस्ट देगा.
चीन को पहले धमकी फिर नरमी क्यों?
ट्रंप ने पिछलों दिनों चीन के साथ व्यापार युद्ध को कम करने का समझौता किया जिसके तहत 145 फीसदी तक पहुंचे टैरिफ दर को घटाकर 90 दिनों के लिए 30 फीसदी करने की सहमति दी. कुल मिलाकर ट्रंप चीन के साथ बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहते हैं.
भारत से इतने खफा क्यों हैं ट्रंप?
भले ट्रंप खुलेआम रूस से भारत के ऑयल डील को निशाना बना रहे हैं, लेकिन उनका मकसद अमेरिकी कृषि उत्पाद और डेयरी प्रोडक्ट्स को भारतीय बाजार में एंट्री दिलाने की है. वे इन प्रॉडक्ट्स पर भारत की ओर से कम टैरिफ चाहते हैं. भारत इसके लिए राजी नहीं है.
जानकारों की मानें तो इन अमेरिकी प्रोडक्ट्स को भारत में एंट्री मिली तो यहां के किसानों की आय पर असर होगा, जिसे लेकर भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसानों और देश हित से समझौता नहीं करेगा.
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