MP इलेक्शन में AIMIM की एंट्री, असदुद्दीन ओवैसी ने गठित किया 7 सदस्यीय दल, हो सकता बड़ा फैसला
Mp Politics News: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे की दस्तक हो सकती है. मध्यप्रदेश में सदुद्दीन ओवैसी की पार्टी चौथे मौर्चे के रूप में सामने आ सकती है. इसकी अटकलें तेज हो चली हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में मध्यप्रदेश से एक दल हैदराबाद गया था, जहां उन्होंने ओवैसी से मुलाकात […]

Mp Politics News: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे की दस्तक हो सकती है. मध्यप्रदेश में सदुद्दीन ओवैसी की पार्टी चौथे मौर्चे के रूप में सामने आ सकती है. इसकी अटकलें तेज हो चली हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में मध्यप्रदेश से एक दल हैदराबाद गया था, जहां उन्होंने ओवैसी से मुलाकात की…असदुद्दीन ओवैसी ने मध्यप्रदेश में सात सदस्यों की कोर कमेटी बनाई. यह कमेटी चुनाव से जुड़े निर्णय लेने के बाद बैरिस्टर ओवैसी को रिपोर्ट देगी.
जानकारी के मुताबिक कोर कमेटी के निर्णयों पर अंतिम फैसला औवेसी का ही होगा. ओवैसी ने जिन सात लोगों को एमपी कोर कमेटी में शामिल किया है, उनमें जबलपुर से सरफराज खान, बुरहानपुर से एडवोकेट सोहेल हाशमी, भोपाल से ताहिर अनवर, खंडवा से मोहम्मद उमर, इंदौर से मोहम्मद असलम, दमोह से इकबाल खान और बड़वानी सेंधवा से हारून शेरी है.
2022 से ही चल रहा है पार्टी का सदस्यता अभियान
दरअसल अपने सदस्यता अभियान और नगरीय निकाय चुनाव से बढ़ती ताकत के दम पर एआईएमआईएम नेताओं का हौसला इतना बुलंद हो गया है कि अब वह मध्यप्रदेश में कांग्रेस को कुछ नही समझ रहे हैं. तौकीर निजामी ने एमपी तक को बताया कि एआईएमआईएम के बिना किसी की सरकार नहीं बन सकती है. वहीं कांग्रेस का जनाधार गिर चुका है और अब एआईएमआईएम का सीधा मुकाबला बीजेपी से है. अब मध्य प्रदेश में बीजेपी को एआईएमआईएम ही टक्कर देगी. कांग्रेस धरातल पर जा चुकी है क्योंकि अगर कांग्रेस को वोट देते हैं तो कांग्रेस के नेता बीजेपी में चले जाते हैं.
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नगरीय निकाय चुनाव में जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी है ओवैसी की पार्टी
मध्य प्रदेश में 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में एआईएमआईएम ने 7 पार्षद सीटें हासिल की थी. जिसके बाद से पार्टी का सदस्यता अभियान लगातार जारी है और वह मुस्लिम बहुल इलाकों में सदस्यता अभियान चला रही है. इस दौरान नए कार्यकर्ताओं की दावत भी हो रही है, जिसमें बिरयानी भी परोसी जा रही है. यह बात खुद उनकी पार्टी के ही नेता ने स्वीकारी है. देखने वाली बात यह होगी की बिरयानी की दावत से शुरू हुआ सदस्यता अभियान चुनाव से पहले कहां तक जाता है.
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