24 घंटे में ही नीलेश राणे ने पॉलिटिक्स छोड़ने का फैसला बदला! नारायण राणे परिवार की कहानी जानिए

देवराज गौर

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नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे ने इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही वापिस भी ले लिया है.
नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे ने इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही वापिस भी ले लिया है.
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महाराष्ट्र पॉलिटिक्सः महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के नेता नीलेश राणे ने राजनीति छोड़ने का ऐलान किया. फिर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद 24 घंटे में ही फैसला बदल भी लिया. नीलेश राणे केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके नारायण राणे के बेटे हैं. नीलेश के सियासी प्रकरण के बाद से राणे परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है. यह महाराष्ट्र का एक बड़ा सियासी परिवार है. आइए इनकी कहानी जानते हैं…

कौन हैं नारायण राणे?

नारायण राणे की एक पहचान महाराष्ट्र के एक ऐसे नेता के तौर पर भी है, जिन्होंने 15 साल के दायरे में 4 राजनैतिक पार्टियां बदलीं. 10 अप्रैल 1952 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोंकण में जन्में राणे जीवने के शुरुआती दौर में ही राजनीति से जुड़ गए थे. कोंकण से निकलकर मुंबई के चेंबूर में आकर बसे. राजनैतिक जीवन की शुरुआत भी यहीं से हुई. नारायण राणे 16 साल की उम्र में शिवसेना से जुड़ गए. राणे शिवसेना के शुरुआती मेंबर्स में से एक थे. राणे शिवसेना से ही पहली बार 1991 में विधानसभा पहुंचे. 1995 में जब महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार आई, तो राणे को मंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री बने मनोहर जोशी. जोशी सरकार का कार्यकाल अभी पूरा भी नहीं हुआ था, शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की मनोहर जोशी से ठन गई. आखिर जोशी को कुर्सी छोड़नी पड़ी. फिर मुख्यमंत्री बने नारायण राणे.

उद्धव के बढ़ते प्रभाव को देख छोड़ दी शिवसेना

नारायण राणे की ख्वाहिश दोबारा मुख्यमंत्री बनने की थी. 1999 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनी. राणे के लिए मौका ही नहीं बना. तबतक शिवसेना के भीतर बाला साहेब के बाद दूसरा नाम राणे का ही माना जाता था. इस बीच बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे का पार्टी में बढ़ते पार्टी में प्रभाव के चलते राणे नाराज रहने लगे. उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव को राजनीति नहीं आती. वहां उद्धव ने भी ठान लिया कि अगर राणे को महत्व दिया गया तो वह अपनी पत्नी रश्मि के साथ मातोश्री छोड़कर चले जाएंगे. आखिरकार 2005 में राणे ने शिवसेना से इस्तीफा दे दिया.

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फिर कांग्रेस में शामिल हुए नारायण राणे पर सीएम नहीं ही बन पाए

राणे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. राणे ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘No Holds Barred:My Years in Politics’ में लिखा है कि कांग्रेस आलाकमान ने उनसे कहा था कि अगली बार उनकी सरकार आने पर उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जाएगा. 2008 में हुए मुंबई हमले के बाद बढ़ते दबाव के कारण सीएम विलासराव देशमुख ने इस्तीफा दे दिया. राणे को इसमें मौका दिखा, लेकिन कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बना दिया. 2009 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भी राणे ने मुख्यमंत्री पद की इच्छा जाहिर की. इस बार फिर कांग्रेस ने राणे को अनदेखा कर पृथ्वीराज चव्हाण को मुख्यमंत्री बना दिया. आखिर में राणे में 2017 में कांग्रेस भी छोड़ दी.

बीजेपी का साथ

कांग्रेस छोड़ने के बाद राणे ने खुद की पार्टी ‘महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष’ बनाई. जब 2018 में राणे राज्यसभा के लिए नॉमिनेट हुए उन्हें साथ मिला बीजेपी का. कुछ समय़ बाद 2019 में राणे आधिकारिक तौर पर बीजेपी में ही शामिल हो गए. राणे अभी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री हैं.

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नारायण राणे का परिवार और राजनीति

नारायण राणे का कोंकण इलाके में खासा असर है. राणे के दो बेटे हैं, नीलेश और नीतेश. नीलेश 2009 में पहली बार शिवसेना के सुरेश प्रभु को हराकर सांसद बने थे. तब से नीलेश के राजनीतिक कद में इजाफा नहीं हुआ. इसी कारण उन्होंने इस्तीफे की भी पेशकश की थी. राणे के छोटे बेटे नीतेश सिंधुदुर्ग जिले की कंकावली विधानसभा सीट से विधायक हैं. कंकावली नारायण राणे का गृहक्षेत्र भी है.

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