अलवर से ISI एजेंट गिरफ्तार, पाकिस्तानी 'ईशा शर्मा' के चक्कर में देश से करने लगा गद्दारी, पुलिस ने ऐसे दबोचा
राजस्थान इंटेलिजेंस ने अलवर से ISI एजेंट मंगत सिंह को गिरफ्तार किया है. वह 'हनी ट्रैप' और पैसों के लालच में फंसकर एक साल से अलवर सेना मुख्यालय की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेज रहा था. उससे पूछताछ में बड़े खुलासे की उम्मीद है.

राजस्थान इंटेलिजेंस ने अलवर के मंगत सिंह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. मंगत सिंह पर अलवर सैन्य छावनी और अन्य सामरिक क्षेत्रों की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को भेजने का आरोप है. यह गिरफ्तारी शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 के तहत 10 अक्टूबर को जयपुर के स्पेशल पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के बाद हुई.
पाकिस्तान से लंबे समय से संपर्क
जांच में खुलासा हुआ कि मंगत सिंह पिछले एक साल से पाकिस्तान के दो नंबरों के संपर्क में था. इनमें से एक नंबर हनी ट्रैप से जुड़ा था, जबकि दूसरा सीधे तौर पर पाकिस्तान से संचालित हो रहा था. मंगत सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए अलवर कैंट मुख्यालय और देश के अन्य महत्वपूर्ण सामरिक स्थलों की गोपनीय जानकारी ISI को भेजी. इसके बदले उसे मोटी रकम दी गई.
हनी ट्रैप और धन का लालच दिया
इंटेलिजेंस की जांच में पता चला कि मंगत सिंह को एक छद्म नाम “ईशा शर्मा” वाली महिला हैंडलर ने हनी ट्रैप में फंसाया था. इसके अलावा, उसे बार-बार मोटी रकम ट्रांसफर की गई. जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि यह धनराशि किन माध्यमों से और कितनी बार मंगत सिंह तक पहुंची.
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ऑपरेशन सिन्दूर के बाद बढ़ी निगरानी
राजस्थान इंटेलिजेंस ने “ऑपरेशन सिन्दूर” के बाद से प्रदेश के सामरिक महत्व के क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखी हुई है. इसी गहन निगरानी के दौरान, अलवर छावनी के पास मंगत सिंह की गतिविधियां संदिग्ध पाई गई. पिछले दो साल से वह पाकिस्तानी हैंडलरों के संपर्क में था और लगातार गोपनीय जानकारी साझा कर रहा था.
10 अक्टूबर को हुई गिरफ्तारी
पुख्ता सबूत मिलने के बाद, 10 अक्टूबर को मंगत सिंह को जयपुर के केंद्रीय पूछताछ केंद्र में लाया गया. वहां विभिन्न इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पूछताछ की और उसके मोबाइल की तकनीकी जांच की गई. तथ्यों की पुष्टि होने पर सीआईडी इंटेलिजेंस राजस्थान ने उसे 'शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923' के तहत गिरफ्तार किया और जयपुर के स्पेशल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया.
क्या बोले जांच अधिकारी?
इंटेलिजेंस के डीआईजी राजेश मील ने पुष्टि की कि मंगत सिंह लंबे समय से सेना से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तान को भेज रहा था. डीआईजी ने बताया, "यह सिलसिला अब भी जारी था, और इसके एवज में उसे कई बार मोटी रकम ट्रांसफर हुई है. उससे लगातार पूछताछ की जा रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस रैकेट से जुड़े और बड़े खुलासे होंगे."