अब हर नए मोबाइल में होगा ‘संचार साथी’ ऐप, न कर पाएंगे डिलीट- न डिसेबल, क्या चाहती है सरकार

सरकार ने साइबर सुरक्षा और फर्जी IMEI रोकने के लिए सभी नए फोनों में ‘संचार साथी’ ऐप अनिवार्य कर दिया है, जिसे हटाया या बंद नहीं किया जा सकेगा. विपक्ष का आरोप है कि यह कदम नागरिकों की निजता का उल्लंघन है और फोन पर सरकारी निगरानी बढ़ाने की कोशिश है.

NewsTak
social share
google news

देश में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में अब एक सरकारी ऐप अपने-आप मौजूद होगा, नाम है ‘संचार साथी’. दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल कंपनियों को साफ निर्देश दिया है कि आने वाले सभी नए फोन में यह ऐप प्री-इंस्टॉल होना चाहिए और इसे कोई हटाया या डिसेबल नहीं कर सकेगा.

सरकार का कहना है कि यह कदम साइबर फ्रॉड रोकने, टेलीकॉम सुरक्षा मज़बूत करने और फर्जी या डुप्लीकेट IMEI वाले फोन की समस्या खत्म करने के लिए उठाया गया है लेकिन विपक्ष इसे लोगों की निजता में दखल और “सर्विलांस टूल” करार दे रहा है.

ऐप में ऐसा क्या खास है?

सरकार के मुताबिक ‘संचार साथी’ एक ऐसा प्लैटफॉर्म है जिससे आम लोग आसानी से अपने फोन की असलियत पता कर सकते हैं. ऐप में ये सुविधाएं दी गई हैं, 'फोन का IMEI डालकर पता कर सकते हैं कि डिवाइस असली है या नकली

यह भी पढ़ें...

  • कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज मिले तो तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं
  • खोया या चोरी हुआ फोन ब्लॉक कराने का विकल्प
  • अपने नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं, इसकी जानकारी
  • बैंक और फाइनेंशल संस्थानों के वेरिफाइड संपर्क नंबर

सरकार का दावा है कि फर्जी IMEI वाले फोन सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं. कई बार एक ही IMEI कई फोनों में चलता पाया जाता है, जिससे ट्रैकिंग और जांच मुश्किल हो जाती है.

मोबाइल कंपनियों को क्या करना होगा?

28 नवंबर 2025 को जारी आदेश के बाद हर नया फोन सेटअप के दौरान ‘संचार साथी’ दिखना चाहिए, ऐप पूरी तरह चालू और यूज करने लायक होना चाहिए, इसे हटाने, छिपाने या बंद करने की इजाजत कंपनियों को नहीं होगी, 90 दिन में मोबाइल कंपनियों को यह नियम लागू करना है, 120 दिन में कम्प्लायंस रिपोर्ट जमा करनी होगी, जो फोन पहले से दुकानों में पड़े हैं, उनमें अपडेट के जरिये यह ऐप जोड़ना होगा.

यह नियम Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo, Oppo, Google समेत सभी प्रमुख कंपनियों पर लागू है.

सरकार क्यों कह रही है कि यह कदम जरूरी है?

DoT का तर्क है कि भारत में सेकंड-हैंड फोन का बड़ा बाजार है. चोरी किए गए या ब्लैकलिस्टेड फोन दोबारा बेच दिए जाते हैं. ऐसे फोन खरीदार को अनजाने में अपराध में फंसा सकते हैं और आर्थिक नुकसान भी कर सकते हैं.

साथ ही, टेलीकॉम एक्ट के मुताबिक IMEI से छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध है 3 साल तक जेल, 50 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.

विपक्ष क्यों गुस्से में है?

इस फैसले के ऐलान के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है.

कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल का आरोप, 'यह निजता के अधिकार पर सीधा हमला है. आर्टिकल 21 हर नागरिक को प्राइवेसी देता है. एक ऐसा सरकारी ऐप जिसे हटाया ही नहीं जा सकता लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखने का तरीका बन जाएगा. यह असंवैधानिक है.'

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, 'यह तो पेगासस से भी आगे की चीज है… ‘पेगासस++’. सरकार हमारे फोन और निजी जिंदगी पर कब्जा चाहती है.'

आगे क्या?

सरकार इसे सुरक्षा के लिए अनिवार्य मान रही है जबकि विपक्ष इसे निगरानी बढ़ाने की कवायद बता रहा है. मोबाइल कंपनियों के पास नियम मानने के लिए तय समय है और इसके बाद भारत में बिकने वाला हर नया फोन ‘संचार साथी’ के साथ ही मिलेगा.

ये भी पढ़ें: जयपुर: खेत में प्रेमी से मिलने पहुंची 'विधवा' महिला, जेठ-ससुर ने रंगेहाथ पकड़ा, फिर दी गई ऐसी सजा की मचा हड़कंप

    follow on google news