Rajasthan Budget 2023: किसानों के बाद युवाओं को बजट ब्रह्मास्त्र से मिलेगा बड़ा तोहफा! जानें
Rajasthan Budget 2023: जैसा की हम सभी को 10 फरवरी का इंतजार है. क्योंकि उस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कार्यकाल का पांचवा और अंतिम बजट पेश करने जा रहे हैं. ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि ये बजट युवाओं को समर्पित रहने वाला बजट होगा. पिछले साल यानि की 2022 का […]
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Rajasthan Budget 2023: जैसा की हम सभी को 10 फरवरी का इंतजार है. क्योंकि उस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कार्यकाल का पांचवा और अंतिम बजट पेश करने जा रहे हैं. ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि ये बजट युवाओं को समर्पित रहने वाला बजट होगा. पिछले साल यानि की 2022 का बजट करीब 2 लाख 14 हजार 977 करोड़ 23 लाख रुपए का था. इस बार का अनुमान है की लगभग 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए का बजट होगा. चर्चाएं तो ये भी है कि इस बार का बजट दुनिया के 40 देशों के बजट से भी ज्यादा बड़ा होने वाला है.
लेकिन क्या आप ये जानते हैं की राजस्थान का पहला बजट किसने पेश किया था? दरअसल 1949 में राजस्थान का गठन होने के बाद पहली बार आजादी के बाद विधानसभा में राज्य का पहला बजट 4 अप्रैल 1952 को पेश किया गया था. यह बजट लगभग 17.25 करोड़ का था. उस समय के रहे वित्त मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा ने यह बजट पेश किया था. मतलब की दिग्गज जाट नेता रहे नाथूराम मिर्धा ने ये बजट पेश किया.
अब चलिए आपको ये भी बता देते हैं की आखिरकार राजस्थान का बजट कैसे बनता है? जानकारी के मुताबिक जो बजट फरवरी के आखिर और मार्च की शुरुआत में पेश होता है. उसे बनाने की तैयारियां महीनों पहले यानि की सितंबर-अक्टूबर से ही शुरु हो जाती है. इसके लिए सबसे पहले अलग-अलग विभागों को सर्कूलर जारी किया जाता है. ताकि सभी विभाग अपने-अपने आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार करने का काम शुरू करे.
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जब बजट फाइनलाइजेशन कमेटी यानि बीएफसी की बैठक होती है. तो उसमें सभी विभाग मौजूदा खर्च के साथ-साथ आने वाले साल में कितना फंड चाहिए. इसका हिसाब पेश किया जाता है. बजट फाइनलाइजेशन कमेटी जनवरी-फरवरी तक आते-आते अपना काम पूरा कर लेती है. बीएफसी का काम पूरा होने के बाद वित्त विभाग के बजट सेक्शन का काम शुरु होता है.
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साल 2022 का बजट जैसा की किसानों को समर्पित था. अब 2023 में गहलोत के जादुई पिटारे से क्या युवाओं को समर्पित रहने वाले बजट ब्रह्मास्त्र के जरिए पेपरलीक और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर युवाओं का गुस्सा काफूर करके क्या सता के सिंहासन पर फिर से गहलोत का ही आसन होगा?
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