अकेले 328 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस, गठबंधन पार्टनर्स को बाकी सीटें देने का गणित समझिए

News Tak Desk

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Congress Loksabha Election: देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. तीन चरण का चुनाव पूरा हो चुका है और चार चरण के चुनाव अभी बाकी है. इस चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी-NDA के खिलाफ विपक्षी INDIA अलायंस पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में मजबूत टक्कर के लिए कांग्रेस INDIA अलायंस के तहत करीब 26 पार्टियों को एकसाथ लाई. गठबंधन का सूत्रधार होने के नाते कांग्रेस को इसका नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपनी सीटों में भारी कटौती करनी पड़ी है. कांग्रेस इस बार 328 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जो 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से 93 कम है. पार्टी अपने चुनावी इतिहास में पहली बार किसी आम चुनाव में 400 से कम लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 

दिलचस्प बात ये है कि, कांग्रेस पार्टी ने इस बार के चुनाव में 2019 में लड़ी अपनी 101 सीटों को गठबंधन के सहयोगी दलों को दे दिया है. वैसे आपको बता दें कि, कांग्रेस इस बार 330 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी लेकिन सूरत में उसके उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाने और इंदौर में पार्टी के उम्मीदवार अक्षय बम के नाम वापस लेने की वजह से पार्टी 328 सीटों पर आ गई. 

कांग्रेस कर्नाटक और ओडिशा में सर्वाधिक सीटों पर लड़ रही है चुनाव 

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस कर्नाटक और ओडिशा में सर्वाधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कर्नाटक में कांग्रेस 2019 के 21 सीटों की तुलना में इस बार सभी 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछली बार गठबंधन के सहयोगी दल जद (एस) ने बाकी 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था. बता दें कि, इस बार जद (एस) बीजेपी के NDA गठबंधन का हिस्सा है. वहीं ओडिशा की बात करें, तो कांग्रेस 2019 के 18 सीटों की तुलना में इस बार 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.  

2004 से अब तक इतनी सीटों पर चुनाव लड़ी है कांग्रेस 

साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 417 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जो उस समय तक सबसे कम सीटे थी. फिर कांग्रेस ने 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में 440 सीटों पर तो वहीं 2014 में 464 सीटों पर और 2019 में 421 सीटों पर चुनाव लड़ी. 2019 के चुनाव की तुलना में कांग्रेस इस बार 12 राज्यों में कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 

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कांग्रेस इन पांच राज्य में सबसे कम सीटों पर लड़ रही है चुनाव 

कांग्रेस उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन दशक से अधिक समय से राजनीतिक दंगल में है. 2019 लोकसभा में पार्टी के पास यूपी में कोई बड़ा सहयोगी नहीं था. बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ पार्टी ने राज्य की 80 सीटों में से 67 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था, लेकिन केवल रायबरेली की सीट पर ही जीत मिल सकी थी. इस बार कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में है और सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 

दूसरी सबसे बड़ी गिरावट पश्चिम बंगाल में देखने को मिली है जहां पार्टी ने 2019 में 42 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल दो सीट पर जीत हासिल कर पाई थी. इस बार पार्टी ने वाम दलों के साथ गठबंधन करके सिर्फ 14 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.

महाराष्ट्र में स्थिति और अधिक जटिल है. कांग्रेस ने 2019 का चुनाव NCP के साथ गठबंधन में लड़ा था. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद बदली परिस्थितियों की वजह से शिवसेना (यूबीटी) भी INDIA गठबंधन का हिस्सा बन गई है. इस चुनाव में प्रदेश की 48 लोकसभा सीटों को तीन पार्टियों के साथ बाटना पड़ा. नतीजतन, पिछली बार 25 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस इस बार 17 सीटों पर मैदान में है. 

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कांग्रेस छोटे सहयोगी दलों को भी बांट रही है सीट

कांग्रेस पार्टी की नौ राज्यों में बीजेपी के साथ सीधी टक्कर है. लेकिन कांग्रेस ने इन सभी राज्यों में गठबंधन के साथियों को एक या दो सीटें दे दी है. आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होने की वजह से कांग्रेस दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पिछली बार पार्टी सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ी थी. AAP के साथ गठबंधन के परिणामस्वरूप कांग्रेस ने हरियाणा (कुरुक्षेत्र) में एक और गुजरात (भावनगर और भरूच) में दो सीटें दी है. कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में CPM और CPI को भी दो सीटें (अराकू और गुंटूर) दी है. 

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कांग्रेस ने असम में डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट स्थानीय पार्टी असम जातीय परिषद को दी है. मध्य प्रदेश में, पार्टी ने खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दी है, लेकिन इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का नामांकन खारिज कर दिया गया है. जिसके बाद कांग्रेस और सपा अब ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन कर रहे है. 

राजस्थान में कांग्रेस ने गठबंधन के सहयोगियों को तीन सीटें दी है. सीकर से CPM को, नागौर से हनुमान बेनीवाल की आरएलपी को और बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) को दिया गया है. 

त्रिपुरा में पार्टी ने त्रिपुरा (पूर्व) लोकसभा सीट सहयोगी CPM को दी है. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने 2019 में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार वह लद्दाख की सीट समेत तीन सीटों पर मैदान में है. पूर्वोत्तर भारत के राज्य मिजोरम में कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. पिछले चुनाव में, कांग्रेस ने इस सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया था.  

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

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