सुप्रीम कोर्ट में पकड़ी गई CM पेमा खांडू की बड़ी हेराफेरी? अरुणाचल में डोलने लगी BJP की सरकार

अरुणाचल के CM पेमा खांडू को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. सरकारी ठेकों में गड़बड़ी के आरोपों के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. साल 2015-2025 के टेंडर की जांच पर अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी. जानें क्या है ये पूरा मामला?

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तस्वीर: पेमा खांडू के सोशल मीडिया X से.
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उत्तर पूर्व राज्यों में बीजेपी ने जनाधार बढ़ाना शुरू ही किया कि असम और अरुणाचल प्रदेश से सबसे ज्यादा पुश मिला. असम में जैसे हिमंता बिस्वा सरमा ने बीजेपी का किला मजबूत किया वही काम अरुणाचल में पेमा खांडू ने किया. लगातार दो-दो चुनाव जीतकर प्रचंड बहुमत से पेमा खांडू बीजेपी की सरकार चला रहे हैं. 36 साल की उम्र में पहली सीएम बने पेमा खांडू 2016 से लगातार सरकार चला रहे हैं. 

पेमा खांडू अब बड़े विवाद में फंसे हैं. ऐसा विवाद जो सीधे सुप्रीम कोर्ट की नजर में आया है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगी कि अरुणाचल प्रदेश में सरकारी ठेके बांटने में धांधली हुई है जिसकी सीबीआई या एसआईटी जांच कराई जाए. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अभी जांच को लेकर फैसला नहीं किया है. किसी फैसले पर पहुंचने से पहले मार्च में अरुणाचल सरकार से 28 जिलों के 2015 से 2025 के सरकारी ठेकों की सारी डिटेल हलफनामे के साथ देने को कहा था. ये लगभग वही समय है जब पेमा खांडू सीएम बने. 

इंडियन एक्सप्रेस ने सरकार के हलफनामे की जांच करके पता लगाया कि 146 में से 59 ठेके सीएम के परिवार के लोगों को दिए गए. पेमा खांडू के परिवारों को मिले सरकारी ठेके की डिटेल देखकर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा अदुभुत संयोग है. मरमले में अब अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी.

17 करोड़ के 59 ठेके परिवार वालों को मिले

इसी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को पता चला कि पेमा खांडू के सीएम कार्यकाल में जो 146 ठेके बांटे गए उनमें से करीब 17 करोड़ के 59 ठेके परिवार वालों को मिले. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायत में किए गए दावों के मुताबिक खुद सीएम पेमा खांडू की पत्नी त्सेरिंग खांडू, तवांग के विधायक भाई त्सेरिंग ताशी खांडू, भाभी नीमा ड्रेमा की कंपनियों में 383 करोड़ के सरकारी ठेके दिए गए. मतलब काम भी सरकार का, पैसा भी सरकार का, ठेके पाने वाली सरकारी फैमिली और कमाई भी सरकारी फैमिली को. 

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पूरे अरुणाचल में ठेकों की हो रही जांच

ज्यादातर ठेके अरुणाचल के तवांग जिले में सरकारी काम के लिए दिए गए. अब पूरे अरुणाचल में दिए गए ठेकों की जांच हो रही है. परिवार के सदस्यों को जो ठेके दिए गए उसके लिए सरकारी टेंडर नहीं निकला. सरकारी पैसों से सड़क, बिजली, कम्युनिटी हॉल, पानी जैसे काम होने थे. अरुणाचल में 2020 में नियम बदला गया. नया नियम ये बना कि 50 लाख से ज्यादा काम बिना टेंडर किसी को नहीं दिया जा सकता. इसका सीधा खांडू परिवार को मिलने का आरोप लगा. अरुणाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आरोप गलत हैं और कहीं कुछ गलत नहीं हुआ. 

सरकारी ठेकों के लिए क्या है नियम? 

सरकारी कामों के लिए नियम होता है कि अगर कोई काम होना है तो उसके लिए टेंडर निकाला जाएगा. जो जितनी कम रकम में काम करने के लिए टेंडर भरता है उसे ठेका मिलता है. कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड, एक्सपीरियंस, फाइनेशिंयस सिचुएशन समेत कई फैक्टर्स की जांच होती है.

2020 में सीएम की पत्नी, भाई-भाभी की कंपनियों को ठेके देने के लिए कोई टेंडर नहीं निकाला गया जो सरकारी नियमों के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट में पेमा खांडू की सरकार ने कहा कि बिना टेंडर देना आम बात है. ठेके उसे मिलते हैं जिसे गांव के बारे में पता होता है. लोग विकास के लिए जमीन भी मुफ्त में दे देते हैं. 

सत्ता में कैसे आए पेमा खांडू? 

पेमा खांडू कांग्रेस के परिवार से हैं. उनके पिता दोरजी खांडू कांग्रेस नेता थे और अरुणाचल के सीएम रहे. 2011 में दोरजी खांडू की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद पेमा खांडू का राजनीतिक कद बड़ा होने लगा. पेमा खांडू ने ही कांग्रेस को लगभग शून्य पर ला दिया. 2016 में उन्होंने कांग्रेस में बड़ी तोड़फोड़ करते हुए 43 विधायक तोड़ लिए और 2016 में खुद सीएम बन गए. तब उनकी पार्टी Peoples Party of Arunachal हुआ करती थी. जो बीजेपी के संपर्क में थी. उसी समय उनकी पार्टी में बगावत हुई. उन्हें ही 6 विधायकों के साथ पार्टी से निकाल दिया गया लेकिन पेमा खांडू ने विधानसभा में बहुमत साबित कर लिया. 

BJP को अरुणाचल में बैठे-बिठाए मिल गई सत्ता

उस समय 33 विधायकों के साथ पेमा खांडू बीजेपी में शामिल हो हुए. बीजेपी को बैठे-बिठाए एक राज्य की सत्ता मिल गई. तब से पेमा खांडू को कोई सत्ता से हिला नहीं पाया. अरुणाचल में बीजेपी मतलब पेमा खांडू बने हुए हैं. 2019 और 2024 के चुनावों में उन्होंने प्रचंड जीत हासिल करके खुद को और मजबूत बना लिया. 2024 के विधानसभा चुनाव में तो ऐसी स्थिति बनी कि पेमा खांडू समेत 10 बीजेपी विधायक बिना चुनाव निर्विरोध विधायक चुन लिए गए. 

राजनीतिक तौर तो पेमा खांडू बहुमत मजबूत हैं, लेकिन सरकारी ठेकों में गड़बड़ी की शिकायत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाना अच्छा संकेत नहीं है. फरवरी तक तो पेमा खांडू की सरकार को कहीं खतरा नहीं है. खतरा तब हो सकता है जब सुप्रीम कोर्ट जांच का कोई ऑर्डर दे दे.

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