टिकट मिलेगा तभी करेंगे बिहार की समस्याओं पर बात... मैथिली और पवन सिंह पर बरसीं नेहा सिंह राठौड़
बिहार में चुनावी माहौल के बीच गायक मैथिली ठाकुर और पवन सिंह के राजनीति में आने की चर्चाओं पर नेहा सिंह राठौड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

Bihar Election 2025: बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर 6 और 11 नवंबर को दो चरण में चुनाव होने वाली है. इन तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. इसी बीच, बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर की मुलाकात बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े से हुई है. इस मुलाकात के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि मैथिली ठाकुर बीजेपी की तरफ से मैदान में उतर सकती है. इतना ही नहीं भोजपुरी स्टार पवन सिंह भी चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
अब इन तमाम चर्चाओं पर हमेशा विवादों में रहने वाली एक और गायिका नेहा सिंह राठौड़ का बयान आया है, नेहा ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए इन गायकों को जमकर लताड़ लगाई है.
सिंगर और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर नेहा सिंग राठौड़ कहती हैं, 'बिहार में चुनावी मौसम आते ही गायक और गायिकाओं में विधायक बनने की होड़ मच गई है. हर किसी को अब टिकट चाहिए. इस क्रम में कोई खुद को गरीबों की लाठी बताना चाहता है, तो कोई बिहार को "बदलने" का सपना दिखा रहा है. कुछ को तो प्रधानमंत्री मोदी में भगवान दिखने लगे हैं.
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हालत ये है कि जो कलाकार अब राजनीति में आने की मंशा जता रहे हैं, उन्होंने कभी बिहार की असली और गंभीर समस्याओं पर खुलकर कुछ नहीं कहा. न बेरोजगारी पर, न पलायन पर, न ही भ्रष्टाचार या खराब स्वास्थ्य व्यवस्था पर. और तो और, इनका सारा फोकस टिकट मिलने पर है- जैसे पहले टिकट मिले, तब ही ये बोलेंगे कि बिहार को क्या चाहिए.
बिहार की सच्चाई क्या है?
नेहा इसी वीडियो में आगे कहती हैं, बिहार के लोग आज भी तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं. इस राज्य में हर साल जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हो जाती है, छात्र सड़कों पर अपने हक के लिए उतरते हैं तो पुलिस की लाठियां खानी पड़ती हैं, परीक्षा हो भी गई तो पेपर लीक होना अब आम बात हो गई है, अस्पतालों की हालत इतनी खराब है कि मरीज इलाज से पहले ही दम तोड़ देते हैं, और पुल? वो तो जैसे गिरने के लिए ही बनाए जाते हैं.
कलाकार क्यों चुप हैं?
नेहा आगे कहती हैं, जिन गायकों और कलाकारों ने भोजपुरी इंडस्ट्री को ऊंचाई दी, वे अब भोजपुरी की ही “नाक काटने” में लगे हैं. राजनीति में आने की इच्छा है लेकिन बिहार के मुद्दों पर बोलने से पहले "टिकट" का इंतजार है. क्या इन लोगों को बेरोजगारी, पलायन, और स्वास्थ्य सेवाओं की हालत नहीं दिखती? या फिर पार्टी के कहने पर ही मुद्दे उठाएंगे?
जनता अब समझ चुकी है
नेहा आगे कहती हैं कि बिहार की मुर्ख नहीं है, गरीब है, परेशान है. उन्हें अच्छे से पता है कि कौन सेवा करना चाहता है और कौन सिर्फ कुर्सी पाना चाहता है. अगर वाकई किसी को जनता के लिए कुछ करना है, तो पहले जमीन पर उनकी लड़ाई लड़नी होगी. सरकार से सवाल पूछना होगा, दमन और मुकदमे झेलने होंगे.
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