Vice Presidential Polls: NDA के सीपी राधाकृष्णन और INDIA के सुदर्शन रेड्डी मैदान में, कैसे होता है चुनाव, जानें पूरी प्रक्रिया

संजय शर्मा

भारत के 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को सांसद मतदान करेंगे. एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के जस्टिस पी सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है. संसद के दोनों सदनों के 781 सांसद वोट डालेंगे। जानें पूरी वोटिंग और काउंटिंग प्रक्रिया.

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भारत में 17वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल  के सदस्य यानी सांसद 9 सितंबर मंगलवार को वोट करने जा रहे हैं. एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी गठबंधन की ओर से जस्टिस पी सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं. मंगलवार को शाम पांच बजे वोटिंग खत्म होने के बाद मतगणना होगी. 
 
16 वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को अचानक इस्तीफे से खाली हुए इस पद को भरने के लिए यह चुनाव कराया जा रहा है. यानी पचास दिन बाद देश को उप राष्ट्रपति और राज्यसभा को नया सभापति मिलने जा रहा है. उप राष्ट्रपति चुनाव में मतदान  के लिए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी रिटर्निंग ऑफिसर बनाये गए हैं. मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101, वसुधा में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा. 
 
मतदान का समय खत्‍म होने के एक घंटा बाद शाम 6 बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी. फिर रिजल्‍ट घोषित किया जाएगा. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों- राज्‍यसभा और लोकसभा के सभी सदस्य वोट डालते हैं. लिहाजा राज्यसभा के नामित सदस्य भी मतदान करते हैं. 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के 543 सदस्य मतदान के अधिकारी हैं.

राज्यसभा में अभी 5 सीटें खाली हैं जबकि लोकसभा में एक सीट खाली है. यानी निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य हैं, लेकिन वर्तमान में 781 सांसद वोट डालने के अधिकृत हैं. ये अलग बात है कि अभी भारत राष्ट्र समिति और बीजू जनता दल ने अपने सांसदों को मतदान में हिस्सा न लेने को कहा है. यानी बीआरएस के चार और बीजेडी के सात सांसद अगर मतदान से दूर हो रहते हैं तो कुल 770 मतदाता होंगे. 

यहां जानें चुनाव की पूरी प्रक्रिया 

उपराष्ट्रपति चुनाव में मतपत्रों के जरिए वोटिंग होती है. विशिष्ट स्याही वाले पेन से मतदाता सांसद अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे प्राथमिकता लिखनी होती है. चुनाव में मतदान एकल संक्रमणीय आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है. मतदान गुप्त होता है.  सिंगल ट्रांसफरेबल यानी एकल संक्रमणीय मतदान के जरिए होता है. 
 
उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतपत्र सफेद रंग के होते हैं. उसमें दो कॉलम रहते हैं. एक कॉलम में हिंदी और इंग्लिश में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है. उसी खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1,2,3 .. के रूप में दर्ज करनी होती है. ये अंक हिंदी या अंग्रेजी में भी हो सकते हैं.

डाक से मतदान की अनुमति नहीं 

उपराष्ट्रपति चुनाव में डाक से मतदान की अनुमति नहीं होती है. मतदाता को खुद हाजिर होकर गुप्त वोट डालना होता है. वोट डालते समय वो किसी की सहायता नहीं ले सकते. अगर कोई सांसद प्रिवेंटिव डिटेंशन में हों तभी डाक से अपना वोट डाल सकते हैं. जैसे मौजूदा चुनाव में असम और दिल्ली की जेल में बंद बारामुला सांसद शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद और पंजाब के खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के लिए पोस्टल बैलट के जरिए वोट डालने की व्यवस्था की गई है. 

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सबसे पहले वैध मत छांटे जाते हैं 

मतगणना के लिए सबसे पहले डाले वोटों में से सबसे पहले वैध मत छांटे जाते हैं. फिर वैध मतों में से पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है. यदि कोई उम्मीदवार को कुल वैध मतों के 50% से अधिक वोट मिल जाते हैं तो उसे विजयी मान लिया जाता है. अगर पहले चरण की गिनती में किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है. उसके वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है. यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता. 

राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में होती है क्रॉस वोटिंग 

राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव किसी पार्टी के निशान पर नहीं लड़ा जाता. इस कारण कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती है. इसकी वजह से सदस्य अपने मन मुताबिक किसी को भी वोट दे सकते हैं. ऐसे में दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान भी इसमें लागू नहीं होते.
इसलिए क्रॉस वोटिंग भी होती है. 

ऐसे मतपत्र माने जाते हैं अवैध 

उम्मीदवार के आगे वरीयता नहीं लिखी होने से या ज्यादा उम्मीदवारों के आगे प्राथमिकता नम्बर 1 ही लिखा हो या फिर वरीयता अस्पष्ट यानी संदिग्ध तरीके से लिखी हो तब मतपत्र अवैध हो जाता है. यानी यही पता न चले कि वोट किस उम्मीदवार को दिया गया है! यानी एक ही कैंडिडेट के आगे कुछ अन्य नंबर लिख दिए गए हों या कोई चिह्न बना दिया गया हो या वोट किसने डाला ये पता ही ना चले तो वोट अवैध हो जाता है.

वरीयता यानी 1,2... नंबरों के बजाय एक, दो.. या प्रथम, द्वितीय जैसे हिंदी अंग्रेजी में कुछ शब्दों में लिखा गया हो या फिर डाक मतपत्र पर अगर सदस्य के दस्तखत और उसके साथ सर्टिफिकेट न लगा हो, या सर्टिफिकेट पर जेल या कस्टडी वाली जगह के प्रभारी के दस्तखत न हों तब भी मतपत्र अवैध हो जाता है. 

उप राष्ट्रपति चुनाव में अगर किसी उम्मीदवार को वैलिड वोटों के छठे हिस्से से भी कम वोट मिलते हैं तो उसकी 15 हजार रुपये की प्रतिभूति राशि यानी जमानत जब्त हो जाती है. अन्य मामलों में तो जमानत राशि वापस मिल जाती है. 

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