बस्ती में खौफनाक वारदात! दलित छात्र को सरेआम बेल्ट-लात-घूंसों से पीटा, वीडियो वायरल होते ही मचा हड़कंप, सवर्णों पर गंभीर आरोप
बस्ती में एक दलित छात्र को सरेआम सड़क पर लात-घूंसों और बेल्ट से बेरहमी से पीटा गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस घटना में सवर्ण जाति के लोगों पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.
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Caste Discrimination UP: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल कलवारी थाना क्षेत्र के रमचंदपुर गांव में एक दलित छात्र को दिनदहाड़े बेरहमी से पीटा गया. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है.
सरेआम दबंगई और जातिगत टिप्पणी
जानकारी के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब 12वीं कक्षा के छात्र अभिषेक को कथित तौर पर कुछ सवर्ण जाति के दबंगों ने घेर लिया और लात-घूसों और बेल्ट से बुरी तरह पीटा. वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे दबंग युवक को पीट रहे हैं, जबकि वह दर्द से कराह रहा है और खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है.
आरोप है कि इस दौरान उस पर जातिसूचक टिप्पणियां भी की गईं. हैरानी की बात यह है कि दबंगों ने इस पूरी वारदात का वीडियो बनाया और उसे वायरल भी कर दिया, जिससे उनकी बेखौफ दबंगई साफ झलकती है.
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पुलिस का एक्शन और गिरफ्तारी
वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. बस्ती पुलिस ने मामले का संज्ञान लेते हुए कलवारी पुलिस को तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. पीड़ित छात्र के पिता राजेश कुमार की तहरीर पर पुलिस ने नामजद और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज कर ली है. पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि फरार चल रहे अन्य आरोपियों की तलाश में कई टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं.
समाज में गहरे सवाल
यह घटना एक बार फिर समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और दबंगई की समस्या को सामने लाती है. दिनदहाड़े इस तरह की वारदात और उसका वीडियो बनाकर वायरल करना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक ऐसे दलित छात्रों को इस तरह के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ेगा. पीड़ित छात्र के दिल में जो दर्द और खौफ इस घटना ने पैदा किया है, उसे मिटा पाना शायद ही कभी संभव होगा.
यह मामला दिखाता है कि समाज को अभी भी जातिगत पूर्वाग्रहों से मुक्ति पाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है. इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने और दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए न केवल पुलिस प्रशासन को और अधिक सक्रिय होना होगा, बल्कि समाज को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा.
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