महबूब नहीं मां पर लिखी शायरियों के लिए थे मशहूर, उर्दू साहित्य के बड़े नाम मुनव्वर राना नहीं रहे
मुनव्वर राना को उनको उर्दू साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2012 में शहीद शोध संस्थान ने ‘माटी रतन सम्मान’ से सम्मानित किया गया था.
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![महबूब नहीं मां पर लिखी शायरियों के लिए थे मशहूर, उर्दू साहित्य के बड़े नाम मुनव्वर राना नहीं रहे Munawwar Rana](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/nwtak/images/story/202401/munawwar-rana-1024x576.png?size=948:533)
Munnawar Rana: मशहूर शायर मुनव्वर राना जिनकी आवाज देश ही नहीं बल्कि दुनिया में गूंजा करती थी, अब वो आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई. 71 साल के मुनव्वर राना का रविवार यानी 14 जनवरी को लखनऊ में निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक उनकी मृत्यु कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई. उनकी निधन की खबर आने के बाद से ही उनके चाहने वालों में शोक की लहर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश की कई हस्तियों ने उनके मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है.
Pained by the passing away of Shri Munawwar Rana Ji. He made rich contributions to Urdu literature and poetry. Condolences to his family and admirers. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 15, 2024
शायर मुनव्वर राना पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. वह ‘क्रोनिक किडनी बीमारी’ से पीड़ित थे और लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(SGPGI) में उनका इलाज चल रहा था. वो SGPGI के आईसीयू वार्ड में भर्ती थे, जहां रविवार देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली. मुनव्वर राना को किडनी और हार्ट से जुड़ी कई समस्याएं भी थी, जिसके चलते वो लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. पिछले साल भी मुनव्वर राणा की तबियत खराब हुई थी, तब उन्हें लखनऊ के अपोलो अस्पताल में एडमिट कराया गया था, उस वक्त उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा गया था.
कौन हैं मुनव्वर राना जिनके देश-विदेश में है लाखों चाहने वाले
26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्में मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम हैं. उर्दू के साथ ही वो हिंदी और अवधी भाषाओं में भी कविताएं और शायरियां लिखा करते थे. मुनव्वर ने कई अलग-अलग शैलियों में अपनी गजलें और दर्जनों पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं. उनकी किताबों में मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए और ‘घर अकेला हो गया’ आदि रचनाएं शामिल हैं.
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मुनव्वर राना को उनको उर्दू साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2012 में शहीद शोध संस्थान ने ‘माटी रतन सम्मान’ से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें कविता का ‘कबीर सम्मान’, ‘अमीर खुसरो अवार्ड’, ‘गालिब अवार्ड’ जैसे कई अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.
अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहते थे मुनव्वर राना
मुनव्वर राना के कई ऐसे सियासी बयान है जिनकी वजह से वो चर्चा में बने रहते थे. जैसे 2022 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने कहा था कि, अगर योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बनते है तो मैं यहां से पलायन कर लूंगा. यह बयान उन्होंने यह कहते हुए दिया था कि, प्रदेश की योगी सरकार मुसलमानों को परेशान कर रही है. हालांकि 2022 के चुनाव में बीजेपी की जीत हुई और योगी मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन मुनव्वर राना ने कोई पलायन नहीं किया.
मुनव्वर राना बयानों-विवादों के साथ ही एक मशहूर शायर थे. उनकी लिखी हुई रचनाएं आज भी लोगों को मुंहजुबानी याद है. हमने रेख्ता की वेबसाईट से आपके लिए मुनव्वर राना की कुछ प्रचलित लाईने निकाली हैं जो यहां है-
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– इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए
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– किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई
यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया
मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आई
– बादशाहों को सिखाया है कलंदर होना
आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना
एक आँसू भी हुकूमत के लिए खतरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
– मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ
मुझे सँभाल ले मुमकिन है दर-ब-दर हो जाऊँ
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