गुलदस्ते पर 500 खर्चने की जगह उसी पैसों से बच्चों को 2 KG सेब खिला सकते हैं...', एमपी के शिक्षा धर्मेंद्र प्रधान बोले

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भोपाल में कहा कि बच्चों का पोषण सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं, समाज को भी आगे आना होगा. उन्होंने नेताओं से अपील की कि गुलदस्तों पर खर्च करने की बजाय फल और पौष्टिक खाद्य सामग्री बच्चों तक पहुंचाई जाए.

धर्मेंद्र प्रधान को गुलदस्ता भेंट करते BJP विधायक रामेश्वर शर्मा.
धर्मेंद्र प्रधान को गुलदस्ता भेंट करते BJP विधायक रामेश्वर शर्मा.
social share
google news

भोपाल में रविवार यानी 7 दिसंबर को आयोजित NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पहुंचे, जहां उन्होंने शिक्षा को एक जन-आंदोलन बनाने की बात कही. लेकिन उनके भाषण की सबसे ज्यादा चर्चा बच्चों के पोषण पर दिए गए बयान की रही. उन्होंने साफ कहा कि सिर्फ सरकार नहीं, समाज को भी बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की जिम्मेदारी उठानी होगी.

प्रधान ने मंच से मौजूद नेताओं और जनप्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए कहा कि स्वागत के दौरान दिए जाने वाले गुलदस्ते सिर्फ कुछ सेकंड की शोभा होते हैं, जबकि उन्हीं पैसों से बच्चों के लिए पौष्टिक चीजें खरीदी जा सकती हैं. 

उन्होंने कहा कि एक गुलदस्ता कम से कम 500 रुपए का होता है फोटो खिंचवाने के बाद उसका कोई मतलब नहीं रह जाता. वहीं इतने पैसों में 2 किलो सेब आ सकते हैं जो किसी बच्चे के लिए कहीं ज्यादा फायदेमंद है.

यह भी पढ़ें...

गुजरात में चली पहल का किया जिक्र

उन्होंने गुजरात में चली पहल का जिक्र किया, जहां अब गुलदस्तों की जगह फलों की टोकरी भेंट की जाती है. उन्होंने कहा कि यह बदलाव प्रतीकात्मक नहीं बल्कि समाज की सोच में सुधार का संकेत है.

इतना ही नहीं धर्मेंद्र प्रधान ने मध्य प्रदेश के बच्चों की पोषण स्थिति पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 1.5 करोड़ स्कूल विद्यार्थियों में से लगभग 50 लाख बच्चों ने 5वीं कक्षा तक कभी सेब खाकर नहीं देखा होगा, देखा भी होगा तो सिर्फ बाजार में. अंजीर जैसी चीजें तो बहुतों की जिंदगी में 10वीं कक्षा के बाद ही आती हैं. कई बच्चों को रोज एक गिलास दूध भी नसीब नहीं होता.

कोई अगला अब्दुल कलाम निकल आए

मंच पर बैठे बीजेपी विधायकों रामेश्वर शर्मा और भगवानदास सबनानी को संबोधित करते हुए उन्होंने एक व्यावहारिक सुझाव दिया. उन्होंने कहा, 'रामेश्वर जी बड़े भंडारे करते हैं… मेरी उनसे गुजारिश है कि उनकी विधानसभा में हफ्ते में कम से कम एक दिन हर बच्चे को एक अंजीर, दो काजू और एक बेसन का लड्डू जरूर मिले. क्या पता इसी पोषण से कोई अगला अब्दुल कलाम निकल आए.'

प्रधान ने दोहराया कि पोषण अभियान प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकताओं में है लेकिन इसे सिर्फ ‘सरकारी योजना’ मानकर नहीं छोड़ सकते. समाज, जनप्रतिनिधि और हर जिम्मेदार नागरिक को इसमें योगदान देना होगा तभी शिक्षा और पोषण का असली फायदा बच्चों तक पहुंचेगा.

ये भी पढ़ें: सतत निगरानी, सघन जांच और तेज कार्रवाई से घटा है नक्सली दायरा- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

    follow on google news