पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, लंबी बीमारी के कारण अस्पताल में थे भर्ती
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. उन्होंने मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर अंतिम सांस ली.
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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की आयु में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में 7 जून को बताया था कि वो किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. सत्यपाल मलिक अपने स्पष्ट बयानों और राजनीतिक जीवन के कारण हमेशा चर्चा में रहे.
सत्यपाल मलिक ने मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली. यहीं उनका इलाज चल रहा था. सत्यपाल मलिक की तबीयत 11 मई को खराब हो गई थी. ज्यादा हालत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तभी से उनका इलाज यहां चल रहा था.
5 अगस्त का सत्यपाल मलिक से एक और कनेक्शन
सत्यापाल मलिक ने 5 अगस्त को आखिरी सांस ली. इसी दिन यानी 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था. तब सत्यपाल मलिक ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे. ये पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे. अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया.
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कौन हैं सत्यपाल मलिक
78 वर्षीय मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24, जुलाई 1946 को एक जाट परिवार में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1968-69 में छात्र नेता के तौर पर की थी. चौधरी चरण सिंह से निकटता की वजह से उन्होंने 1974 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया और बागपत से विधानसभा का चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद लोक दल और कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा सदस्य रहे. कांग्रेस पार्टी छोड़कर वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में शामिल हुए. अलीगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बने.
बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान मलिक बीजेपी में शामिल हो गए. मोदी सरकार में इन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया. करीब एक साल तक बिहार में काम करने के बाद उनको अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर राज्यपाल बनाया गया. हालांकि धारा 370 खत्म होने के कारण इन्हें पहले गोवा फिर मेघालय का राज्यपाल बनाया गया.
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