एक चुनावी सलाह के लिए इतने करोड़ रुपए फीस लेते हैं प्रशांत किशोर, खुद किया बड़ा खुलासा
Bihar News: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोरअब अपनी पार्टी बना चुके हैं. पीके की पार्टी जनसुराज चुनावी रण में भी उतर चुकी है.इससे पहले प्रशांत किशोर लगातार पिछले 2 साल से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं.
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Bihar News: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोरअब अपनी पार्टी बना चुके हैं. पीके की पार्टी जनसुराज चुनावी रण में भी उतर चुकी है.इससे पहले प्रशांत किशोर लगातार पिछले 2 साल से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. पीके के पॉलिटिकल डेब्यू को लेकर कई सवाल उठे, जिसमें सबसे ज्यादा उठने वाला सवाल था पीके के पास आखिर इतना पैसा कहां से आ रहा है. प्रशांत किशोर को लेकर ये सवाल उठ रहे थे कि पीके को कौन फंडिंग कर रहा है. एक चुनावी रणनीतिकार आखिर इतना पैसा कहां से ला रहा है.अब इसका जवाब देने खुद सामने आए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने बता दिया कौन दे रहा पैसा
खुद को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए पीके ने बताया की आखिर कौन उन्हें दे रहा चुनाव लड़ने के लिए पैसा. प्रशांत किशोर ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया की ये सारे उनके अपने पैसे हैं. वो पैसे जो उन्होंने राजनीतिक दलों से कमाए हैं. पीके ने अपनी फीस को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया की उनके एक सलाह की कीमत 100 करोड़ रुपए है. उन्होंने कहा है कि जब वह चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में थे तो वह किसी भी पार्टी या नेता को केवल एक सलाह देने के लिए 100 करोड़ से भी ज्यादा फीस वसूलते थे. जब बेलागंज में प्रशांत किशोर जन सुराज प्रत्याशी मोहम्मद अमजद के समर्थन में प्रचार प्रसार कर रहे थे तो अपने संबोधन के दौरान उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों से कहा कि उनसे हमेशा यह सवाल पूछा जाता है कि वह अपने अभियान के लिए पैसा कहां से लाते हैं जिसके बाद उन्होंने खुलासा किया कि वह किसी भी पार्टी या दल के नेता को एक सलाह देने का 100 करोड़ से भी ज्यादा फीस लेते थे. इसके अलावा पीके ने ये भी बताया की कितने राज्यों में उन्होंने सरकार बनाई है.
13 नवंबर को है बिहार में उपचुनाव
3 नवंबर को बिहार के चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है जिसमें पहली बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी चुनावी मैदान में उतर रही है और प्रशांत किशोर ने चारों सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं जिसमें बेलागंज, इमामगंज, रामगढ़ और तरारी शामिल है. प्रशांत ने बिना देरी किए पाार्टी बनाते के साथ चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया. अब देखना होगा कि चुनावी रणनीतिकार के रुप में सफल हुए प्रशांत नेता बनने में कितना सफल हो पाते हैं. अलग-अलग राज्यों में अपने दम पर सरकार बनाने का दावा करने वाले पीके खुद बिहार में कितना सफल हो पाते हैं.