तेलंगाना में सरकार बनने, BRS के कमजोर होने का फायदा 17 सीटों पर उठाएगी कांग्रेस? समझिए
2023 में हुए तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की. प्रदेश की 119 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 64 सीटें जीत ली.
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Telangana Lok Sabha Election: तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों के लिए चौथे चरण में 13 मई मतदान होना है. कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में 2019 के चुनाव की अपेक्षा जबरदस्त प्रदर्शन करने के लिए प्रयासरत है. वैसे पार्टी ने 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चन्द्रशेखर राव सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी भावनाओं का फायदा उठाकर, अपनी गारंटी और रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में जबरदस्त जीत हासिल की. इस चुनाव में मिली हार ने केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति(BRS) की कमर तोड़ दी. अब लोकसभा चुनाव में BRS प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रासंगिकता की लड़ाई लड़ रही है.
BRS से नेताओं के पलायन और केसीआर की बेटी कविता की गिरफ्तारी ने पार्टी को और कमजोर कर दिया है. चुनावों का राष्ट्रवादी चरित्र ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच द्विध्रुवीय मुकाबले में बदल दिया है, जिससे BRS तीसरे स्थान पर नजर आ रही है.
तेलंगाना BRS का गढ़
BRS जो पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति(TRS) थी ने तेलंगाना में बहुत कम या बिना किसी प्रतिस्पर्धा के राज्य की सियासत पर अपना दबदबा बनाए हुए थी. प्रदेश के मतदाताओं ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा मिलने बाद BRS के संघर्षों के लिए उसे 2014 और 2019 में वोट किया और सरकार बनवाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में BRS ने 35 फीसदी वोट शेयर के साथ 11 सीटें जीती. वहीं 2019 में पार्टी दो सीटों के गिरावट के साथ 9 सीटें तो प्राप्त की लेकिन वोट शेयर बढ़कर 42 फीसदी हो गया.
वैसे बालाकोट हवाई हमले के बाद पैदा हुए राष्ट्रवाद के उत्साह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, लाभार्थी कारक और सीट लेवल पर सियासत की वजहों से बीजेपी ने 2019 के चुनाव में अपना वोट शेयर दोगुना कर लिया. कांग्रेस ने भी 2019 में अपना वोट शेयर 25 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर लिया और 2014 में मिली सीट में एक और सीट जीत ली.
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2023 में कांग्रेस ने की जबरदस्त वापसी
2023 में हुए तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की. प्रदेश की 119 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 64 सीटें जीत ली. तत्कालीन सत्तारूढ़ BRS को सिर्फ 38 सीटें मिली, बीजेपी ने आठ और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(AIMIM) ने सात सीटें जीती. लोकल लेवल पर सत्ता विरोधी लहर और समाज के सभी वर्गों के लिए गारंटी की घोषणा की वजह से कांग्रेस ने BRS के 38 फीसदी और बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के 14 फीसदी के मुकाबले 40 फीसदी वोट शेयर हासिल किया.
2024 में कांग्रेस के लिए क्या है संभावनाएं?
तेलंगाना कांग्रेस सरकार ने अपनी छह चुनावी गारंटियों के लिए करीब 53 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है. इसमें महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, गरीबों के लिए 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा, रुपये में घरेलू LPG सिलेंडर की आपूर्ति शामिल है. प्रत्येक वृद्ध को 500 रुपये और प्रति माह 200 यूनिट तक बिजली की फ्री स्कीम भी शामिल है. रेवंत रेड्डी ने इन सभी गारंटियों के दम पर अपने लाभार्थियों का एक समूह तैयार कर लिया है और बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी देश के अन्य भागों की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं जिसका फायदा पार्टी को जरूर देखने को मिलेगा.
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वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में कथित शराब घोटाले में केसीआर की बेटी के कविता की गिरफ्तारी से पार्टी की छवि खराब हुई है. BRS संकट से गुजर रही है. इसके 9 लोकसभा सांसदों में से पांच और एक विधायक कांग्रेस या बीजेपी में शामिल होने के लिए बेताब है. यानी पार्टी की स्थिति और कंजूर ही नजर आ रही है. वैसे बीजेपी ने भी दक्षिण भारत में 35 फीसदी वोट शेयर और 'मिशन 50' सेट किया हुआ है. पार्टी के इस मिशन को पूरा करने के लिए बीजेपी को तेलंगाना में बेहतर प्रदर्शन जरूरी है. वैसे जानकारी के मुताबिक, बीजेपी का लक्ष्य तेलंगाना की 17 सीटों में से 12 सीट पर जीत हासिल करने का है.
सिनेरियो के आधार पर विश्लेषण
A- यदि कांग्रेस को BRS की कीमत पर लाभ मिलता है, तो उसके SC-ST और मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी से तीन सिनेरियो सामने आ सकते है-
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1- यदि कांग्रेस, BRS के 5 फीसदी वोटों में सेधमारी करने में कामयाब हो जाती है तो दोनों पार्टियां छह-छह सीटें जीत सकती है. इसके साथ ही चार सीटें बीजेपी और 1 सीट AIMIM के खाते में जा सकती है.
2- यदि BRS, कांग्रेस के हाथों 10 फीसदी वोट खो देती है, तो कांग्रेस 10 सीटें जीत सकती है.
3- यदि BRS, कांग्रेस के हाथों 15 फीसदी वोट खो देती है, तो कांग्रेस पार्टी 12 सीटें तक जीत सकती है.
B- दूसरी ओर कोई यह तर्क दे सकता है कि, विधानसभा चुनावों में BRS के पास बचा वोट शेयर काफी हद तक कांग्रेस विरोधी वोट है और यह कांग्रेस को ट्रांसफर नहीं हो सकता है. इसके बजाय यह वोट शेयर द्विध्रुवीय मुकाबले में बीजेपी के पास जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो तीन स्थितियां सामने आ सकती है-
1- यदि BRS का 5 फीसदी वोट बीजेपी को चला जाता है, तो बीजेपी और कांग्रेस पांच-पांच सीटें जीत सकती है. इसके साथ ही BRS को 6 और एक सीट AIMIM को मिलेगी.
2- यदि BRS को बीजेपी से 10 फीसदी वोटों का नुकसान होता है, तो BRS और भाजपा पांच-पांच सीटें जीत सकती है वहीं कांग्रेस 6 और AIMIM सिर्फ एक सीट जीत सकती है.
3- अगर BRS का 15 फीसदी वोट बीजेपी को चला जाता है, तो कांग्रेस आठ सीटें, बीजेपी पांच, BRS तीन और AIMIM सिर्फ एक सीट जीत सकती है.
वैसे आपको बता दें कि, फरवरी में इंडिया टुडे के 'देश का मिजाज सर्वेक्षण' में सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए 10 सीटों की भविष्यवाणी की गई थी. हालांकि 4 जून को आने वाले नतीजों में ये देखना होगा कि, क्या कांग्रेस इस आंकड़े तक पहुंच पाती है या नहीं?
यह लेख देश की चुनावी सियासत पर नजर रखने वाले अमिताभ तिवारी ने इंडिया टुडे के ओपिनियन पेज पर लिखा है.
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