वसुंधरा राजे से मिलने के लिए डोटासरा ने किया 20 मिनट तक इंतजार, मुलाकात ने बढ़ाई सियासी गर्मी, जानें दोनों के बीच क्या हुई बात

राजस्थान की राजनीति में अंता उपचुनाव से पहले अचानक बढ़ी हलचल. बीकानेर एयरपोर्ट पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अप्रत्याशित मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है. अब इस भेंट के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

Vasundhara Raje and Govind Singh Dotasra
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Anta Vidhan Sabha Chunav 2025:  राजस्थान की सियासत में इन दिनों अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान पहले से ही चढ़ा हुआ है. इसी बीच बीकानेर एयरपोर्ट पर हुई एक मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है. ये मुलाकात थी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की. दोनों नेता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी के निधन पर संवेदना व्यक्त करने बीकानेर पहुंचे थे. बता दें कि रामेश्वर डूडी का हाल ही में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. इसके बाद प्रदेश के तमामबड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने बीकानेर पहुंच रहे हैं.

एयरपोर्ट पर डोटासरा ने किया इंतजार

इसी मौके पर डोटासरा पहले से एयरपोर्ट पर मौजूद थे. तभी उन्हें जानकारी मिली कि वसुंधरा राजे भी यहां आने वाली हैं. दाेनों के राजनीतिक  विचारधारा भले ही अलग हो लेकिन डोटासरा ने शिष्टाचार निभाते हुए करीब 20 मिनट तक एयरपोर्ट पर रुकने का फैसला किया.
 

क्या हुई बातचीत?

इस बीच वसुंधरा राजे जैसे हीएयरपोर्ट पर पहुंचीं तो डोटासरा ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. राजे ने मुस्कुराते हुए उनको हाथ मिलाकर धन्यवाद दिया. ये मुलाकात यही खत्म नहीं हुई. डोटासरा जब जाने लगे तो  राजे ने मुस्कुराते हुए पूछा, “अब आप कहां जा रहे हैं?” इस पर डोटासरा ने जवाब दिया, “अब सीधा अंता जाऊंगा.” राजे ने तुरंत चुटकी लेते हुए कहा, “भाई, मैं आपको वहीं मिलूंगी.” इस हल्की-फुल्की बातचीत ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है.

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नरेश मीना ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान

अंता उपचुनाव से पहले ये मुलाकात अब राजनीतिक विश्लेषण का दिलचस्प विषय बन गई है. यहां कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने अब तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. नरेश मीना ने टिकट कटने के बाद बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि यह मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार भर भी हो सकती है, लेकिन चुनावी माहौल में हर मुलाकात के कई मायने निकाले जाते हैं. अब सवाल उठ रहे है कि क्या ये केवल औपचारिक भेंट थी या इसके पीछे कोई राजनीतिक संकेत छिपा है?

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