MP: इस्तीफा दे चुके सांसदों को अब विधायक बनने पर कितनी मिलेगी सैलरी? क्या सुविधाएं होंगी कम
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने 3 केंद्रीय मंत्रियों के साथ 7 सांसद चुनाव मैदान में उतारे थे. इनमें से 1 केंद्रीय मंत्री और 1 सांसद चुनाव हार चुके हैं. तो वहीं अन्य सांसद और केंद्रीय मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब ये पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश में रहकर ही राजनीति करेंगे.
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MP News: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने 3 केंद्रीय मंत्रियों के साथ 7 सांसद चुनाव मैदान में उतारे थे. इनमें से 1 केंद्रीय मंत्री और 1 सांसद चुनाव हार चुके हैं. तो वहीं अन्य सांसद और केंद्रीय मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब ये पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश में रहकर ही राजनीति करेंगे. यानि कि केंद्र के बजाय अब इनका दखल मध्य प्रदेश में देखने को मिलेगा. लेकिन इस बीच इनकी सैलरी में कितना अंतर आएगा और क्या क्या सुविधाओं में कमी होगी आइये जानते हैं.
दरअलस सांसद का पद विधायक से कहीं ज्यादा बड़ा होता है, इसके साथ ही इनकी सैलरी में भी फर्क होता है. अब मध्य प्रदेश के पांच सांसद विधानसभा पहुंच चुके हैं. तो इन्हें अब विधायकों वाली सैलरी दी जाएगी. जानकारी के मुताबिक सांसदो की बेसिक सैलरी 1 लाख रूपया महीना होती है. जब संसद सत्र चलता है तो इस दौरान उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 2 हजार रूपये अतिरिक्त दिए जाते हैं. इसके साथ ही उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए 70 हजार तो ऑफिस खर्च के लिए 60 हजार रूपये भत्ते के रूप में दिए जाते हैं.
क्या रहेगी विधायक बनने के बाद सैलरी
मध्य प्रदेश से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल के अलावा राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक ने विधानसभा चुनाव जीता है. इन पांचों ने पांचों ने सांसदी पद से इस्तीफा भी दे दिया है. एमपी में अभी विधायकों को बेसिक 30 हजार रुपये हर महीने मिलते हैं. बाकी 70 हजार रुपये भत्ते के रुप में मिलते हैं. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री को दो लाख, कैबिनेट मंत्रियों को 1.70 लाख और राज्य मंत्रियों को 1.45 लाख रुपये का वेतन-भत्ता हर महीने मिलता है. एमपी सरकार ने इस साल विधायकों की सैलरी और भत्ते 40 हजार रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, अभी ये प्रस्ताव पास नहीं हुआ है.
विधायकों की क्या-क्या हैं सुविधाएं?
वेतन – 30 हजार रुपये
निर्वाचन भत्ता- 35 हजार रुपये
टेलीफोन खर्च – 10 हजार रुपये
चिकित्सा भत्ता – 10 हजार रुपये
अर्दली भत्ता – 10 हजार रुपये
स्टेशनरी और डाक भत्ता – 10 हजार रुपये
अन्य भता – 05 हजार रुपये
कुल वेतन और भत्ता – 1 लाख 10 हजार रुपये
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मतलब साफ है कि अब सांसद से विधायक बने मत्रियों को करीब 1 लाख 10 हजार रूपये कम सैलरी मिलेगी. सांसद रहने के दौरान उन्हें करीब 2 लाख 30 हजार रूपये दी जाती थी.