SHANTI बिल को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, प्राइवेट कंपनियों के लिए खुल गया भारत का न्यूक्लियर सेक्टर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद SHANTI बिल कानून बन गया है, जिससे भारत का सिविल न्यूक्लियर सेक्टर निजी कंपनियों के लिए खुल गया है. हालांकि न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल और अन्य संवेदनशील गतिविधियों पर सरकार का नियंत्रण पहले की तरह बना रहेगा.

SHANTI बिल को मिली मंजूरी
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भारत के सिविल न्यूक्लियर सेक्टर में एक अहम मोड़ आ गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने SHANTI (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India) बिल को अपनी मंजूरी दे दी है. सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, शनिवार को राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ यह बिल अब कानून बन गया है. संसद के शीतकालीन सत्र में इसे पास किया गया था.

क्या है शांति बिल

SHANTI बिल का मकसद देश के सिविल न्यूक्लियर सेक्टर को नए ढांचे में ढालना है. इस कानून के जरिए सरकार ने परमाणु ऊर्जा से जुड़े पुराने और बिखरे कानूनों को एक साथ समेट दिया है. इसके साथ ही न्यूक्लियर पावर सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोलने का रास्ता भी साफ हो गया है. 

अब तक लागू 1962 का एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 2010 का सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट खत्म कर दिए गए हैं. सरकार का कहना था कि ये कानून परमाणु ऊर्जा के विस्तार में रुकावट बन रहे थे.

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प्राइवेट कंपनियां बना पाएंगी न्यूक्लियर पावर प्लांट 

नए कानून के तहत अब प्राइवेट कंपनियां और जॉइंट वेंचर सरकार से लाइसेंस लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट बना सकेंगी. इतना ही नहीं, वे इन प्लांट्स की मालिक भी हो सकेंगी, उनका संचालन कर सकेंगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें बंद करने का अधिकार भी होगा. माना जा रहा है कि इससे देश में परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन को नई रफ्तार मिल सकती है.

हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया है कि परमाणु क्षेत्र से जुड़ी सभी संवेदनशील और रणनीतिक गतिविधियां उसके नियंत्रण में ही रहेंगी. यूरेनियम और थोरियम की माइनिंग, न्यूक्लियर फ्यूल का एनरिचमेंट, आइसोटोपिक सेपरेशन, इस्तेमाल हो चुके फ्यूल की रीप्रोसेसिंग, हाई-लेवल रेडियोएक्टिव कचरे का प्रबंधन और भारी पानी का उत्पादन सिर्फ केंद्र सरकार या सरकार के स्वामित्व वाली संस्थाएं ही करेंगी.

संतुलन बनाने की कोशिश

इस तरह SHANTI बिल के जरिए सरकार ने एक संतुलन बनाने की कोशिश की है. एक तरफ बिजली उत्पादन के लिए निजी निवेश को बढ़ावा दिया गया है, तो दूसरी तरफ न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल के अहम हिस्सों पर सरकारी पकड़ बरकरार रखी गई है.

गौर करने वाली बात यह भी है कि SHANTI बिल को मंजूरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल, 2025 को हरी झंडी देने के कुछ ही घंटों बाद मिली. 

इस नए कानून के साथ करीब 20 साल पुराने मनरेगा कानून को भी नए कानूनी ढांचे में बदल दिया गया है. सरकार का दावा है कि ये सभी बदलाव ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को ध्यान में रखकर किए गए हैं.

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