गले मिले, कान में कहा 'हम भी भूमिहार हैं', संसद में अखिलेश और गिरिराज सिंह की मुलाकात का वीडियो वायरल

न्यूज तक

संसद में बीजेपी नेता गिरिराज सिंह और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात ने सबको चौंका दिया, जब दोनों नेता गले मिले और हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत की. इस दौरान 'भूमिहार' समाज से जुड़ी बातचीत और गर्मजोशी से हुई मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.

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Akhilesh yadav and Giriraj Singh Meeting
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संसद का माहौल आमतौर पर तीखी बहसों और आरोप-प्रत्यारोप का गवाह बनता है, लेकिन मंगलवार यानी 22 जुलाई को कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने सभी को चौंका दिया.

बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अचानक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से इस अंदाज में मिले कि वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया.

जहां एक ओर संसद के बाहर विपक्षी दल चुनाव आयोग के ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’ को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं अंदर गहमागहमी के बीच गिरिराज और अखिलेश की मुलाकात सियासी हलचलों से अलग एक गर्मजोशी भरे पल की तस्वीर बन गई.

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संसद में जब दो धुर विरोधी गले मिले

दरअसल, यह दिलचस्प पल तब सामने आया जब गिरिराज सिंह विपक्ष पर तीखे हमले बोल रहे थे और अखिलेश यादव उनके सामने खड़े थे. भाषण खत्म करते ही गिरिराज अचानक आगे बढ़े और अखिलेश को गले लगा लिया. दोनों नेताओं के बीच थोड़ी देर ठहाके भी गूंजे. ऐसा लग रहा था जैसे लंबे वक्त बाद दो पुराने जानकार आमने-सामने आए हों.

कान में क्या कहा गया? चर्चा का केंद्र वही

मुलाकात का सबसे दिलचस्प हिस्सा वो था, जब गले मिलने के तुरंत बाद अखिलेश यादव ने गिरिराज सिंह के कान में कुछ कहा. वीडियो में धीमी आवाज में कुछ बातें सुनाई दे रही थीं, जिनमें 'बिहार से हैं', 'भूमिहार हैं', 'हम भी भूमिहार हैं' जैसे शब्द झलकते हैं. यानी सियासत के बीच अचानक जातीय और क्षेत्रीय जुड़ाव की झलक देखने को मिली.

भूमिहार भाईचारा या राजनीतिक संकेत?

इस मुलाकात के दौरान अखिलेश यादव ने अपने पार्टी सांसद राजीव राय को भी गिरिराज से मिलवाया. राजीव राय भी भूमिहार समाज से आते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई कि क्या ये मुलाकात सिर्फ औपचारिकता थी या इसके पीछे कोई राजनीतिक संदेश भी छिपा है?

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो बना बहस का मुद्दा

इस वीडियो ने इंटरनेट पर आते ही जोर पकड़ लिया. लोग इसे ‘भूमिहार बॉन्डिंग’ तो कोई ‘सियासी रणनीति’ बताने लगा. कुछ ने इसे देश की राजनीति में सभ्यता और आपसी सम्मान का प्रतीक बताया तो कुछ ने इसके पीछे आगामी गठबंधन की संभावनाओं की तलाश शुरू कर दी.

नजरिया बदल रही है संसद की तस्वीर?

हालांकि राजनीति में मतभेद आम बात हैं, लेकिन ऐसे पल यह दिखा देते हैं कि विरोधी खेमों के नेता भी निजी स्तर पर एक-दूसरे से गर्मजोशी से मिल सकते हैं. गिरिराज सिंह और अखिलेश यादव की ये मुलाकात इसी बात का उदाहरण है कि राजनीति में दरवाज़े पूरी तरह कभी बंद नहीं होते.

गिरिराज सिंह और अखिलेश यादव की संसद में मुलाकात एक दिलचस्प राजनीतिक दृश्य बन गई है. 'भूमिहार कनेक्शन' और संसद की गलियारों में हुई ये हल्की-फुल्की बातचीत आने वाले दिनों में किसी बड़ी सियासी कहानी की शुरुआत होगी या बस एक तात्कालिक गर्मजोशी भरा लम्हा था, यह देखना बाकी है.

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