ट्रू कांग्रेसमैन निकले पी. चिदंबरम! 80 साल की उम्र में ऐसे किया साबित, पीछे रह गए राहुल-प्रियंका
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला लेकिन कांग्रेस का चंदा पिछले साल से डबल होकर 517 करोड़ रुपए हो गया है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी जेब से अकेले 3 करोड़ रुपए का चंदा दिया है.

लोकसभा चुनाव के समय किस पार्टी को कितना, किसने चंदा दिया, इसका डेटा सामने आ गया है. चंदे की बाजीगर तो फिर से बीजेपी साबित हुई लेकिन कांग्रेस का मामला कमजोर रहा लेकिन पिछले साल के मुकाबले डबल हो गया.
कांग्रेस को मिला 517 करोड़ रुपए चंदा
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में कांग्रेस को करीब 517 करोड़ का चंदा मिला, जो पिछली बार के 280 करोड़ से कहीं ज्यादा है. बड़ी बात ये है कि सरकारी कंपनी रही हिंदुस्तान जिंक ने 10 करोड़ दिए, अब ये कंपनी वेदांता बन चुकी है. आईटीसी इंफोटेक ने 11.50 करोड़ और आईटीसी लिमिटेड ने 4 करोड़ का डोनेशन दिया. Century Plywoods ने 5 करोड़ का डोनेशन दिया.
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पी चिदंबरम ने दिया राहुल-प्रियंका से ज्यादा चंदा
कंपनियां पॉलिटिकल पार्टियों को चंदा देती रही हैं. इसमें कोई नहीं बात नहीं है. कांग्रेस को डोनेशन देने वालों की लिस्ट में एक नाम बेहद चौंकाने वाला निकला है. देश के वित्त और गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम ने तो गजब ही कर दिया. एक झटके में उन्होंने अपने पॉकेट से 3 करोड़ का डोनेशन दे दिया. कांग्रेस को डोनेशन देने वाले जितने इंडिविजुअल नाम निकले उसमें चिदंबरम ने बाजी मारी 3 करोड़ का डोनेशन देकर. खुद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने करीब सवा दो-दो लाख के डोनेशन दिया.
इससे पहले भी कई बार दिया चंदा
चिदंबरम ने पहली बार मोटा चंदा नहीं दिया है. 2020 में कोरोना के समय उन्होंने सांसद निधि (MPLADS) से मुंबई के सेंट जार्ज अस्पताल को डोनेट किए थे. 2021 में भी कोरोना के दौरान Tamil Nadu Chief Minister's Public Relief Fund में 10 लाख का डोनेशन दिया था. वैसे पी चिदंबरम और उनके परिवार के पैसों की कोई कमी नहीं है. भगवान का दिया और खुद से कमाया बहुत कुछ है. 2022 में राज्यसभा चुनाव के समय एफिडेविट में उन्होंने और बड़ी वकील पत्नी नलिनी चिदंबरम की 197 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी.
बेटे के पास 96 करोड़ रुपए की संपत्ति
पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी चुनाव जीतकर कांग्रेस सांसद हैं. कार्ति चिदंबरम ने 2024 के चुनाव के समय 96 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी. ईडी की जांच के घेरे में हैं. पिछले महीने ही ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में 22 करोड़ की संपत्ति जब्त की है.
कांग्रेस सरकार में रहे बड़े पदों पर
80 साल के हो रहे पी चिदंबरम खुद बड़े वकील हैं. उन्होंने कांग्रेस में लंबी पारी खेली है. कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया. कांग्रेस के शासन में वित्त मंत्री के तौर पर 5 बार बजट पेश किया. गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. चिदंबरम ही थे जिनके गृह मंत्री रहते हुए अमित शाह को जेल भेजा गया था. फिर जब अमित शाह गृह मंत्री बने तो चिदंबरम को जेल में डाला. देश की राजनीति में शह-मात का बेहद चर्चित किस्सा है अमित शाह और पी चिदंबरम के बीच का जो अब थमा हुआ है.
पार्टी को दिया 3 करोड़ रुपए का चंदा
80 साल की उम्र में चिदंबरम को अपने लिए पार्टी से और क्या चाहिए होगा, फिर भी उन्होंने ऐसे वक्त कांग्रेस पार्टी की बड़ी आर्थिक मदद की, जब पार्टी लगातार विपक्ष में हैं. लगातार चुनाव हार रही है, आगे भी कोई गारंटी नहीं कि कांग्रेस और राहुल गांधी का भाग्योदय होगा. 3 करोड़ छोटी-मोटी रकम नहीं होती. फिर भी इतनी बड़ी रकम का डोनेशन देकर उन्होने साबित कर दिया कि वो सिर्फ कांग्रेस में नहीं है. ट्रू कांग्रेसमैन बने हुए हैं. 1984 से अब तक 7 लोकसभा चुनाव जीते. राज्यसभा में दूसरा टर्म चल रहा है.
आज भी कांग्रेस में एक्टिव हैं चिदंबरम
चिदंबरम तमिलनाडु की शिवकाशी सीट से लोकसभा सांसद का चुनाव लगातार जीतते रहे. जब लोकसभा नहीं लड़े तो पार्टी ने राज्यसभा भेजा. कांग्रेस के पॉलिसी मेकर्स में चिदंबरम का नाम लंबे समय तक शामिल रहा. राजीव गांधी के जमाने से लेकर चिदंबरम कांग्रेस में कभी साइडलाइन नहीं रहे. हर दौर में उनकी पूछ काबिलियत की बदौलत बनी रही. चिदंबरम आज भी कांग्रेस में एक्टिव हैं लेकिन इतने भी नहीं. अक्सर राहुल गांधी के साथ या सोनिया गांधी के साथ नहीं देखे नहीं जाते. मतलब कांग्रेस हाईकमान की कोटरी में शामिल नहीं हैं. देश, सरकार, अर्थव्यवस्था, पार्टी के बारे में खुलकर बोलते हैं. कभी-कभी पार्टी लाइन भी क्रॉस कर जाते हैं.
राजनीति में 1984 में हुई एंट्री
पी चिदंबरम की राजनीति में एंट्री 1984 के चुनाव में हुई थी. तब इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी कांग्रेस लीड कर रहे थे. तब चिदंबरम यूथ कांग्रेस लीडर थे. पहला चुनाव जीतने के इनाम में कॉमर्स और Personnel मिनिस्ट्री में डिप्टी मिनिस्टर की पोस्ट मिली थी.
Personnel मिनिस्ट्री सीधे पीएम के साथ काम करती है. दो साल में प्रमोशन पाकर गृह राज्यमंत्री बना दिए गए. 1991 में नरसिम्हा राव ने कांग्रेस और देश की सत्ता संभाली. चिदंबरम ने और बड़ा प्रमोशन पाया.
देवगौड़ा सरकार में पहली बार देश के वित्त मंत्री
उस दौर में इकॉनामिक रिफॉर्म शुरू हुआ. तब मनमोहन सिंह फाइनेंस और चिदंबरम कॉमर्स मिनिस्ट्री संभाल रहे थे. 1996 में हार के साथ नरसिम्हा राव की सत्ता लड़खड़ाई. तमिलनाडु कांग्रेस भी टूट गई. तब चिदंबरम कांग्रेस छोड़कर तमिल मनीला कांग्रेस में चले गए. तब राजनीतिक अस्थिरता पीक पर थी. मोर्चा सरकार बन रही थी, जिसमें चिदंबरम को बड़ी इज्जत मिली. देवगौड़ा सरकार में पहली बार देश के वित्त मंत्री बन गए चिदंबरम. फिर तो वित्त मंत्री के एक्सपर्ट बन गए चिदंबरम.
2001 में टीएमसी छोड़कर कांग्रेस में लौट आए. तब तक सोनिया गांधी कांग्रेस को संभाल चुकी थी. 2004 में कांग्रेस ने जोरदार वापसी की. मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्री की सरकार में चिदंबरम परमानेंट वित्त मंत्री बन गए. ये सिलसिला तब टूटा जब 2008 में मुंबई हमले के बाद गृह मंत्री शिवराज पाटिल को जाना पड़ा. चिदंबरम ने एक बार फिर गृह मंत्री का काम संभाला और 2014 तक देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते रहे.
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