हिंदुओं की वजह से देश में लोकतंत्र! जावेद अख्तर ने क्यों लगवाए जय सियाराम के नारे?

देवराज गौर

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हिंदुओं की वजह से देश में लोकतंत्र! जावेद अख्तर ने क्यों लगवाए जय सियाराम के नारे?
हिंदुओं की वजह से देश में लोकतंत्र! जावेद अख्तर ने क्यों लगवाए जय सियाराम के नारे?
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Javed Akhtar news: मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. इसीलिए वह अक्सर ट्रोल आर्मी के निशाने पर भी रहते हैं. इस बीच जावेद अख्तर का एक बयान फिर वायरल हो रहा है. जावेद ने हिंदू धर्म और सियाराम को लेकर ऐसी बातें कहीं हैं जिसकी सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा है. आइए आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि जावेद अख्तर ने कहां, क्या कहा.

अवसर था मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के दीपोत्सव कार्यक्रम का. इसमें जावेद भी शामिल हुए. जावेद अख्तर ने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि, ‘कई लोग सोच रहे होंगे कि मैं तो खुद को नास्तिक कहता हूं. मैं यहां धार्मिक कार्यक्रम में क्या कर रहा हूं. राज ठाकरे को कोई और नहीं मिला था सलीम-जावेद के अलावा.’

असल में जावेद अख्तर के साथ इस कार्यक्रम में सलीम खान भी मौजूद थे. सलीम-जावेद को बॉलीवुड की सुपरहिट जोड़ी कहा जाता है. सलीम खान सलमान खान के पिता हैं.

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जावेद अख्तर ने इस दौरान रामचरितमानस, रामायण, भगवान राम और सीता की बात भी की. जावेद अख्तर बोले, ‘मैं सीताराम को सिर्फ हिंदुओं की धरोहर नहीं समझता हूं. हर उस व्यक्ति ने इस भारत भूमि पर जन्म लिया है रामायण उसकी धरोहर है. मैं नास्तिक हूं, लेकिन मैं सीताराम को मानता हूं वो न केवल हिंदू देवी देवता हैं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं. सीताराम को अलग-अलग सोचना भी पाप है.’ इसी बीच जावेद अख्तर ने कहा कि सिर्फ एक शख्स ने राम सिया को अलग किया और वह था रावण. फिर जावेद ने वहां मौजूद लोगों से जय सियाराम के नारे लगवाए. ये वीडियो भी खूब वायरल है.

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‘हिंदुओं से सीखी सहिष्णुता’

जावेद अख्तर ने कहा कि, ‘कुछ लोग होते हैं, जिनमें इंटोलरेंस हमेशा से ही था. लेकिन, हिंदू ऐसे नहीं थे. उन्होंने कहा कि हिंदुओं की खूबी ही ये है कि उनमें एक विस्तार है, उनके दिल में विशालता रही है. आप अगर वो खत्म कर देंगे तो आप भी दूसरों जैसे हो जाएंगे. आप लोगों का जो जीने का अंदाज है उसे तो हमने सीखा. वो आप ही छोड़ देंगे क्या?’

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हम सही और सब गलत ये हिंदू का काम नहीं

उन्होंने कहा कि यहां हजारों साल हमने यह बात मानी है कि एक आदमी यह भी सोच सकता है और एक आदमी वह भी सोच सकता है. एक ये भी कर सकता है एक वह भी कर सकता है. मूर्ति पूजा करोगे तो हिंदू, मूर्ति पूजा नहीं करोगे तो हिंदू. एक ईश्वर को मानोगे तो हिंदू, और 32 करोड़ को मानोगे तो हिंदू. किसी को भी नहीं मानोगे तो भी हिंदू. ये हिंदू कल्चर है. और इसी ने हमें डेमोक्रेटिक एटिट्यूड्स सिखाए हैं. इसीलिए इस देश में डेमोक्रेसी है. ये सोचना कि हम सही और सब गलत हैं यह हिंदू का काम नहीं है.

बयान की वजह से तारीफ और आलोचना दोनों हो रही

जावेद अख्तर की बातों पर कई तरह के कमेंट्स आ रहे हैं. कोई इस बात के लिए उनकी तारीफ कर रहा है तो कई लोग उनकी आलोचना भी कर रहे हैं. जावेद अख्तर की आलोचना करने वाले कह रहे हैं ये हिंदुओं को कायर बने रहने की सलाह दे रहे हैं. सिखा रहे हैं कि असहिष्णु मत बनो, सीधे बने रहो कि कोई भी तुम्हें अपना गुलाम बना ले. तो वहीं मुस्लिम पक्ष के कुछ लोग कह रहे हैं कि यह कहकर की हिंदुओं की वजह से लोकतंत्र है, जावेद ने मुसलमानों की तौहीन की है.

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