तमिलनाडु की राजनीति में AIADMK में कलह, सेंगोट्टैयन ने EPS के खिलाफ मोर्चा खड़ा किया
तमिलनाडु की राजनीति में AIADMK के अंदर बड़े नेता EPS पलानीस्वामी के खिलाफ एक नया मोर्चा खड़ा कर रहे हैं, जिससे पार्टी में कलह बढ़ गई है. इस अंदरूनी लड़ाई से डीएमके को फायदा मिलने की संभावना है.

तमिलनाडु में अगले छह महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राजनीतिक सरगर्मी पहले ही तेज हो गई है. पिछले 5-6 साल में हुए तीन बड़े चुनावों में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने जीत की हैट्रिक लगाई है. अब चौथे चुनाव में एक्टर विजय की एंट्री और बीजेपी-AIADMK गठबंधन को लेकर स्थिति और रोचक हो गई है.
लेकिन इस बीच AIADMK के अंदर बहुत बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. पार्टी चीफ ईपीएस पलानीस्वामी की जिद और उनकी सख्ती से पार्टी के सीनियर नेता काफी नाराज हैं. बड़े नेता के ए सेंगोट्टैयन ने पार्टी के अंदर विद्रोह खड़ा किया. उन्होंने दिल्ली जाकर अमित शाह से भी मिलकर मुद्दा उठाया, लेकिन EPS ने उनकी बात नहीं मानी और सेंगोट्टैयन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
नया मोर्चा खड़ा कर दिया है
अब सेंगोट्टैयन ने EPS से सबक सिखाने के लिए एक नया मोर्चा खड़ा कर दिया है. इस मोर्चे में AIADMK के पुराने दिग्गज शामिल हैं वीके शशिकला, ओ पनीरसेल्वम और टीटीवी दिनाकरन. इन सभी नेताओं का मकसद स्पष्ट है और वह है AIADMK को नहीं, बल्कि इसकी मौजूदा लीडरशिप यानी EPS के खिलाफ लड़ना. उनका कहना है कि EPS ने जयललिता की विरासत को धोखा दिया है.
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इस नए मोर्चे की शुरुआत सेंगोट्टैयन ने एकता की मुहिम से की. मदुरै जाकर उन्होंने ओपीएस से मुलाकात की, फिर टीटीवी दिनाकरन से मिलने गए, और अंत में वीके शशिकला से भी मिलकर सभी ने एकता की तस्वीर पेश की.
राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ओपीएस और टीटीवी दिनाकरन थेवर जाति से हैं, और सेंगोट्टैयन गौंडर समुदाय से. सभी का घोषित एजेंडा एमजीआर और जयललिता के शासन मॉडल को फिर से लागू करना है. शशिकला ने संकेत दिए कि AIADMK में और भी सरप्राइजेज हो सकते हैं.
नए मोर्चे को कह रहें है "डीएमके की बी टीम"
EPS का रुख स्पष्ट है कि वे इस नए मोर्चे को "डीएमके की बी टीम" कह रहे हैं और साफ कर चुके हैं कि इस एकता का पार्टी या चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. EPS ने दोहराया कि जो भी AIADMK की विचारधारा के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
विश्लेषकों का कहना है कि इस नए मोर्चे से AIADMK के अंदर कलह और वोट बंटवारा हो सकता है, जिससे डीएमके को फायदा मिलने की संभावना है. बीजेपी के लिए भी यह परेशानी का कारण है, क्योंकि गठबंधन के बावजूद उन्हें EPS के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ना पड़ेगा. सेंगोट्टैयन अभी भी पार्टी में हैं और इंतजार कर रहे हैं कि खुद EPS उन्हें पार्टी से बाहर करें.
कुल मिलाकर, तमिलनाडु की राजनीति में AIADMK बनाम AIADMK की लड़ाई सामने आ गई है और यह लड़ाई इस बार डीएमके के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
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