मायावती ने कर दिया आकाश आनंद का डिमोशन, जानिए क्या है इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी

News Tak Desk

वैसे पार्टी के अंदर खाने एक चर्चा इस बात की भी चल रही है कि, मायावती ने ये फैसला अपनी विरासत को बचाने के लिए लिया है. मायावती किसी सूरत में अपने भविष्य की विरासत को केस मुकदमों में फंसा नहीं देखना चाहती थीं

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UP Politics Mayawati: देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. इस चुनावी मौसम में रोज नए उलटफेर देखने को मिल रहे है. ऐसे ही बीते दिन उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी के साथ पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से भी हटा दिया. मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि, 'पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक आकाश आनंद को दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.' मायावती के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है वो वजह जिससे आकाश आनंद की सियासत में इंट्री के कुछ महीने बाद एग्जिट भी हो गया. 

आपको बता दें कि, हाल ही में आकाश आनंद ने चुनावी रैलियों में खूब गर्मजोशी से हिस्सा लिया. उनकी रैलियों में दिए गए भाषणों में गुस्सा, गाली और आक्रामक तेवर दिखाई दे रहे थे. अपने भाषण में आकाश कई बार मर्यादा की सीमा लांघते हुए भी दिखे जिसकी वजह से उनके ऊपर सीतापुर में केस भी दर्ज हो गया. केस होने के बाद पार्टी ने उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए. 

पहले जानिए आकाश को पद से हटाते हुए मायावती ने क्या कहा 

मायावती ने अपने पोस्ट में आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटाते हुए लिखा कि, फिलहाल उनकी अपरिपक्वता को देखते हुए फैसला लिया जा रहा है यानी मायावती ने आकाश के लिए आगे का रास्ता बंद नहीं किया हैं. हालांकि उन्हें कुछ वक्त के लिए बसपा की मुख्य धारा की सियासत से अलग जरूर कर दिया है. अब उनक इस फैसले के पीछे क्या सोच है ये तो उन्हीं को पता होगा लेकिन सियासत में कयासबाजियों का दौर जारी है. हालांकि आपको ये बात बता दें कि, ये बात जोर-शोर से चल रही है कि, मायावती ने आकाश आनंद को भविष्य के लिए सुरक्षित रखने के लिए ऐसा फैसला लिया है. 

मायावती से ज्यादा डिमांड में थी आकाश आनंद की रैलियां 

आकाश आनंद पार्टी में एक नए ध्रुव के तौर पर उभर रहे थे, जिससे कई बड़े नेता असहज हो रहे थे. जिस तरीके से आकाश आनंद की पब्लिक रैलियों की डिमांड बढ़ने लगी थी उससे कई बड़े नेताओं में असुरक्षा की भावना भी पैदा हो गई थी. चर्चा यह भी है कि आकाश आनंद की रैलियां, मायावती की रैलियों से ज्यादा डिमांड में थीं और वह मायावती की रैलियों को ओवरशैडो कर रहे थे, जिससे मायावती के करीबी नेताओं का एक वर्ग नाराज था और इसकी शिकायत लगातार मायावती से कर रहा था. 

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बसपा में बिना मायावती के सहमति के बयान देना मनाही है

बहुजन समाज पार्टी में बिना मायावती की सहमति के कोई भी बयान बाजी करना सख्त मना है. यहां तक बसपा के प्रवक्ता भी बहुत ही सीमित बयान देते है. अगर प्रवक्ता को कुछ बोलना होता है तो वह मायावती से पूछ कर ही बोलते हैं. बसपा में टीवी डिबेट में प्रवक्ताओं को जाना भी मना है इसीलिए गिने-चुने प्रवक्ता ही टीवी डिबेट में बसपा का पक्ष रखते हुए दिखते है. वहीं आकाश आनंद पिछले दिनों मायावती से बिना पूछे लगातार विवादित बयान दे रहे थे. उनके ऊपर कार्रवाई होने की एक वजह यह भी मानी जा रही है. 

क्या विरासत को बचाने के लिए सियासत से किया है दूर?

वैसे पार्टी के अंदर खाने एक चर्चा इस बात की भी चल रही है कि, मायावती ने ये फैसला अपनी विरासत को बचाने के लिए लिया है. मायावती किसी सूरत में अपने भविष्य की विरासत को केस मुकदमों में फंसा नहीं देखना चाहती थीं, जिसे बसपा की विरासत संभालनी हो, जिसे मूवमेंट की इस राजनीतिक शाखा को आगे बढ़ाना हो, वह अदालतों के चक्कर लगाए, यह मायावती को पसंद नहीं था. भविष्य के अपने नेतृत्व को सुरक्षित रखने के लिहाज से मायावती ने फिलहाल आकाश को सियासत से दूर रखने का फैसला किया है.   

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