'माया मिली न राम...', उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की 'एकजुटता' की खुली पोल, कांग्रेस का क्या नुकसान हुआ?
उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन की जीत ने कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की रणनीति को करारा झटका दिया है.
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उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन की जीत ने कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की रणनीति को करारा झटका दिया है. शुरू से ही NDA के पास स्पष्ट बहुमत था, लेकिन विपक्ष की हार सिर्फ संख्याओं की नहीं बल्कि रणनीति और राजनीति की भी रही. आइए, जानते हैं हार के बड़े कारण, जिन्होंने विपक्ष की हार को गहरा झटका दिया है.
1. विपक्षी एकजुटता की हवा निकली
कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके पास विपक्ष के 315 सांसदों का समर्थन है. लेकिन, मतगणना में उनके प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी को सिर्फ 300 वोट मिले. यानी, 15 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की. सियासी जानकारों का कहना है कि एनडीए ने आम आदमी पार्टी (AAP) और शिवसेना (UBT) में सेंधमारी की है. विपक्ष का यह दावा कि एनडीए से उनके पक्ष में क्रॉस वोटिंग होगी पूरी तरह खोखला साबित हुआ. यह विपक्ष की सबसे बड़ी रणनीतिक हार साबित हुई.
कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक तटस्थ दलों को अपने पाले में लाने में असफल रहे. वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए के पक्ष में समर्थन दिया, जबकि बीजेडी, अकाली दल और भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने मतदान से दूरी बनाकर परोक्ष रूप से एनडीए का साथ दिया. विपक्ष के बड़े-बड़े दावे सिर्फ बातें बनकर रह गए और वे इन महत्वपूर्ण दलों को अपने पक्ष में नहीं कर पाए.
2. तमिल प्राइड का मौका गंवाया
एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं और अगले साल वहां विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस और डीएमके अगर राधाकृष्णन का समर्थन करतीं तो वे तमिल गौरव का दावा कर सकती थीं. लेकिन, विपक्ष ने यह सुनहरा अवसर गंवा दिया.
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3. कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया
कांग्रेस ने बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर एनडीए में सेंध लगाने की उम्मीद की थी. उनके तेलुगू मूल के कारण कांग्रेस को लगा था कि टीडीपी और जनसेना पार्टी के लिए उनका विरोध करना मुश्किल होगा. लेकिन, टीडीपी और जनसेना पार्टी अपनी राह पर डटे रहे. इसके अलावा, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी ने भी सी.पी. राधाकृष्णन को समर्थन देकर कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. वहीं, बीआरएस ने मतदान से दूर रहकर रही-सही कसर पूरी कर दी. इस तरह, विपक्ष को 'न माया मिली, न राम' वाली स्थिति का सामना करना पड़ा.
4. 'संविधान बचाओ' नैरेटिव फेल
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने 'संविधान बचाओ' के अपने नैरेटिव को धार देने की कोशिश की. लेकिन, बीजेपी ने सलवा जुडूम मामले में उनके फैसले को उछालकर नक्सल हिंसा पीड़ितों के बीच विपक्ष की छवि खराब की. इसके अलावा, सुदर्शन रेड्डी की चारा घोटाले के दोषी लालू यादव से मुलाकात ने भी कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ा दिया. कई पूर्व जजों ने इस मुलाकात पर कड़ी आपत्ति जताई, जिससे कांग्रेस का 'संविधान बचाने' का नैरेटिव कमजोर पड़ गया.
विपक्ष की करारी हार
बता दें 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया था, जिनके सामने 'इंडिया' ब्लॉक ने पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला था. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारे. राधाकृष्णन को 452 (60 फीसदी) वोट मिले हैं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 (40 फीसदी) वोट मिले. इस तरह राधाकृष्णन ने रेड्डी को 152 वोटों से चुनाव हराया है.