कभी बचाई थी बिहार में कांग्रेस की इज्जत, अब मिली राहुल गांधी की टीम में एंट्री, जानिए कौन है ये नेता

रूपक प्रियदर्शी

कसभा में कांग्रेस की नई टीम बनी है जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी होंगे. असम से सांसद गौरव गोगोई डिप्टी लीड़र, केरल से सांसद कुडिकुनील सुरेश चीफ व्हिप होंगे. दो व्हिप बनाए गए हैं तमिलनाडु से मणिक्कम टैगोर और बिहार से डॉ. मोहम्मद जावेद.

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

Congress: कांग्रेस के प्रति निष्ठा, राहुल गांधी की लीडरशिप में भरोसा और बीजेपी को हराकर जीतने की काबिलियत-ऐसी ही खासियत ने डॉ. मोहम्मद जावेद को स्पेशल बना दिया है. ऐसी ही काबिलियत और खासियत के कारण लोकसभा में व्हिप की जिम्मेदारी पाकर मोहम्मद जावेद ने पाया है कांग्रेस में तगड़ा प्रमोशन. लोकसभा में कांग्रेस की नई टीम बनी है जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी होंगे. असम से सांसद गौरव गोगोई डिप्टी लीड़र, केरल से सांसद कुडिकुनील सुरेश चीफ व्हिप होंगे. दो व्हिप बनाए गए हैं तमिलनाडु से मणिक्कम टैगोर और बिहार से डॉ. मोहम्मद जावेद. व्हिप मतलब संसद के अंदर पार्टी का क्लास मॉनीटर. 

किशनगंज बना कांग्रेस का अभेद्य किला 

मोहम्मद जावेद ने किशनगंज सीट को कांग्रेस का ऐसा किला बना दिया है जिसमें बीजेपी प्रचंड मोदी लहर में भी सेंधमारी नहीं कर सकी. 2014 के बाद बीजेपी ने किशनगंज सीट जेडीयू को पकड़ा दी. मोहम्मद जावेद के आगे जेडीयू का मुसलमान और बीजेपी का हिंदू उम्मीदवार भी जीत नहीं सका. 2009 से लगातार चौथी बार कांग्रेस ने किशनगंज सीट जीती. 2009 और 2014 में मौलाना इसरारुल हक जीते. कहा जाता है कि 2009 में कांग्रेस का टिकट पाते-पाते रह गए थे मोहम्मद जावेद. 2019 में टिकट मिलने के बाद 2024 में भी सीट मोहम्मद जावेद ने निकाल ली. 2019 के चुनाव में बीजेपी और जदयू ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती थी. अकेली 40वीं सीट मोहम्मद जावेद बीजेपी-एनडीए से कांग्रेस के लिए झपट लाए थे. 

बिहार की किशनगंज सीट ऐसी एक लोकसभा सीट है जिससे ये तय माना जाता है कि मुसलमान किस पार्टी को पसंद कर रहे हैं. किशनगंज में करीब 68 परसेंट मुसलमान वोट माने जाते हैं. राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर बिहार में घुसे तो उन्होंने किशनगंज को ही प्रवेश द्वार बनाया. किशनगंज में राहुल गांधी मिले थे मोहम्मद जावेद से. 

पिछले 24 साल से चुनाव जीत रहे जावेद

बिहार में जब कांग्रेस का पतन शुरू हुआ लगभग उसी दौर में मोहम्मद जावेद ने राजनीतिक करियर शुरू किया. कांग्रेस जहां बिहार में एक-एक सीट जीतने के लिए तरसती थी वहां मोहम्मद जावेद ने लंबे वक्त तक कांग्रेस की इज्जत बचाए रखी. पिछले 24 साल में जावेद बिना कोई चुनाव हारे विधानसभा और लोकसभा के 6 चुनाव जीत चुके हैं. सारे चुनाव किशनगंज से लड़े और जीते.

यह भी पढ़ें...

पिछले साल मोहम्मद जावेद का एक और प्रमोशन हुआ था. 16 सदस्यों की कांग्रेस की नेशनल इलेक्शन कमेटी में सोनिया, राहुल के बराबर जावेद को जगह मिली थी. इसी के साथ जावेद की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री हुई थी. 

कौन हैं मोहम्मद जावेद?

राजनीतिक परिवार से आने वाले मोहम्मद जावेद की परवरिश कांग्रेसी माहौल में हुई. उनके पिता मोहम्मद हुसैन आजाद कांग्रेस के टिकट पर 6 बार विधायक का चुनाव जीते. मोहम्मद जावेद सीधे राजनीति में नहीं आए. उन्होंने दिल्ली में एयरफोर्स स्कूल से स्कूलिंग की. कश्मीर यूनिवर्सिटी से MBBS यानी डॉक्टर की डिग्री ली. कुछ साल तक फिजिशियन की प्रैक्टिस की. इरादा डॉक्टर बने रहने का होगा लेकिन 1989 में उन्होंने पिता की राजनीतिक विरासत संभाल ली.  पहली बार 2000 में बिहार विधान सभा का चुनाव जीतकर किशनगंज के विधायक बने. तब से अजेय बने हुए हैं मोहम्मद जावेद. 

 कांग्रेस ने जावेद को क्यों बनाया व्हिप?

मोहम्मद जावेद को लोकसभा व्हिप बनाने का फैसला एक और वजह से लिया गया होगा. बिहार विधानसभा में मंत्री, विधायक होते हुए जावेद महागठबंधन सरकार में चीफ व्हिप हुआ करते थे.  मतलब सदन में अपनी पार्टी के विधायकों-सांसद को कैसे संभालना है इसका पुराना अनुभव है जावेद के पास. नीतीश-तेजस्वी सरकार में जावेद बिहार के कानून और पशुपालन मंत्री भी रहे. करीब 35 साल के राजनीतिक करियर के बाद भी जावेद के खिलाफ एक भी आपराधिक केस नहीं हैं. करीब 16 संपत्ति के मालिक हैं डॉ. मोहम्मद जावेद.

किशनगंज में कांग्रेस ने 2009 में 15 साल बाद वापसी की थी. 1967 और 1977 के चुनावों को छोड़कर किशनगंज में कांग्रेस ही जीता करती थी. राजीव गांधी के समय शाहबानो केस विवाद के बाद मुसलमानों और किशनगंज ने कांग्रेस का हाथ झटक लिया था. 1991 में शाहबानो केस में मुसलमानों के वकील सैयद शहाबुद्दीन की जीतने के साथ लगातार किशनगंज में कांग्रेस हारने लगी. 1999 में तो बीजेपी के शाहनवाज हुसैन भी जीत गए. लगा कि किशनगंज की पॉलिटिक्स भगवा हो जाएगी लेकिन 2004 में आरजेडी के तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी का सपना तोड़ दिया. 2009 से वापस कांग्रेस ने किशनगंज की पॉलिटिक्स टेकओवर कर ली.  

 

    follow on google news
    follow on whatsapp