कर्नाटक में EVM पर ताला ? कानून बदलकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की तैयारी में कांग्रेस सरकार
कर्नाटक सरकार ने पंचायत-निकाय चुनाव बैलेट पेपर से कराने की सिफारिश की. राहुल गांधी ने ईवीएम पर सवाल उठाए, बीजेपी ने फैसले का विरोध किया.
ADVERTISEMENT

देश में वोट चोरी का शोर तेज है. राहुल गांधी एटम बम वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये सबूत पेश कर चुके हैं कि बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर वोट चोरी से बीजेपी की जीत हुई. राहुल गांधी अगला हाइड्रोजन बम फोड़ने का ऐलान कर चुके हैं.
कर्नाटक सरकार के फैसले से मचा हड़कंप
चुनाव, चुनावी सिस्टम, चुनाव आयोग को लेकर राहुल गांधी लंबे अरसे से लड़ रहे हैं. इसकी शुरूआत ईवीएम, वीपीपैट से होते ही वोटर लिस्ट तक पहुंची हैं. ईवीएम के धोखे का शोर अब कम है, लेकिन कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ऐसा एक फैसला किया है जिससे हड़कंप मचा हुआ है.
पंचायत और निकाय चुनाव बैलेट पर से हो सकते हैं
अगर कर्नाटक सरकार की चली तो बहुत अरसे के बाद देश में ऐसा कोई चुनाव होगा जिसमें ईवीएम से नहीं, बैलेट पेपर से चुनाव होंगे. कर्नाटक में पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं. कर्नाटक सरकार को चुनाव कराना है. सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने फैसला किया कि पंचायत और निकाय चुनाव ईवीएम से नहीं होंगे. बैलेट का इस्तेमाल होगा. मतलब वोटर के पास मतपत्र होगा. ठप्पा लगाकर वो अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनेगा.
यह भी पढ़ें...
सरकार ने राज्य चुनाव आयोग को सिफारिश भेजी है. कैबिनेट से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि ईवीएम में जनता के विश्वास और विश्वसनीयता में कमी है. बैलेट से चुनाव कराए तो चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी. कैबिनेट ने राज्य चुनाव निर्वाचन आयोग से कहा है कि वो चुनावों के लिए वोटर लिस्ट रेडी करे. बैलेट से चुनाव के लिए अगले 15 दिनों में नियम और जरूरी कानूनी बदलाव कर दिए जाएंगे. अगर किसी नियम में कहा गया है कि चुनाव ईवीएम से कराने हैं तो उस नियम को बदल देंगे.
बैलेट से चुनाव का मामला तब आया है जब राहुल गांधी ने घनघोर जंग छेड़ रखी है चुनाव आयोग और बीजेपी के खिलाफ. राहुल ने वोट चोरी की जो लड़ाई शुरू की थी वो कर्नाटक की ही बैंगलोर सेंट्रल सीट से शुरू हुई. जैसे-जैसे वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग बढ़ रहा है, राहुल गांधी की जंग में पैनापन आ रहा है. कर्नाटक सरकार ने चुनाव आयोग के खिलाफ राहुल की मुहिम को मजबूत करने के लिए बैलेट से चुनाव का मास्टरस्ट्रोक चला है.
क्या कहता है नियम?
राज्य चुनाव आयोग बैलेट से चुनाव के लिए पॉजिटिव लगता है. 2021 में बैलेट से ही लोकल चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस की सरकार नहीं थी. वैसे भी ऐसा कोई सरकारी नियम नहीं है जो बैलेट से चुनाव कराने से रोकता है. इसी लीगल क्लॉज को सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार ने हथियार बनाया है जिससे कराह रही है बीजेपी. नियम कहता है कि ईवीएम या बैलेट किसी से भी चुनाव करा सकते हैं. कांग्रेस सरकार ने बीजेपी को चिढ़ाने बैलेट को चुन लिया.
बैलेट के खिलाफ BJP
कर्नाटक सरकार के फैसले से बीजेपी को भारी मिर्ची लगी है. बीजेपी एकदम बैलेट से चुनाव कराने के खिलाफ उतर आई है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास रहा है मतपत्रों का इस्तेमाल करके वोट चोरी करने और चुनावी गड़बड़ियां करने का. इंदिरा गांधी ने भी यही किया था. अब अगर कांग्रेस की सरकार बैलेट से चुनाव की ओर बढ़ रही है इसलिए ईवीएम से हुई जीत वोट चोरी से हुई थी. जब पूरी दुनिया टेक्नालॉजी से आगे बढ़ रही है तब कांग्रेस सरकार उसका अपमान कर रही है।
इसलिए बैलेट सिस्टम को निकाला गया था बाहर
वैसे बैलेट से चुनाव का आइडिया बहुत पुराना है. देश में बरसों तक बैलेट से चुनाव हुए लेकिन बूथ लूट, चुनावी हिंसा, धांधली के आरोपों के बाद देश बैलेट सिस्टम से बाहर निकलता गया. 1982 में केस स्टडी के तौर पर ईवीएस से पोलिंग शुरू हुई और अब सारे चुनाव ईवीएम से हो रहे हैं. विपक्ष का बड़ा आरोप रहा है कि ईवीएम, वीवीपैट में धांधली होती रही लेकिन कभी कुछ साबित नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने भी ईवीएम के खिलाफ याचिकाओं पर राहत नहीं दी. राहुल गांधी और विपक्ष की लंबे अरसे से मांग रही है कि ईवीएम छोड़कर बैलेट पर लौटना चाहिए लेकिन बीजेपी, चुनाव आयोग और यहां तक सुप्रीम कोर्ट भी इस आइडिया का समर्थन नहीं करते.
यह भी पढ़ें:
MVA की हार के बाद फिर EVM की 99 फीसदी वाली बैटरी को दोष, इसपर चुनाव आयोग का क्या है तर्क ?