नक्सलमुक्त हुआ छत्तीसगढ़, MP और महाराष्ट्र...हिड़मा का समकक्ष रामधेर मज्जी ने ग्रुप के साथ किया सरेंडर

छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में सेंट्रल कमेटी मेंबर और 1 करोड़ के इनामी रामधेर मज्जी समेत 12 बड़े नक्सलियों ने हथियार डाल दिए/ हिडमा के एनकाउंटर के बाद तीन राज्यों में लगातार नक्सलियों के सरेंडर की प्रक्रिया तेज होती जा रही है.

छत्तीसगढ़ में बड़ा धमाका
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छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को बड़ी सफलता मिली है. खैरागढ़ इलाके में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और लगातार ऑपरेशन के बीच 12 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें सबसे बड़ा नाम है सेंट्रल कमेटी मेंबर रामधेर मज्जी का, जिस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था.

उत्तर बस्तर का कुख्यात कमांडर सरेंडर में शामिल

रामधेर मज्जी लंबे समय से उत्तर बस्तर डिवीजन में सक्रिय था. उसने अपने साथ कुल 11 साथियों के साथ खैरागढ़ के कुम्ही गांव के बकरकट्टा थाने में पुलिस के सामने हथियार रख दिए.

उसके साथ सरेंडर करने वालों में शामिल हैं:

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  • DVCM रैंक के चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम
  • ACM रैंक के रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम
  • PM स्तर के लक्ष्मी, शीला, योगिता, कविता और सागर

पुलिस कर रही पूछताछ

इनमें से दो नक्सलियों के पास से AK-47 और इंसास राइफल बरामद की गई है. पुलिस इन सभी से अब पूछताछ कर रही है ताकि नेटवर्क और बाकी गतिविधियों की जानकारी जुटाई जा सके.

हिडमा के बाद बस्तर में सबसे बड़ा नाम था रामधेर

रामधेर न केवल एमएमसी जोन का कमांडर माना जाता था, बल्कि उसकी सुरक्षा भी तीन परतों में होती थी. कई बड़ी घटनाओं में उसका हाथ बताया जाता है. हिडमा के एनकाउंटर के बाद उसका क्षेत्र में खासा दबदबा बढ़ गया था.

पिछले महीने ही मारा गया था हिडमा

बता दें कि इससे पहले 18 नवंबर को आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेदुमिल्ली जंगल में सुरक्षाबलों ने हिडमा को मार गिराया था. वह बस्तर क्षेत्र का एक कुख्यात नक्सली कमांडर और सीपीआई की सेंट्रल कमेटी का युवा सदस्य था. इतना ही नहीं हिडमा PLGA बटालियन-1 का प्रमुख था और 2010 का ताड़मेटला हमला, 2013 का झीरम घाटी नरसंहार जैसे 26 से ज्याद बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रह चुका था इस शख्स पर भी 1 करोड़ रुपये का इनाम था.

नक्सलियों के DVCM, ACM और PM रैंक क्या होते हैं?

छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में नक्सल अभियान के दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से जब भी कोई बड़ी कार्रवाई होती है तो अक्सर खबरों में कुछ रैंक सामने आते हैं DVCM, ACM और PM. यह शब्द अक्सर लोगों को समझ नहीं आते कि आखिर नक्सली संगठन में ये रैंक किस पद को दर्शाते हैं. 

  • DVCM यानी Divisional Committee Member. यह नक्सली संगठन में एक उच्च रैंक माना जाता है. DVCM किसी बड़े क्षेत्र या डिविजन का कमांडर जैसा होता है. हथियारों की सप्लाई, बड़े हमलों की प्लानिंग, टीमों को निर्देश देना इस स्तर पर बैठे लोगों के जिम्मे आता है. बड़े समर्पण या मुठभेड़ में जिन नक्सलियों के नाम घोषित होते हैं, उनमें DVCM अक्सर सबसे हाई-प्रोफाइल होता है.
  • ACM यानी Area Committee Member ये रैंक DVCM से एक स्तर नीचे होता है. ACM किसी छोटे इलाके या क्षेत्र की कमान संभालता है. गांव-जंगल के एरिया में नक्सली गतिविधियों की योजना, नए लोगों की भर्ती, आईईडी लगवाना, हथियार छिपाना, जैसे काम ACM की जिम्मेदारी में आते हैं. नक्सल संगठन का सीधा स्थानीय संचालन ACM लेवल के लोग संभालते हैं.
  • PM यानी Party Member या Militia Member. यह संगठन का सबसे बेसिक रैंक माना जाता है. PM स्तर के नक्सली आमतौर पर लड़ाकू कैडर होते हैं जो जंगलों में निगरानी, हथियार उठाना, रास्ता दिखाना, हमले में शामिल होना जैसे कार्य करते हैं. इन्हें कमांड का पालन करना होता है लेकिन नेतृत्व की भूमिका नहीं होती.

नक्सलियों का पूरा रैंक सिस्टम समझिये 

नक्सली संगठन की सबसे बड़ी कमान Central Committee (CC) के हाथ में होती है. यहीं से सारे बड़े फैसले होते हैं. जैसे- कहां हमला करना है, कौन सा क्षेत्र किसके हवाले करना है, किस नेता को किस पोस्ट पर रखना है सब कुछ.

Central Committee के नीचे आता है State, Zonal और Regional कमेटियां. Central Committee सीधे-सीधे हर इलाके को नहीं चलाती. इसके नीचे कई स्तर होते हैं:

स्टेट कमीटी पर पूरे राज्य की कमान होता है. वहीं जोनल या स्पेशल जोनल कमेटी पर कई जिलों या बड़े इलाके की जिम्मेदारी होती है. जबकि रीजनल कमीटी एक विशेष क्षेत्र, जंगल या बेल्ट की देखरेख करता है.

जमीनी कमांडर

नक्सल संगठन में जमीनी स्तर पर असली कमान Divisional, District और Area Committees के हाथ में होती है. इन्हीं स्तरों पर रोजमर्रा की पूरी गतिविधियां चलती हैं. Divisional Committee (DVC) किसी बड़े जंगल या डिविजन जैसे विस्तृत इलाके की जिम्मेदारी संभालती है, जबकि उससे थोड़ा नीचे  District Committee (DC) पूरे जिले के स्तर पर कामकाज देखती है. 

इसके बाद आती है Area Committee (AC), जो किसी छोटे जंगल, कुछ गांवों या एक विशेष इलाके को नियंत्रित करती है. मीडिया रिपोर्ट्स में जिनको DVCM (Divisional Committee Member) और ACM (Area Committee Member) कहा जाता है, वे इसी स्तर के कमांडर होते हैं. ये लोग ही तय करते हैं कि किसको संगठन में भर्ती करना है, किस रास्ते पर IED लगाना है, कौन सा गांव बैठक के लिए सुरक्षित है और किस इलाके में कौन-सी टीम सक्रिय रहेगी. यानी, जमीन पर नक्सली गतिविधियों को वास्तव में चलाने और निर्देश देने का असली अधिकार इन्हीं कमांडरों के पास होता है.

सेल और स्थानीय नेटवर्क

इनके नीचे छोटे-छोटे 'सेल', गांव स्तर के सदस्य और लोग होते हैं जो लोकल सपोर्ट देते हैं. ये लोग छुपने की जगह, खाना, रास्ता, सूचना सबकुछ उपलब्ध करवाते हैं.

एमपी में 10 ने किया सरेंडर

इससे एक दिन पहले ही मध्य प्रदेश में नक्सलियों के बड़े नेता कबीर ने अपने साथियों के साथ हथियार डाल दिए थे. इस आत्मसमर्पण के लिए खुद एमपी के सीएम मोहन यादव बालाघाट पहुंचे थे. कबीर ने अपने साथियों के साथ एके-47, इंसास और एसएलआर जैसे खतरनाक हथियार भी डाले थे.

ये सरेंडर ये भी बताते हैं कि हिडमा के एनकाउंटर के बाद नक्सलियों में खौफ है. नक्सलियों ने एमपी, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीएम को पत्र लिखकर 15 फरवरी तक का वक्त मांगा था. इसके साथ ही खुद को सरेंडर करने की इच्छा भी जाहिर की थी. अब तीनों राज्यों में बड़े-बड़े नक्सली सरेंडर करने लगे हैं.

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