‘नड्डा का फोन आया और बन गए मुख्यमंत्री! BJP में ऐसे नहीं चुनते CM’ , JP नड्डा ने बताया प्रोसेस
पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में तीन में जीत मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां नए मुख्यमंत्रियों का चुनाव कर लिया है. बीजेपी का यह चुनाव काफी चर्चा में है, क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, तीनों ही प्रदेशों में सीएम का नाम चौंकाऊ है.
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How is the Chief Minister elected in BJP: पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में तीन में जीत मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां नए मुख्यमंत्रियों का चुनाव कर लिया है. बीजेपी का यह चुनाव काफी चर्चा में है, क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, तीनों ही प्रदेशों में सीएम का नाम चौंकाऊ है. मध्य प्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सीएम बने हैं. राजस्थान में तो पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया गया है. शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया और रमन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की दावेदारी को नजरअंदाज करने की बात कही जा रही है.
मुख्यमंत्री के चयन को लेकर सोशल मीडिया पर है चर्चा
ऐसे में सोशल मीडिया पर बीजेपी की सीएम सेलेक्शन प्रक्रिया को लेकर जबर्दस्त चर्चा है. कुछ इसका मजाक उड़ा रहे हैं, तो कई समर्थक कह रहे हैं कि बीजेपी ने इन प्रदेशों में नेतृत्व की नई पौध तैयार कर दी है. इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री चयन की पूरी प्रक्रिया बता दी है.
नड्डा ने बताया कि कैसे चुने जाते हैं बीजेपी में मुख्यमंत्री
एजेंडा आजतक में बात करते हुए जेपी नड्डा ने मंत्रियों, सांसदों, विधायकों यहां तक कि विपक्ष में रहे तो कौन उसका नेता होगा, ये सारी चयन प्रक्रिया के बारे में बताया है.
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How does the BJP select a CM candidate? @JPNadda tells the process #AgendaAajTak23 #JPNadda pic.twitter.com/pgg2b3fVAQ
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) December 13, 2023
जेपी नड्डा कहते हैं कि बीजेपी में यह बहुत गहरी प्रक्रिया होती है. बहुत कम शब्दों में समझाना मुश्किल है. ये सिर्फ मुख्यमंत्री के लिए ही नहीं. ये सिर्फ कोई मंत्रियों के चयन के लिए ही नहीं. ये कोई एमपी के चयन के लिए नहीं. या एमएलए के चयन के लिए भी नहीं. हमारे यहां बहुत डीप रिसर्च के साथ हर कार्यकर्ता को वॉच किया जाता है. उसकी एक्टिविटीज, उसकी हिस्ट्री, उसके रिस्पॉन्सेस. और एक बहुत बड़ा डेटा बैंक हमारे पास है. जिसको समय-समय पर हम स्टडी करते हैं.
“मुख्यमंत्री के लिए – जब चुनाव की घोषणा हुई थी. उस समय से हमारा प्रोसेस जब हमने कैंडिडेट्स को टिकट दिया. तो कौन हमारा लीडर होगा. और अपोजिशन के लिए कौन लीडर अच्छा होगा. और रूलिंग के लिए कौन लीडर अच्छा होगा. इसका सेलेक्शन प्रोसेस शुरू हो जाता है.”
फोन आया और बन गए मुख्यमंत्री, ऐसा नहीं होता- नड्डा
नड्डा आगे कहते हैं कि “आप लोगों को लगता होगा कि जेपी नड्डा का फोन आया और क्लियर हो गया. ऐसा नहीं होता है. बहुत डीप कंसल्टेशन होता है. उसके बाद फैसला लिया जाता है. बहुत चीजों को बहुत बारीकी से चुना जाता है. उसी तरीके से मंत्रिमंडल के बारे में भी. उसका कंपोजिशन क्या होगा. 14 मंत्री बनने हैं, तो क्या 14 के 14 एक साथ बना देने हैं. या फिर उसमें कुछ सोच कर रखना है. टॉप प्रायोरिटी में पहले दस कौन हो सकते हैं. क्या कॉम्बिनेशन बैठ सकता है. किन लोगों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है. रिपीट कितनों को कराना है. ऐसी सब चीजों की बारीकियों पर ध्यान देते हैं.”
अपोजिशन के प्रश्न पर क्या कहा जेपी नड्डा ने, हारते तो कौन होता नेता?
इस पर नड्डा कहते हैं – ‘नहीं, क्वेश्चंस होते हैं. जैसे मान लीजिए तेलंगाना में तो हम सरकार में नहीं आए. तो वहां तो हमको कुछ अपोजिशने के बारे में ही सोचना था. तो ये एक हमारा कंटीनुअस प्रोसेस है. चुनावी नतीजे आते हैं उसके बाद वह इंटेसिफाई (प्रक्रिया में तेजी आना) हो जाता है.’