कूनो नेशनल पार्क: पहली बार देखिए बीमारी से उबर रहे जीवित बचे एकमात्र चीते शावक की तस्वीर

खेमराज दुबे

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Kuno National Park: मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क से राहत भरी खबर सामने आयी है. दरअसल मादा चीता ज्वाला (पहले सियाया) द्वारा भारत की सरजमीं पर जन्मे 4 शावकों में से 3 की मौत के बाद जिंदा बचे चौथे शावक बीमार शावक की सेहत में अब तेजी से सुधार हो रहा है. उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है. पार्क के पालपुर अस्पताल में वेटेरियन चिकित्सकों की देखरेख में अब शावक अस्पताल में खिलखिला रहा है. वहीं एक अन्य मादा चीता को भी अब कूनो के खुले जंगल में छोड़ दिया गया है.

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जसवीर सिंह चौहान ने बताया कि मादा चीता ज्वाला के चौथे शावक की तबीयत पूरी तरह ठीक है. शावक की खास देखभाल और निगरानी के बाद उसकी हालत में सुधार आया है. उसे वेटेरियन चिकित्सकों की निगरानी में पूरी सुरक्षा के साथ रखा जा रहा है, जल्द ही उसे मां ज्वाला के पास छोड़ा जायेगा.

शावक के बीमार होने से चिंता का माहौल
ज्वाला नामक मादा चीता ने 25 मार्च को कूनो नेशनल पार्क में 4 शावकों को जन्म दिया था. स्वास्थ्य खराब होने की वजह से एक के बाद एक लगातार तीन शावकों की मौत हो गई थी, जिससे दुख का माहौल था. ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि विदेशी प्रजाति के ये चीते कूनो नेशनल पार्क के माहौल में नहीं ढल पा रहे हैं, इसीलिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही हैं. चौथे शावक का भी स्वास्थ्य खराब था, जिसका इलाज चल रहा था. अब राहत भरी खबर आई है.

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ऐसे स्वस्थ हुआ ज्वाला का शावक
कूनो नेशनल पार्क के अंदर मौजूद पालपुर अस्पताल में बेहतर संसाधन एवं चीता एक्सपर्ट वेटेरियन की निगरानी में मादा चीता ज्वाला के आखिरी शावक को बचाने के लिए पूरी ताकत कूनो प्रबंधन ने झौंक दी. उसे हैल्थी फूड सिरप, बकरी का दूध सहित अन्य पोषक तत्वों को पिलाया गया, जिसका बेहतर रिजल्ट मिला है. शावक के ट्रीटमेंट को लेकर नामीबिया और साउथ अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों की सलाह भी ली जा रही थी, जिसके बाद शावक अब पूरी तरह ठीक है. स्वस्थ हो रहे शावक को बीते दो दिनों से बाडे़ में मौजूद उसकी मां के पास भी कुछ देर के लिए ले जाया जाता है और फिर वापस अस्पताल में लाकर निगरानी में रखा जा रहा है.

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मादा चीता धात्री भी खुले जंगल में
कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में कैद मादा चीता धात्री (तिब्लिसी) को भी आखिरकार खुले जंगल में छोड़ दिया गया है. अब कूनो के खुले जंगल में चीतों की संख्या कुल 8 हो गई है. इनमें 4 नर और 4 मादा हैं. जिसमें 5 नामीबियाई और 3 साउथ अफ्रीकी चीते शामिल हैं. सभी सामान्य रूप से कूनो पार्क के जंगलो में घूम रहे हैं, जिनके पीछे चीता मॉनिटरिंग टीम सतत रूप से निगरानी कर रही है.

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फोटो- खेमराज दुबे

ऐसे हुई थी चीतों की मौत
26 मार्च को पहली नामीबियाई मादा चीता साशा की किडनी संक्रमण से मौत हो गई थी. फिर 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीकी चीता उदय ने कार्डियोफिल्नोरिया से दम तोड़ दिया था. इसके बाद 9 मई को साउथ अफ्रीकी मादा चीता दक्षा की मीटिंग के दौरान हिंसक झड़प से मौत हो गई थी. फिर इस माह 23 मई को नामीबिया चीता सियाया (ज्वाला) के 4 शावकों में से पहले शावक की कमजोरी एवं बीमारी से मौत हो गई थी, इसके बाद 25 मई को नामीबिया चीता सियाया (ज्वाला) के शेष 3 शावको में से दो शावकों की डिहाड्रेशन से मौत हो गई थी. वही ज्वाला के चौथे शावक की हालत भी नाजुक थी, लेकिन अब उपचार के बाद शावक की सेहत में तेज़ी से सुधार आया है.

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