Shesh Bharat: तिरुवनंतपुरम और पलक्कड़ की जीत से गदगद बीजेपी, क्या पुरानी दुश्मनी भूल साथ आएंगे यूडीएफ-एलडीएफ?
Shesh Bharat: केरल के निकाय चुनावों में कांग्रेस के यूडीएफ ने बड़ी जीत दर्ज की है, जबकि सत्तारूढ़ एलडीएफ को भारी नुकसान हुआ है. पलक्कड़ और त्रिपुनिथुरा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. लेकिन बहुमत न मिलने से सरकार गठन पर सस्पेंस बना हुआ है.

Kerala Political Analysis: सरकार हासिल करने का सवाल नहीं होता तो शायद केरल में भी कांग्रेस और लेफ्ट एक-दूसरे के जानी दुश्मन न होते. केरल में बीजेपी के पैर पसारने के बाद चीजें बदल रही हैं. लड़ाई तो आज भी कांग्रेस के यूडीएफ अलायंस और लेफ्ट के लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच मानी जा रही है. केरल के निकाय चुनावों में कांग्रेस अलायंस ने बंपर जीत हासिल की. सत्ता में बैठी एलडीएफ की बुरी हाल हुई. पिछड़ने के बाद भी बीजेपी की तिरूवनंतपुरम की जीत की चर्चा हो गई. एक चर्चा तो पलक्कड़ की भी है, जहां बीजेपी निकाय चुनाव में तीसरी बार सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
53 सीटों में से 25 बीजेपी ने जीती
पलक्कड़ नगर पालिका चुनाव में 53 सीटों में से 25 बीजेपी जीत गई लेकिन बहुमत से चूक गई. दूसरे नंबर पर कांग्रेस अलायंस यूडीएफ रहा. एलडीएफ को सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली. 3 सीटें निर्दलीय निकाल गए. सीटों के नंबर के हिसाब से नगरपालिका में बीजेपी का शासन स्थापित होना चाहिए लेकिन केरल में इस बात की खूब चर्चा है कि बीजेपी को रोकने के लिए यूडीएफ और एलडीएफ हाथ मिला सकते हैं. नंबर गेम में दो धुर विरोधियों के हाथ मिलाने से भी मुकाबला 25-25 की बराबरी पर रूक जाएगा. तीन निर्दलीय जिसकी तरफ होंगे, पलक्कड़ की नगरपालिका उसकी होगी.
क्या पलक्कड़ बीजेपी का होगा?
बीजेपी को ये दिन इसलिए देखने पड़ रहे हैं कि बीजेपी 3 सीटों से बहुमत से चूक गई है. पिछली बार 2020 में बीजेपी ने 28 सीटें जीती थी. इस बार 25 ही मिली. बहुमत से 2 कम. 2015 में बीजेपी ने 24 सीटों के साथ बहुमत पाया था. यूडीएफ को 3 सीटों का गेन ही बीजेपी के लिए नुकसान का कारण बना है. इस बार मामला फंसा भी है और फंसाया भी जा रहा है.
यह भी पढ़ें...
यूडीएफ की सहयोगी पार्टी मुस्लिम लीग ने चर्चा छेड़ी है कि बीजेपी को रोकने के लिए यूडीएफ-एलडीएफ हाथ मिला सकते हैं. हालांकि दोनों अलायंस ने ऑफिशियली कोई स्टैंड नहीं लिया है. स्टैंड लेना आसान भी नहीं. क्योंकि जिन दो अलायंस को विधानसभा चुनावों में एक-दूसरे से लड़ना है वो क्या सिर्फ बीजेपी को एक नगरपालिका में रोकने के लिए अलायंस कर लेंगे? तर्क ये दिया जा रहा है कि बीजेपी के शासन में पलक्कड़ का कुछ भला नहीं हुआ. जब जनता ने बहुमत नहीं दिया तो कैसे तीसरी बार उसका शासन होने दे सकते हैं.
2015 में तैयार हुआ था सक्सेस ग्राउंड
केरल में पलक्कड़ बीजेपी का पहला सक्सेस ग्राउंड बना जहां 2015 में..उसने नगरपालिका का शासन हासिल किया. लोकसभा में त्रिशूर से बीजेपी ने शुरूआत की. विधानसभा चुनावों में पहले पहली बार बीजेपी ने राजधानी तिरूवनंतपुरम में जीत हासिल की. तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट कांग्रेस की है, जहां से शशि थरूर चार बार से चुनाव जीत रहे हैं. पहली बार बीजेपी ने एलडीएफ के हाथों से नगर निगम छिन ली है. बीजेपी के एनडीए को 101 में से 50 वार्डों में जीत हासिल हुई. इस जीत ने पूरी बीजेपी को गदगद कर दिया है. इस जीत को केरल में बीजेपी के लिए टर्निंग पॉइंट देखा जा रहा है.
लेफ्ट का गढ़ रहा है पलक्कड़
विधानसभा चुनावों में पलक्कड़ ट्रेडिशनली लेफ्ट का गढ़ रहा. उपचुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल करके धमाका किया. राहुल मामकूटाथिल लेफ्ट से कांग्रेस के लिए सीट जीत लाए लेकिन चुनाव जीतने के बाद राहुल लगातार विवादित बनते गए. उन पर रेप और जबरन अबॉर्शन जैसे गंभीर मामलों में केस दर्ज हैं. माना जा रहा है कि राहुल मामकूटाथिल के कारण पलक्कड़ में कांग्रेस ने जीता हुआ ग्राउंड फिर से बीजेपी की झोली में डाल दिया. कांग्रेस की सीटें तो बढ़ी लेकिन इतनी नहीं कि नगरपालिका पर शासन स्थापित हो सके.
त्रिपुनिथुरा नगरपालिका में भी फंसा मामला
पलक्कड़ की तरह त्रिपुनिथुरा नगरपालिका का चुनाव भी ऐसे ही फंसा है. जनता ने किसी को नकारा नहीं, किसी को स्वीकारा नहीं. त्रिपुनिथुरा नगरपालिका में भी 53 सीटों पर चुनाव हुए. किसी को बहुमत नहीं मिला. बीजेपी के एनडीए अलायंस को 21, एलडीएफ को 20 और यूडीएफ को 12 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी बहुमत के आंकड़े से 6 सीटें पीछे है. 27 के बहुमत में एनडीए बिना जुगाड़ के शासन कर नहीं सकती. एलडीएफ और यूडीएफ मिल जाएं तो 32 के बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुआ जा सकता है लेकिन फिर वही बात. बीजेपी जैसी छोटी पार्टी को रोकने के लिए दो विरोधी कैसे हाथ मिला लें. पलक्कड़ और त्रिपुनिथुरा का शासन कौन संभालेगा, अभी इसका सस्पेंस बना रहेगा.
केरल निकाय चुनाव में UDF की बंपर जीत
केरल के निकाय चुनावों में कांग्रेस के यूडीएफ ने एलडीएफ पर बड़ी जीत दर्ज की है. यूडीएफ ने चार नगर निगमों कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर और कन्नूर, 7 जिला पंचायतों, 54 नगर पालिकाओं, 79 ब्लॉक पंचायतों और 505 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की है. एलडीएफ ने साल 2020 में हुए चुनाव में पांच नगर निगमों में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार सिर्फ कोझिकोड में जीत मिली. एनडीए ने एक नगर निगम, दो नगर पालिकाओं और 26 ग्राम पंचायतों में जीत दर्ज की है.










