ग्वालियर हाईकोर्ट: कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में वकील को रेप का Video देखने के लिए क्यों कहा?

सर्वेश पुरोहित

MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी की जमानत पर विचार करने के बाद पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह सरकारी वकील को कथित दुष्कर्म का वीडियो दिखाएं, लेकिन इस वीडियो को कहीं भी ट्रांसफर नहीं किया जाए. दरअसल ग्वालियर के बिलौआ थाना क्षेत्र […]

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MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी की जमानत पर विचार करने के बाद पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह सरकारी वकील को कथित दुष्कर्म का वीडियो दिखाएं, लेकिन इस वीडियो को कहीं भी ट्रांसफर नहीं किया जाए. दरअसल ग्वालियर के बिलौआ थाना क्षेत्र में रहने वाली एक विवाहिता ने जितेंद्र बघेल नामक व्यक्ति पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है. महिला ने आरोप में यह भी कहा है कि जब उसके साथ दुष्कर्म हो रहा था, तब उसने घटना का गुपचुप तरीके से वीडियो भी बनाया था. यह बात पुलिस की एफआईआर में भी आई है.

पुलिस ने उस वीडियो को महिला से जब्त कर लिया है. महिला की शिकायत के बाद आरोपी जितेन्द्र बघेल के खिलाफ घर में घुसकर बलात्कार करने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था और उसे जेल भेज दिया गया था. उसने हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए आवेदन लगाया है. लेकिन हाईकोर्ट जज अतुल श्रीधरण ने इस पर आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि जब दुष्कर्म की घटना होती है तो पीड़िता द्वारा उसका विरोध किया जा सकता है. लेकिन कोई दुष्कर्म पीड़िता महिला इसका वीडियो खुद कैसे बना सकती है.

हाईकोर्ट ने सरकारी वकील को निर्देशित किया है कि वह इस मामले का परीक्षण करें कि पीड़ित महिला से बरामद पेन ड्राइव अथवा सीडी में घटना बलात्कार की पुष्टि करती है. महिला द्वारा स्वेच्छा से आरोपी जितेंद्र बघेल के साथ रिश्ते बनाए जा रहे हैं.

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आरोपी के वकील ने कहा- झूठे मुकदमे में फंसाया गया
इस मामले में आरोपी जितेंद्र बघेल की वकील संगीता पचौरी का कहना है कि महिला के पति और जितेंद्र के बीच कुछ पैसों के लेनदेन का विवाद था. लेकिन जितेंद्र को पति-पत्नी ने मिलकर बलात्कार के केस में झूठा फंसा दिया. यह घटना बिलौआ थाने में 16 दिसंबर 2022 को दर्ज हुई थी. जबकि घटना 10 नवंबर 2022 की बताई गई है. उनका यह भी कहना था कि इतने विलंब से मामले की एफआईआर होना भी कई शक पैदा करता है. अब इस मामले में 15 फरवरी को हाईकोर्ट की एकल पीठ में सुनवाई होगी. कोर्ट ने सरकारी वकील को यह भी निर्देशित किया है कि वह पुलिस के लैपटॉप या उसके किसी संसाधन में ही इस वीडियो को देखें और उसे किसी मोबाइल या अन्य उपकरण में संग्रहित ना करें.

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