कौन हैं फातिमा तहिलिया, जिनकी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग में दोबारा एंट्री से केरल की राजनीति में मची हलचल!

Kerala Local Body Elections: केरल में मुस्लिम लीग ने सबको चौंका दिया है. चार साल पहले यौन उत्पीड़न केस करने पर पार्टी से निकाली गईं तीन युवा नेता फातिमा तहिलिया, मुफीदा थेस्नी और नजमा तबशीरा को अब लोकल बॉडीज चुनाव में टिकट दे दिया गया है.

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Shesh Bharat: केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग आज भी राजनीति में डटी है. चुनाव लड़ती है. कांग्रेस के यूडीएफ की अलायंस पार्टनर है. उसके पास वो सारे अधिकार हैं, जो सारी पार्टियों के पास हैं. बीजेपी मुस्लिम लीग को पसंद नहीं करती. गाली की तौर पर इस्तेमाल करती है. प्रियंका गांधी ने वायनाड से चुनाव जीतकर संसद में शपथ ली तो बीजेपी ने मुस्लिम लीग की नई मेंबर बताकर ताना कसा था. केरल में लोकल बॉडीज चुनाव को लेकर राजनीति का पारा हाई है. मुस्लिम लीग भी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने अचानक एक साथ तीन महिला उम्मीदवारों को चुनाव में उतारकर सनसनी मचा दी है. फातिमा तहिलिया, मुफीदा थेस्नी और टी नजमा तबशीरा, इन तीनों महिला उम्मीदवारों को मुस्लिम लीग का नया फेस कहा जा रहा है. 

फातिमा, नजमा, मुफीदा मुस्लिम लीग महिला विंग 'हरिता' के साथ काम कर रही थी. मुस्लिम लीग में 2012 में महिलाओं के लिए अलग विंग 'हरिता' बनाया गया था. फातिमा तहिलिया 'हरिता' की पहली अध्यक्ष बनी थीं.

2021 में पार्टी से किया था बाहर

2021 में बड़ा हंगामा मचा था जब फातिमा तहिलिया, मुफीदा थेस्नी और टी नजमा तबशीरा ने IUML के छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ केरल महिला आयोग में यौन उत्पीड़न का केस किया था. तब सजा के तौर पर मुस्लिम लीग लीडरशिप ने तीनों युवा महिलाओं को न केवल पार्टी से निकाला था बल्कि ब्लैकलिस्ट भी कर दिया था. उस दौरान मुस्लिम लीग के महिला मोर्चा हरिता को भी भंग कर दिया था. 

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4 साल बाद पार्टी में वापसी!

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 साल बाद मुस्लिम लीग लीडरशिप ने एकदम यूटर्न लेकर न केवल फातिमा तहिलिया, मुफीदा थेस्नी और टी नजमा तबशीरा को वापस पार्टी में बुलाया बल्कि केरल लोकल बॉडीज इलेक्शन में उम्मीदवार बना दिया है. इसे मुस्लिम लीग का बड़ा पॉलिटिकल मैसेज माना जा रहा है. तीनों महिला उम्मीदवार न केवल मुसलमान हैं बल्कि यूथ और शिक्षित हैं, जिन्होंने पार्टी में बदलाव और ज्यादा लोकतंत्र के लिए भी आवाजें उठाई थी. मुस्लिम लीग में नई केवल नई लीडरशिप तैयार करने वाला फैसला कहा जा रहा है बल्कि यूथ और महिलाओं के बीच जनाधार बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. इसका क्रेडिट पनक्कड़ सैयद सादिक अली शिहाब थंगल को दिया जा रहा है, जो केरल IUML के अध्यक्ष हैं.

कौन कहां से चुनावी मैदान में?

फातिमा तहिलिया न केवल कोझिकोड नगर निगम का चुनाव लड़ रही हैं बल्कि डिप्टी मेयर की दावेदार भी मानी जा रही हैं. मुफीदा थेस्नी वायनाड जिला पंचायत में और नजमा Perinthalmanna से चुनाव की उम्मीदवार हैं. नजमा Tirurkkad से पिछला चुनाव भी जीती थी. तीनों हरिता नेताओं को पिछले साल पार्टी में बुला लिया गया था और अलग-बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां दी गई थी. अब लोकल बॉडीज का टिकट मिलने को क्रांतिकारी माना जा रहा है. तीन लड़कियों ने हरिता में रहते हुए आवाज उठाई थी कि हम महिलाओं को टिकट क्यों नहीं मिल सकता. 

क्या है इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का इतिहास!

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की वेबसाइट में जिन्ना की मुस्लिम लीग का कहीं कोई रेफरेंस नहीं है. इसकी स्थापना की तारीख आजादी के बाद मार्च 1948 बताई जाती हैं. संस्थापक मोहम्मद इस्माइल हैं. 1952 से पार्टी चुनाव लड़ रही है. सीढ़ी चुनाव चिन्ह है. ग्रीन फ्लैग crescent moon and star बना हुआ है और चुनाव आयोग से केरल की स्टेट पार्टी के तौर पर मान्यता मिली हुई है.

केरल में कांग्रेस के यूडीएफ, तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस के एसपीए और नेशनल लेवल पर इंडिया अलायंस में पार्टनर है. केरल में सक्रिय इस पार्टी का मुख्यालय चेन्नई में है. iUML में नेशनल महासचिव सबसे बड़ा पद है जिस पर अभी पीके कुन्हालीकुट्टी बैठे हैं. पार्टी की ओर से केरल में एसआईआर के खिलाफ कुन्हालीकुट्टी ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है.

टयूडीएफ में कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा ताकतवर मुस्लिम लीग ही है. 1976 से कांग्रेस से गठबंधन का बॉन्ड चल रहा है. 2023 में राहुल गांधी के अमेरिका में दिए बयान से बड़ा बवाल हुआ जब उन्होंने मुस्लिम लीग को सेक्युलर पार्टी कहा था.

जिन्ना की मुस्लिम लीग से क्या कनेक्शन है?

मुस्लिम लीग को जिन्ना की मुस्लिम लीग से जोड़े जाने से विवाद होता रहा है. जिन्ना ने ऑल इंडिया मुस्लिम लीग बनाई थी जिसका अस्तित्व बंटवारे के बाद खत्म हो गया. 1948 में बना इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग आज तक चल रही है. केरल के चुनावों में मुस्लिम लीग की झोली हर चुनाव में भर ही जाती है.

1952 के बाद कभी कोई चुनाव नहीं हुआ, जिसमें मुस्लिम लीग का कोई सांसद न रहा हो. 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम लीग ने तीन लोकसभा सीटें कांग्रेस के साथ अलायंस में जीती थी. ईटी मोहम्मद बशीर ने मल्लपुरम से, डॉ. एम. पी. अब्दुसमद समदानी ने पोननानी से जीत दर्ज की है. राहुल गांधी के बाद सबसे ज्यादा मार्जिन से यही दोनों सांसद जीते थे. राज्यसभा में उसके दो सांसद हैं. 2021 के आखिरी विधानसभा चुनावों में 15 विधायक जीते. लोकसभा चुनावों में 6 परसेंट, विधानसभा चुनावों में 8 परसेंट और 2020 के लोकल बॉडीज चुनावों में 9 परसेंट से ज्यादा वोट मिले.

 

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