इंदौर: AI ने छीनी नौकरी तो प्रेमी जोड़ा बने 'बंटी-बबली', क्रिसमस पार्टी के लिए की 16 लाख की चोरी
एआई के कारण नौकरी गंवाने वाले प्रियांशु और अंजना ने फिल्म बंटी-बबली फिल्म से प्रेरित होकर इंदौर में 16 लाख की ज्वेलरी चोरी की, लेकिन एक संदिग्ध गाड़ी की फोटो उनकी सबसे बड़ी गलती बनी और पुलिस ने दोनों को भोपाल में पकड़ लिया.

इंदौर की सिलिकॉन सिटी कॉलोनी को शहर का सबसे शांत, सुरक्षित और पॉश इलाका माना जाता है. 22 दिसंबर की रात सब कुछ रोज जैसा ही था, लेकिन इसी खामोशी में दो परछाइयां एक मकान की छत पर चढ़ रही थीं. उनके चेहरे पर नकाब, हाथों में दस्ताने थे और दिमाग में था बंटी-बबली स्टाइल में परफेक्ट चोरी करने का प्लान. फिर जो हुआ उसने पूरे इलाके को सन्न कर दिया.
क्या है मामला
ये मामला है इंदौर के राउ थाने का. दरअसल इंदौर में रहने वाले एक पढ़े-लिखे कपल, प्रियांशु और अंजना हाल ही में बेरोजगार हुए थे. उनके पास नौकरी नहीं थी और दिन-ब-दिन सेविंग्स भी खत्म होती जा रही थी. ऐसे में उन्होंने एक फिल्म से इंस्पिरेशन लेते हुए चोरी करने का पूरा प्लान बना डाला
सपनों से साजिश तक का सफर
प्रियांशु एमपी के ही मंडला का रहने वाला था. इंदौर में एक नामी आईटी कंपनी के लिए पार्ट टाइम ग्राफिक डिजाइनिंग करता था. मगर कुछ ही महीनों पहले कंपनी में एआई टूल्स आए और उसकी जरूरत खत्म हो गई. उधर अंजना नीट की तैयारी कर रही थी.
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दोनों की उम्र 18 से बस थोड़ी ही ज्यादा थी. पैसे को लेकर दोनों हर रोज चिंता में रहते थे. इस बीच एक रात टीवी पर फिल्म आई बंटी और बबली. यहीं से कहानी ने ऐस मोड़ ले लिया जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
फिल्म देख कर डाली चोरी
फिल्म खत्म होते-होते दोनों के दिमाग में एक आइडिया जन्म ले चुका था. उन्होंने सिलिकॉन सिटी की श्री ज्वेलर्स दुकान को टारगेट चुना जो घर में ही चलती थी और रात को वहां कोई नहीं रहता था.
अगले तीन-चार दिन दोनों इलाके में घूमते रहे, रास्ते नापते रहे, कैमरों की दिशा देखते रहे. कई बार पुलिस गश्त देखकर लौट आए मगर हिम्मत नहीं हारी. फिर आई 22 दिसंबर की रात.
छत से छलांग और खाली शो-केस
इस रात अंधेरे में एक साया छत से कूदा, नीचे पहुंचते ही दरवाजा तोड़ा और मिनटों में जितने सोने-चांदी और हीरे के जेवर दिखें सब समेट लिए. दोनों ने लगभग 16 लाख रुपये का माल चोरी कर लिया था. अब आगे उनका प्लान जेवर बेचकर क्रिसमस पार्टी करने का था. लेकिन उस वक्त उन्हें ये अंदाजा नहीं था कि चोरों की कहानी चोरी करने के साथ ही खत्म नहीं हो जाती है. बल्कि वहां से तो उनकी तलाश का सिलसिला शुरू ही होता है.
उसी इलाके में गश्त कर रहे एक एएसआई को कुछ दिन पहले एक गाड़ी अजीब हालत में खड़ी दिखी थी. उन्होंने बिना कुछ सोचे बस एक फोटो ले ली थी, एहतियातन.
चोरी के बाद जब पुलिस ने उस फोटो को खंगाला तो गाड़ी का नंबर मंडला का निकला. मालिक से पूछताछ हुई, फिर दूसरा नाम सामने आया और सुराग जुड़ते-जुड़ते पुलिस पलाश परिसर में रहने वाले उस लड़का-लड़की तक पहुंच गई.
क्रिसमस पार्टी से पहले हथकड़ी
प्रियांशु और अंजना चोरी के बाद मंडला चले गए थे, लेकिन पुलिस की नजर उन पर बनी रही. कुछ दिन बाद वह भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के पास जेल रोड इलाके में जब घूम रहे थे तभी राऊ थाना पुलिस ने उन्हें घेर लिया.
हताशा की कहानी
पूछताछ में दोनों ने सब कबूल कर लिया. एक ऐसी कहानी सामने आई जिसमें न कोई शातिर अपराधी था, न पुरानी गैंग. बस दो युवा थे जिनके सपने एआई और हालात की मार से टूट गए थे.










